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गुरुवार, 16 दिसंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": HAVE A NICE DAY

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": HAVE A NICE DAY: "'Unlimits God Asked,'what is forgiveness?' A little gal gv lovely reply 'It is the wonderful fruit that a tree gives when it is being hurt b..."

HAVE A NICE DAY

"Unlimits God Asked,"what is forgiveness?"
A little gal gv lovely reply "It is the wonderful fruit that a tree gives when it is being hurt by a stone!" HAVE A NICE DAY,RAM-RAM,NAMASKAAR,
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मंगलवार, 14 दिसंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "Diamond words of Hitler:-"One who wins without pr...

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "Diamond words of Hitler:-"One who wins without pr...: "'Diamond words of Hitler:-'One who wins without problem it is just' 'VICTORY' BUT' One who wins with lot of troubles'That is 'HISTORY' HAVE ..."
"Diamond words of Hitler:-"One who wins without problem it is just"
"VICTORY" BUT" One who wins with lot of troubles"That is "HISTORY" HAVE A NICA DAY, RAM -RAM, NAMASKAAR,"
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रविवार, 12 दिसंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": HAVE A NICE DAY

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": HAVE A NICE DAY: "'B SILENT IN TWO SITUATIONS:-WHEN U FEEL ONE CANT UNDERSTAND UR FEELINGS FROM YOUR WORDS AND WHEN ONE CAN UNDERSTAND YOU WITHOUT ANY WORDS....."

HAVE A NICE DAY

"B SILENT IN TWO SITUATIONS:-WHEN U FEEL ONE CANT UNDERSTAND UR FEELINGS FROM YOUR WORDS AND WHEN ONE CAN UNDERSTAND YOU WITHOUT ANY WORDS.."  HAVE A NICE DAY-NAMASKAAR,RAM RAM,
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शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": HAVE A NICE DAY

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": HAVE A NICE DAY: "WHAT U HAVE NOW, BECAUSE BACK BUT SOMETIMES FUTURE CAN GIVE U BACK UR LOST THINGS!-HAVE A NICE DAY[RAM-RAM]-NAMASKAAR, &n..."

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WHAT U HAVE NOW,
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शनिवार, 4 दिसंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": HAVE A NICE DAY

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": HAVE A NICE DAY: "THE DIFFERENCE BETWEEN DREAM AND AIM, DREAM REQUIRES SOUNDLESS SLEEP TO SEE WHEREAS AIM REQUIRES SSLEEPESS EFFORTS TO ACHIEVE..GOOD..."

HAVE A NICE DAY

THE DIFFERENCE BETWEEN DREAM AND AIM,
   DREAM REQUIRES SOUNDLESS SLEEP TO SEE
   WHEREAS AIM REQUIRES SSLEEPESS EFFORTS TO
   ACHIEVE..GOOD EVENING[NAMASKAAR,RAM-RAM]
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शुक्रवार, 3 दिसंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri":      3 Great philosophies:                 [1]-Abi...

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": 3 Great philosophies:
[1]-Abi...
: " 3 Great philosophies: [1]-Ability can never remain hidden. [2]-No injury is deeper than insult. [..."
     3 Great philosophies:
                [1]-Ability can never remain hidden.
           [2]-No injury is deeper than insult.
           [3]-the birth of tension is the death of talent.
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jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "यदि "शास्त्र" से काम चल जाय तो "शस्त्र" न उठायें ...

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "यदि "शास्त्र" से काम चल जाय तो "शस्त्र" न उठायें ...: "'यदि 'शास्त्र' से काम चल जाय तो 'शस्त्र' न उठायें ' 'विद्या शस्त्रस्य शास्त्र्य ,द्वे विद्ये प्रति पतत्ये '-जीवन यापन करने [जीने के ..."

"यदि "शास्त्र" से काम चल जाय तो "शस्त्र" न उठायें "

"यदि "शास्त्र" से काम चल जाय तो "शस्त्र" न उठायें "
        "विद्या शस्त्रस्य शास्त्र्य ,द्वे विद्ये प्रति पतत्ये "-जीवन यापन करने [जीने के लिये ]-के लिये शस्त्र और शास्त्रों की आवश्यकता पड़ती है| कभी -कभी जब शास्त्र से काम नहीं चलता है तो लोग शस्त्र भी उठा लेते हैं ,कियोंकि -"व्रह्म सत्यम जगन मित्थ्या" भगवान् को छोरकर संसार की सभी वस्तु असत्य है यह जानते हुए भी हमलोग असत्य वस्तु के लिये लड़ते हैं | इसमें गलती हमलोगों की नही होती है ,यह माया का दोष होता है ,वही हमें भर्मित करती है ,ज्ञानी पुरुष तो बच जाते हैं ,किन्तु अज्ञानी उलझे ही रहते हैं | आइये इस विषय में पूर्व कथा का अबलोकन करते हैं =दर्शन शास्त्र के अनुसार -मिथिला नरेश -महाराज "जनक " को भला कौन नहीं जाता है -वो राजा थे ,शस्त्र और शास्त्रों में इतना निपुण थे ,कि "अष्टावक्र " जैसी विभूति उनसे शास्त्रों कीजानकारी हेतु उनके पास आये -जब "अष्टावक्र " मिथिला की राज्य सभा में उपस्थित हुए तो लोगों ने उनका बहुत ही उपहास किया ,किन्तु इन्होंने जबाब शस्त्रों से नहीं शास्त्रों से दिया  ,की यदि हँसना ही है तो उस परमात्मा के ऊपर हंसो जिसने हमको बनाया है |उसी साम्राज्य में भगवान् " परुषराम" भी हुए जिन्होंने यह दिखाया कि जब शस्त्र से काम न चले तो शास्त्र उठाओ  किन्तु वो सक्षम थे जीवन देने में भी और लेने में भी | उसी सामराज्य का राजा "महाराजा जनक ने कभी भी शस्त्र नहीं उठाये राजा होते हुए भी || भाव मित्रप्रवर -हमें सभी कलाओं की जानकारी तो जरुर होनी चाहिए परन्तु प्रयोग हम उन्हीं कलाओं का करें जिससे किसी का अहित न हो ||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री"मेरठ [उ प ] 

गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": HAVE A NICE DAY

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": HAVE A NICE DAY: "'SUCCESS IS NEVER ACHIEVED BY THE SIZE OF YOUR BRAIN BUT IT IS ALWAYS ACHIEVED BY QUALITY OF YOUR -THOUGHT'HAVE A NICE DAY-[RAM -RAM]"

HAVE A NICE DAY

"SUCCESS IS NEVER ACHIEVED BY THE SIZE OF YOUR BRAIN BUT IT IS ALWAYS ACHIEVED BY QUALITY OF YOUR -THOUGHT"HAVE A NICE DAY-[RAM -RAM]

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "सार्थक या निरर्थक?महाकवि "की यह रचना "

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "सार्थक या निरर्थक?महाकवि "की यह रचना ": "'सार्थक या निरर्थक?महाकवि 'की यह रचना ' भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिये तमाम वस्तु उपलब्ध होने के वाद भी होशियार पाचक न हो तो स्वादिष्ट भोजन..."

"सार्थक या निरर्थक?महाकवि "की यह रचना "

"सार्थक या निरर्थक?महाकवि "की यह रचना "
भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिये तमाम वस्तु उपलब्ध होने के वाद भी होशियार पाचक न हो तो स्वादिष्ट भोजन का आनंद नहीं मिल पाता है -ठीक इसी प्रकार से मानव होने के वाद भी मानवता को हम नहीं समझ पाते हैं | आवागमन का जो मेला है उसमे हमलोग आते हैं ,और यूँ ही चले भी जाते हैं ,बाल्यकाल का तो पत्ता ही नहीं चल पाता है ,तरुण अवस्था तो मदोन्मत्त होने के कारण हम किसी की सुनते ही नहीं हैं ,जब प्रौढ़ होते हैं ,तो समय साथ नहीं देता है -जब हम पीछे मुर कर देखते हैं,तो समझ में ही नहीं आता कि इतना समय बीत गया ,और हमें पत्ता ही नहीं चला ? जी हाँ मित्र प्रवर -एक भौरा किसी पुष्प का पराग चूस रहा था ,उसको पत्ता ही नहीं चला कि जब शाम होती है तो जो कमल के पुष्प होते हैं, वो सिकुर भी जाते हैं | और हम चाहकर भी नहीं निकल पायेंगें ,संयोग से -शाम हुई ,और "भौरा "कमल रूपी पुष्प में सिकुर गया तो  -सोचने लगा -"रात्रिर गमिष्यति  भविष्यति सुप्रभातम =रात बीतेगी और सुन्दर सुवह होगी |"भास्वान उदिश्यती हसिस्यती पंक्जस्य =भगवान् सूर्य निकलेंगें और यह कमल के  पुष्प खिलेंगें ,अर्थात जब सूर्यास्त होता है तो कमल के पुष्प सिकुर जाते हैं और जब सूर्योदय होता है तो कमल के पुष्प खिलने लगते हैं [यही विशेषता कमल की है]"इत्थं बिचिन्त्य मति द्विरेफः="भौरा अपने मन में यही बिचार  कर ही  रहा था,कि क्या हुआ ,"हा हंत हंत गजनी ....इतनी ही देर में कोई हाथी आया और उस कमल के पुष्प को रोंद कर चला गया || महा कवि के महा ग्रन्थ  की इतनी बड़ी विशेषता होने के वाद भी आपको यत्न सम्मान नहीं मिला ||मित्र बंधुओं -यह महा "कविजीने "यह समझाने की कोशिश की है.की हमें काल रूपी जो पाश है उससे हम किस प्रकारसे  सजग हो सकते हैं||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री [मेरठ ]       
 

मंगलवार, 30 नवंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": भाग २="आपकी राशि मासिक फल "१-१२-२०१०से १-१-२०११तक ...

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": भाग २="आपकी राशि मासिक फल "१-१२-२०१०से १-१-२०११तक ...: "भाग २='आपकी राशि मासिक फल '१-१२-२०१०से १-१-२०११तक || [७]-तुला -स्वामी -शुक्र ,रंग -धबल ,स्वभाव -कूटनितिगय -मन प्रफुल्लित रहेगा ,धन का आगमन ह..."

भाग २="आपकी राशि मासिक फल "१-१२-२०१०से १-१-२०११तक ||

भाग २="आपकी राशि मासिक फल "१-१२-२०१०से १-१-२०११तक ||
[७]-तुला -स्वामी -शुक्र ,रंग -धबल ,स्वभाव -कूटनितिगय -मन प्रफुल्लित रहेगा ,धन का आगमन होगा ,संपत्ति ,वाहन तथा भवन लेने में कुछकुछ पडेशानी आ सकती है ,मान सम्मान का योग है ,संतान की तरफ से दिक्कत संभव है ,शत्रुता न करें ,दाम्पत्य सुख उत्तम रहेगा ,उदर रोग संभव है ,अनायास भरमन  का योग बनेगा ,कर्मक्षेत्र तथा पिता से लाभ संभव है ,आय विशेष होगी ,यदि संगती गड़बड़ है तो बच कर रहें || नोट -शिव की उपासना और चीनी दान करें ||
[८]-वृश्चिक -स्वामी -मंगल ,रंग लाल ,स्वभाव -आक्रामक -धन मिलने का योग है तो खोने का भी योग है ,प्रभाव क्षेत्र मजबूत होगा किन्तु देर से ,नौकरी ,पिता तथा कर्मक्षेत्र से लाभ होगा किन्तु देर हो सकती है ,संतान की चिंता बनी रहेगी ,शत्रुता होगी परन्तु जीत आपकी ही होगी ,घर में शांति से रहें ,क्रोध न करें ,स्वास्थ के लिये भी कुछ उत्तम नहीं है ,पतनी को पति से और पति को पतनी से लाभ होगा ,अनायास कर्मक्षेत्र में उन्नति होगी ,नया पद मिल सकता है ,आय का योग कुछ बिलम्ब से बनेगा ,गलत संगती से दूर रहें तो अच्च्छा  रहेगा || नोट "हनुमानजी " की उपासना करें या  मंगलवार को लाल वस्तु का दान करें||
[९]धनु -स्वामी -गुरु,रंग -पीला ,स्वभाव -मृदुभाषी -मन में कई प्रकार की चिंताए होंगी ,किन्तु मन को बिचलित न होने दें,धन ,कर्मक्षेत्र ,पिता से संघर्ष संभव है किन्तु लाभ होगा ,भाई बधुओं से प्रेम  कम मिलेगा ,संपत्ति ,वाहन ,मकान अभि न लें ,संतानों से लाभ का योग है ,शत्रुता होगी ,और लाभ भी मिलता रहेगा ,क्लेश से दूर रहें विशेषकर घर में ,स्वास्थ ठीक रहेगा ,भाग्योदय होने वाला है ,कूटनीति से लाभ का योग है ,अचल संपत्ति के ऊपर खर्च संभव है ||नोट -शनिवार को कुत्ते को दूध पिलायें और कुछ दान भी करें.||
[१० ]-मकर -स्वामी -शनि ,रंग- श्याम ,स्वभाव -मंद=भाग्य प्रतीक्षा कर रहा है लाभ का ,स्वास्थ सही होगा ,मित्र बन्धु  से न उलझें ,समय के साथ चलें ,संपत्ति ,वाहन मकान का योग तो है किन्तु लें अगले साल ,अपने परिजन ही शत्रु बन सकते हैं,अतः सभी पर यकीन न करें ,दाम्पत्य सुख मिलेगा ,विदेश यात्रा का योग है ,स्वास्थ के प्रति सचेत रहें ,अनायास लाभ होगा ,स्थान परिवर्तन का योग है ,आय का साधन बनेगा ,जेब को देखकर खर्च करें अन्यथा कमी पर जाएगी ||नोट -मंगलवार को मिष्ठान का दान करें ||
[११ ] -कुम्भ -स्वामी -शनि ,रंग -कला ,बिचार -समयानुसार =स्वास्थ उत्तम रहेगा ,धन का योग बिलम्ब से बनेगा ,संतानों से न उलझें ,शत्रुता का बिचार त्याग दें ,पद की गरिमा बनाये रखें ,भाग्य से लाभ का योग है ,शाशन पद से लाभ का योग है .आय का साधन कई प्रकार से बनेगा ,खर्च वीमारी  में संभव है ,यात्रा हो सकती है ,परिजनों से लाभ का भी योग है ,दाम्पत्य सुख मिल्सकता है ||गुरुवार को केले का दान करें ||
[१२ ]-मीन -गुरु ,रंग पीला ,स्वभाव -मनोनुकूल -मानसिक क्लेश संभव है ,नौकरी ,पिता ,से लाभ होगा ,रोग संभव है ,यात्रा सभलकर करें,संपत्ति या वाहन अभि न लें ,संतान से चिंतित शत्रु  परास्त होंगें,लाभ का अनेक साधन बनेंगें ,उदर रोग संभव है ,भाग्य  से लाभ होगा ,विदेश यात्रा संभव है,खर्च पर ध्यान दें ,किसी भी कार्ज़ को सोचकर करें ,|| गुरु की पूजा करें ,पिली वस्तु का दान करें ||      

रविवार, 28 नवंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "अपने भाग्य की सराहना आप स्वयं करें?"

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "अपने भाग्य की सराहना आप स्वयं करें?": " 'अपने भाग्य की सराहना आप स्वयं करें?' विधाता की विशेषता यह है ,कि निर्माण भी करते हैं ,एवं नष्ट भी स्वयं करते हैं ,जो इस बात को जानते हैं..."

"अपने भाग्य की सराहना आप स्वयं करें?"

  "अपने भाग्य की सराहना आप स्वयं करें?"
विधाता की विशेषता यह है ,कि निर्माण भी करते हैं ,एवं नष्ट भी स्वयं करते हैं ,जो इस बात को जानते हैं वो इस पथ को छोरकर -श्री कृष्णः शरणम् मम " के पथपर चल देते हैं ,बहुत जानते हुए भी ,इस पथ  पर नहीं चल पाते हैं | >मित्र प्रवर -हम कुंडली के नवम भाव की जितनी भी विवेचना करें ,वो आपके भाग्य की सराहना के लिये काम होगा ,फिर भी एक प्रयास करने की कोशिश करते हैं | कुंडली के प्रथम ,पंचम एवं नवम भाव [स्थान ]को त्रिकोण कहते हैं यह सदा उत्तम फल ही ग्रहों के अनुसार प्रदान करते हैं |
यदि -मेष ,सिंह ,वृश्चिक राशी हो या सूर्य और मंगल नवम भाव में हों तो -शाशक,राजनेता ,संपत्ति ,वाहन और साथ ही जातक  दादागिरी  और प्रधान पद की आशक्ति रखने वाला होता है ,तथा इस सभी चीजों से युक्त भी होता है |-वृष ,तुला ,राशी हो साथ ही शुक्र और बुद्ध विराजमान हों तो जातक -संगीत प्रिय .लेखन क्षेत्र ,कूट नितिग्य ,स्वच्छ और धनवान होता है जातक |
-मकर कुम्भ यदि राशी हों साथ ही शनि विराजमान हों तो जातं का भाग्य विलम्ब से अवस्य बनता है ,लोह निर्मित ,संपत्ति युक्त ,भाग्यवान  किन्तु आलस्य से युक्त भी होता है |
धनु या मीन राशी हों गुरु विराजमान हों तो  तो जातक का भाग्य तो निम्न होता है ,किन्तु -स्वभाव का बहुत ही मजबूत ,संपत्ति से युक्त ,मान सम्मान से लिप्त ,तथा लोक प्रिय होता है |
जिनके भाग्य में राहू या केतु होते हैं वो ,विदेश यात्रा तो करते ही हैं ,समस्त वस्तुएं अनायास ही मिल जाती हैं |
भाव -यही घर एक कुंडली में सबसे उत्तम मना गाया है ,आपको लाभ  किस प्रकार से होगा ,किस क्षेत्र में काम करना चाहिए जिससे लाभ होगा , जब भी आप उदास हों तो जानकारी नवम भाव की करें ,तथा अपने सुन्दर कर्मों के द्वारा वर्तमान ,भूत.और भविष्य को सही करें |
भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री मेरठ [उ प ]   

शनिवार, 27 नवंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "आपके कृत्य कर्म का प्रतिफल है ? कुंडली का नवम भाव...

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "आपके कृत्य कर्म का प्रतिफल है ? कुंडली का नवम भाव...: "'आपके कृत्य कर्म का प्रतिफल है ? कुंडली का नवम भाव ' मित्रप्रवर , 'ज्योतिष ' अपने जीवन का दर्पण है ,आप माने या न मानें -जिस प्रकार से सात स्..."

"आपके कृत्य कर्म का प्रतिफल है ? कुंडली का नवम भाव "

"आपके कृत्य कर्म का प्रतिफल है ? कुंडली का नवम भाव "
मित्रप्रवर , "ज्योतिष " अपने जीवन का दर्पण है ,आप माने या न मानें -जिस प्रकार से सात स्वर से अनंत राग बन जाते हैं ,ठीक उसी तरह से "कुंडली " के १२ भाव से ही जीव की समस्त गणना की जा सकती है | हमलोग कुछ ही परिश्रम से समस्त जानकारी कर लेते हैं ,किन्तु वास्तविकता तो यह है ,कि"ज्योतिष "एक सागर है ,कुछ जल निकाल लेने से सागर की महिमा को नहीं नापा जा सकता है | -कुछ प्रकाश डालने की कोशिश करते हैं ,और साथ ही उम्मीद भी करते हैं कि आपलोग उस पथ पर चलेंगें भी ?
-जब जातक माँ के गर्भ में आता है -अभिभावक -उसके भाग्य की सराहना करना शुरू कर देते हैं ,आपने पूर्व जन्म में जो भी सुन्दर कर्म  कीये होंगें ,तो तत्काल आपको उसी क्रमानुसार  फल मिलते जायेंगें ,एवं यदि आपने विपरीत कर्म कीये होंगें तो फल भी उसी क्रमानुसार मिलेंगें | यदि यही बात देखनी हो तो कुंडली के दशम भाव  को कर्मक्षेत्र कहा जाता है ,और नवम भाव को भाग्य तो कर्म से पहले भाय की गणना होती है -इसका मतलब है कि जो आप कर रहे हैं वो वाद में मिलेगा ,और जो आपने पहले किया है -वो तत्काल मिल रहा है ,तो फिर हम आप चिंतित क्यों होते हैं -जो मिल रहा है उसे भगवान् का या अपने कृत्य कर्म का प्रसाद समझकर स्वीकार प्रसन्नता से क्यों नहीं करते हैं |-मान लो आपने अपने माता पिता की सेवा बहुत की थी तो आपकी संतान आपकी सेवा जरुर करेगी ,किन्तु हम लोग तत्काल सेवा का फल देखते हैं ,जो गलत है | -जिसने अपने पत्ती या पतनी से छल किया ho ,तो वही जातक मंगली या मंगला होते हैं ,और इस जन्म में पुनः यही योग लेकर आते हैं -यदि "हरि "की क्रिपा  से इस जन्म पति या पतनी का धर्मं निभाते हैं तो दोष मुक्त हो जायेंगें ,अन्यथा पुनः संसार में आयेंगें और जायेंगें किन्तु इस दोष से मुक्त नहीं हो पायेंगें [और परिचर्चा हम कल करेंगें ]
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री"मेरठ |.   

शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": Good morning

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": Good morning: "Tolerance is the Highest Degree of your Strenght,And the Desire to take revenge is the Firstsing of weakness...GM"

Good morning

Tolerance is the Highest Degree of your Strenght,And the Desire to take revenge is the Firstsing of weakness...GM

गुरुवार, 25 नवंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": 5birds sitting on tree,                           ...

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": 5birds sitting on tree,
...
: "5birds sitting on tree, 2decided to fly away, How many remain on tree?3?No ans is 5 There is lot of difference b..."
5birds sitting on tree,
                            2decided to fly away,
How many remain on tree?3?No ans is 5 There is lot of difference between"Deciding"&"Doing".} Gud morng,

मंगलवार, 23 नवंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "जिनका अपमान हो समझो ,सम्मान मिलने वाला है ?"

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "जिनका अपमान हो समझो ,सम्मान मिलने वाला है ?": "'जिनका अपमान हो समझो ,सम्मान मिलने वाला है ?' कभी -कभी समकालीन जो बात या वस्तु होती है उसका हम उपहास करने में संकोच तनिक भी नहीं करते हैं ,प..."

"जिनका अपमान हो समझो ,सम्मान मिलने वाला है ?"

"जिनका अपमान हो समझो ,सम्मान मिलने वाला है ?"
कभी -कभी समकालीन जो बात या वस्तु होती है उसका हम उपहास करने में संकोच तनिक भी नहीं करते हैं ,परन्तु कुछ काल के उपरांत खुद ही अपना लेते हैं -"चार्वाक" नाम के अलोकिक कवि हुए | पूरा काल में लोग सम्मान ,सत्य पथ , से जीते थे यही सबसे बड़ी संम्पत्ति होती थी -उस समय महा कवि "चार्वाक " ने एक युक्ति दी -यावत जीवेत सुखं जीवेत  =जब तक जीवें सुख से जीवें ,ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत =चाहे ऋण ही क्यों न करना पड़े ,घी जरुर पीवें ,ततकाल उनका  बहुत उपहास हुआ और आप  संसार से विरक्त हो गए | समय बदला उनकी जो उक्ति थी -वो हम सब पर लागु हो गयी और  हम लोग -मान ,प्रतिष्ठा ,सम्मान ,इसी को समझने लगें -चाहे कुछ भी हो-कर्ज ,लेना पड़े ,झूठ बोलना पड़े ,अपने दिखाबा के लिये | भाव मित्र बंधुओं वर्तमान यदि उत्तम है तो भविष्य भी उत्तम बन जायेगा | जितना प्रभुने दिया है उसमें जीना सीखें ,परिश्रम करें ,संसार में जितनी भी वस्तुएं हैं वो जरुरी नहीं की हमरे लिये लाभदायक ही हैं |
-सुप्रभातम ,राम राम |     

शनिवार, 20 नवंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": GOOD DAY

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": GOOD DAY: "'CHANGE'IS THE NATURE OF LIFE,BUT'CHALLENGE'IS THE AIM OF LIFE,SO YOU HAVE TO CHALLENGE THE CHANGES,NOT CHANGE THE CHALLENGES,GUD DAY"

GOOD DAY

"CHANGE"IS THE NATURE OF LIFE,BUT"CHALLENGE"IS THE AIM OF LIFE,SO YOU HAVE TO CHALLENGE THE CHANGES,NOT CHANGE THE CHALLENGES,GUD DAY

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": " कुंडली का सप्तम भाव जितना सरस है ,नीरस भी उतना ह...

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": " कुंडली का सप्तम भाव जितना सरस है ,नीरस भी उतना ह...: " ' कुंडली का सप्तम भाव जितना सरस है ,नीरस भी उतना ही है ?' मित्रप्रवर-किसी भी ग्रन्थ की रचना हो तो आठों रसो पर्योग करना होता है ,..."

" कुंडली का सप्तम भाव जितना सरस है ,नीरस भी उतना ही है ?"

            " कुंडली का सप्तम भाव जितना सरस है ,नीरस भी उतना ही है ?"
मित्रप्रवर-किसी भी ग्रन्थ की रचना हो तो आठों रसो पर्योग करना होता है ,किन्तु सरस बनाने के लिये सृंगार रस की प्रधानता देनी पड़ती है | तभी लोग स्वीकार करते हैं | कुंडली में द्वादश भाव होते हैं ,यह सभी जानते हैं ,सभी भाव के अलग -अलग महत्व हैं ,कुछ भाव तो सत्य का प्रतीक होने के वाद भी नीरस है ,जो सत्य तो है किन्तु लोक मान्य नहीं है | कुंडली के द्वितीय और सप्तत भाव -एक "धन" का प्रतीक है तो दूसरा "जाया" का  "धन " को भला कौन नहीं स्वीकार करेगा -किन्तु यह मारकेश भी होता है जितना धन आएगा वो जायेगा किस प्रकार से, किन्तु शिक्षित लोगों को इस बात का भी अनुकरण करना चाहिए -[१]-यदि बुध और शुक्र द्वितीय भाव में विराजमान हों तो -बुद्धि के द्वारा आप लोकमान्य तो होंगें ही किन्तु "भार्या " अर्थात सभी महिलाएं आपकी अनुचरी भी होंगी -भाव आप रमणीय भी बहुत होंगें ,धन भी बहुत कमायेंगें आप चाहे कितने भी बुरे क्यों न हों लोग नहीं पकड़ पायेंगें -परन्तु ,आप रोगी होंगें ,महिलाओं में आपका धन नाश होगा |
       [२]-यही प्रभाव सप्तम भाव का भी है - काम वेदना से पीड़ित भला कों नहीं होता है ,और "भार्या" किसे नहीं चाहिए जितनी मिले कोई दिक्कत नहीं है यदि सप्तम भाव में मेष और वृश्चिक राशी हो तो लम्बाई ,रंग ,रूप, विचार तो उत्तम होते हैं ,किन्तु आपस में कड़वाहट विशेष होती है शांति से रहें तो घर स्वर्ग के समान होता है और अशांति हो तो नरक भी बन जाता है | वृष और तुला हो तो -रंग ,रूप ,बुद्धि ,विचार तो अच्छे होते ही हैं ,किन्तु अन्दर में छल होता है -जिससे दाम्पत्य सुख तो मत भेद यक्त होता ही है किन्तु समाज में भी खड़े नही उतरते हैं | मिथुन और तुला राशी हो तो -सौम्य स्वभाव ,मिलनसार,काम बोनेवाले ,लोकप्रिय दम्पत्य्सुख तो उत्तम होता है ,किन्तु पति पतनी के द्वारा या पतनी पति के द्वारा वस् में होते हैं.| कर्क ,सिह राशी हो सप्तम भाव में तो -शान से जीने वाले ,सत्यवादी ,धनबान,सुन्दर तो होते हैं किन्तु जीवन में असत्य का आगमन होते ही दाम्पत्य सुख नीरस बन जाताहै | धनु और मीन राशी हो सप्तम भाव में तो लम्बे कद ,सुदर रंग ,रूप ,कर्मठ ,विचारवान -दाम्पत्य सुख तो उत्तम होता ही है किन्तु लोक हित के कारण दुःख झेलने पड़ते है | मकर एवं कुम्भ रशिहो सप्तम भाव में तो विः देर से ,किन्तु सोच समझकर करते हैं ,लम्बा कद ,भले ही श्याम रंग हो किन्तु अति सुन्दर .मृगनयनी ,सुखी  परन्तु जो भी करना होगा अपने मन में बात जमेगी तो करेंगें अन्यथा नहीं करेंगें |-यह जितने भी वर्णन हमने लिखे हैं वो चाहे स्त्री हों या पुरुष सामान्य फल समझें |
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री"मेरठ 
संपर्क सूत्र -०९८९७७०१६३६.09358885616 

शुक्रवार, 19 नवंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "पति और पतनी की चिंता न करें ? अवलोकन सप्तम भाव कर...

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "पति और पतनी की चिंता न करें ? अवलोकन सप्तम भाव कर...: "'पति और पतनी की चिंता न करें ? अवलोकन सप्तम भाव करें ' मित्र बंधुओं ? किसी भी ग्रन्थ की रचना लोक हित के निमित्त होती है , और यह जरुरी नहीं ..."

"पति और पतनी की चिंता न करें ? अवलोकन सप्तम भाव करें "

"पति और पतनी की चिंता न करें ? अवलोकन सप्तम भाव करें "
मित्र बंधुओं ? किसी भी ग्रन्थ की रचना लोक हित के निमित्त होती है , और यह जरुरी नहीं की आपकी बात को सभी स्वीकार ही कर लेंगें -यह तो सभी के विचार के ऊपर निर्भर करता है | "ज्योतिष " में पतनी और पति की जानकारी करनी हो तो हम सप्तम भाव का अवलोकन करते हैं | यह भाव जितने भावाधिश से से युक्त होंगें उतना  ही दाम्पत्य जीवन हमारा सफल होता है | जब से जीव माँ के गर्भ में आता है ,तभी से कुछ सम्बन्ध बनने शुरू हो जाते हैं ,साथ ही कुछ मिलते रहते हैं ,कुछ, कुछ देर तक साथ चलते रहते हैं और कुछ छोरकर चल भी देते हैं तथा हम माया में लिप्त होते रहते हैं - वास्तविक सुख आत्मा से आत्मा का मिलन का होता है परन्तु युवावस्था में यह बात समझ में नहीं आती है ,जिस प्रकार से भूख लगने पर अन्न के सिवा कुछ नहीं दीखता है ठीक उसी प्रकार से जब "काम पिपासा" जागती है तो "काम" के सिवा कुछ नहीं दीखता है -पति या पतनी की संख्या कितनी होगी यह कुंडली के द्वितीय भाव में उपस्थित ग्रह से पत्ता चलता है -१ होने पर =१ होने पर २ होने पर २ और ३ होने पर ३ भी पत्ती या पतनी से सम्बन्ध बन सकते हैं , पति या पतनी की सुन्दरता और दाम्पत्य सुख कितना प्रवल रहेगा यह सप्तम भाव में स्थित ग्रह से पत्ता चलता है -मेष ,वृष ,लग्न के जातक को अपने से उत्तम पति या पतनी मिलती है ,किन्तु मत भिन्नता रहती है | मिथुन ,लग्न के जातक का दाम्पत्य जीवन सरल और सुन्दर रहता है | सिह ,तुला ,वृश्चिक ,लग्न के जातक भी दाम्पत्य जीवन में संघर्षरत रहते हैं | कर्क ,धनु ,और मीन  लग्न के जातक सुखी रहते हैं ,कन्या ,मकरऔर कुम्भ के जातक  के दाम्पत्य जीवन उत्तम किन्तु एक दुसरे के अधीन रहने पड़ते हैं | भाव -आज का प्रचलन रंग रूप का है परन्तु शास्त्रों की मान्यता है -दाम्पत्य सुख व्यवहार कुशलता सटीक होनी चाहिए और रही बात सुन्दरता की तो युवा वस्था में -"गर्दभा भवति सुंदरी " अर्थात गधे भी  सुन्दर दीखते हैं जवानी में इसलिए अपनी संतानों के लिये वर या कन्या का चयन अभिभावक करते हैं क्योंकि उनको अपने जीवन का अनुभव होता है परन्तु धनमय जीवन होने के कारण माता पिता भी वर और कन्या के चयन के सम्बन्ध में मूक दर्सक बने रहते हैं |      

मंगलवार, 16 नवंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "वर्ष २०११- कौन सा उपहार लेकर आ रहा है ?"

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "वर्ष २०११- कौन सा उपहार लेकर आ रहा है ?": "'वर्ष २०११- कौन सा उपहार लेकर आ रहा है ?' मित्र 'बन्धुगण' हम आपके लिये बहुत कुछ लेकर सतत आते रहते हैं ,और आगे भी हमारा प्रयास..."

"वर्ष २०११- कौन सा उपहार लेकर आ रहा है ?"

"वर्ष २०११- कौन सा उपहार लेकर आ रहा है ?" 






        मित्र "बन्धुगण" हम आपके लिये बहुत कुछ लेकर सतत आते रहते हैं ,और आगे भी हमारा प्रयास रहेगा कि कुछ नई चीज लेकर आते रहें | हर मास के प्रथम दिन -"आपकी राशी मासिक फल "लेकर आते रहते हैं | हम सभी मित्रों के लिये २०११ का वर्ष फल दिनांक -१८-१२-२०१० से लेकर आ रहे हैं ,१२ दिनों में हम १२ राशियों का फल प्रसारित करेंगें ,इसमें आप जान सकते हैं -तन ,धन ,प्रभुता ,संपत्ति ,माता ,विद्या ,संतान ,शत्रुता ,पत्नी ,आयु ,भाग्य .कर्मक्षेत्र ,आय ,खर्च  एवं और भी बहुत कुछ |
नोट हम मिलें या न मिलें -आप मित्र बंधों की सेवा निरंतर होती रहेगी  |
भवदीय निवेदक -ज्योतिष सेवा सदन निवेदक झा शास्त्री 
किशन पूरी धर्मशाला देहली गेट [मेरठ ]
संपर्क सूत्र =०९८९७७०१६३६ -09358885616 

शनिवार, 13 नवंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": जब मन धर्म की ओर हो तो समझो पाप नष्ट हो गया है

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": जब मन धर्म की ओर हो तो समझो पाप नष्ट हो गया है: " 'जब मन धर्म की ओर हो तो समझो पाप नष्ट हो गया है धनक्षये बर्धती जठ राग्निः =जब हमें भूख अत्यधिक लगने लगे तो समझना चाहिए कि 'माँलक्ष..."

जब मन धर्म की ओर हो तो समझो पाप नष्ट हो गया है


         "जब मन धर्म की ओर हो तो समझो पाप नष्ट हो गया है 
धनक्षये बर्धती जठ राग्निः =जब हमें भूख अत्यधिक लगने लगे तो समझना चाहिए कि "माँलक्ष्मी " जाने वालीं हैं | पुनय्क्ष्ये भात्री विरोधिता च =जब हमारा पुन्य समाप्त होने वाला होता है तो हम ओरों की मदद लेना पसंद करते हैं ,किन्तु अपने भाइयों की मदद नहीं कदापि स्वीकार नहीं करते हैं ,तो हमें समझना चाहिए कि हमारा पुन्य नष्ट हो चुका है |-कुलक्षये पंकू जड़ प्रसूति =जब खानदान में अंगविहीन संतान होने लगे तो समझना चाहिए कि जिस धर्मके आधार पर "कुल " चल रहा था वो धर्म विहीन हो गया है | -पापक्ष्ये ईस्वर भक्ति प्रीतिः -तथा जब पाप नष्ट हो जाते हैं तो धर्म संगत कार्ज करने लगते हैं || [राम राम ]     
    NICE THOUGHT:-"SPEAK ONLIY WHEN U FEEL UR WORDS ARE BETTER THEN THE SILENCE..":} -GOOD DAY- 

शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": GOOD DAY

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": GOOD DAY: "TRUE-Rat nahi khwaab badalta hai , MANZIL nahi kaarvaa badalta hai, JAZBA rakho har dam, 'JEETNE' KA , Qk..."

GOOD DAY

TRUE-Rat nahi khwaab badalta hai ,
                 MANZIL nahi kaarvaa badalta hai,
       JAZBA rakho har dam,
           'JEETNE' KA , Qki kismat chahe badle ,
         NA BADLE PAR "waqt" ZARUR BADALTA HAI.
                          Nivedak "jha shastri " [GOOD DAY]

बुधवार, 10 नवंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": " सूर्य की उपासना सभी करते हैं "

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": " सूर्य की उपासना सभी करते हैं ": " ' सूर्य की उपासना सभी करते हैं ' चराचर जगत में सभी जीव भगवान 'सूर्य नारायण 'की उपासना अपने -अपने मतानुसार जरुर करते हैं ,क..."

" सूर्य की उपासना सभी करते हैं "

                 "  सूर्य की उपासना सभी करते हैं "
चराचर जगत में सभी जीव भगवान "सूर्य नारायण "की उपासना अपने -अपने मतानुसार जरुर करते हैं ,क्योकि यही प्रत्यक्ष देवता हैं ,इनकी ही कृपा से सभी जीव जीवित भी हैं ,कुछ वेद की रिचाओं का जब हम अवलोकन करते हैं तो हमें आभास होता है कि हमारे यह प्रत्यक्ष देवता हमें क्या नहीं दे सकते हैं -ततचक्षुरदेवहितं पुरस्तात -हे भगवान सूर्य ?हम  जब तक जीवित रहें हमारी आँखे तबतक संसार की सभी वस्तुओं का अवलोकन करती रहें | छुक्रमुचरत-शरीरिक जो प्रक्रियाएं हैं वो निरंतर चलती रहे | पश्येम शरदः शतं -सौ साल तक हम देखें | शतं जीवेम शरदः शतं -सौ साल तक हम जीवै |शतगुं सृनुयाम शरदः शतं -हम अपने कानों से सौ साल तक सूनें |शतं प्व्रवाम शरदः शतं -सौ साल तक चलें | भाव -हे भगवान सूर्य ? हम अपने शरीर की सारी प्रक्रिया अपने हाथों से करते रहें | मित्र बंधुओं इस स्तुति में जो सबसे अच्छी बात है वो है -शतं दीनाः श्याम शरदः - हे भगवान सूर्य हम सौ साल तक तो जीयें किन्तु पराधीन होकर न जीयें | अतः सभी को इसी प्रकार की स्तुति करनी चाहिए | राम -राम |
 
Avery good thought U cannot hurt some1 who feels nothing special for you .ANDyou cannot be hurt by anyone unless that person is special to you..good day.

मंगलवार, 9 नवंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": सूर्यषष्ठीव्रत"छठ पूजा [डाला छठ ]

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": सूर्यषष्ठीव्रत"छठ पूजा [डाला छठ ]: " 'सूर्यषष्ठीव्रत'छठ पूजा [डाला छठ ] दीपावली के उपरांत जो षष्ठी तिथि आती है ,उस षष्ठी तिथि को सूर्य षष्ठी ,छठ पूजा या डा..."

सूर्यषष्ठीव्रत"छठ पूजा [डाला छठ ]

                      "सूर्यषष्ठीव्रत"छठ पूजा [डाला छठ ]
दीपावली के उपरांत जो षष्ठी तिथि आती है ,उस षष्ठी तिथि को सूर्य षष्ठी ,छठ पूजा या डाला छठ  के नाम से प्रसिद्धि मिली हुई है | इस व्रत के करने से आरोग्य की प्रप्ति होती है | "सूर्यपुराण " के अंतर्गत इस व्रत की विधि बहुत ही कठिन है ,किन्तु जो भी इस व्रत को सविध करता है,भगवन सूर्य नारायण की कृपा से वो व्यक्ति रोगी नहीं रहता है ,जो इस व्रत को करते हुए भी देखता है उसे भी आरोग्य की प्रप्ति होती है | जिन व्यक्तियों को -आखें ,चरक रोग ,कुष्ठ तथा ताप सम्बन्धी कष्ट रहते हैं, वो व्यक्ति यदि इस व्रत को करे, तो ३ वर्ष  के अंतर्गत रोग्से मुक्त हो जाते हैं | जब सभी देवता गण स्वर्ग लोक को जाने लगे तो ,व्रह्माजी ने अग्नि ,वायु ,वरुण को पृथ्वी लोक पर रहने को कहा और साथ ही यह भी कहा की आप सबकी पूजा निरंतर होती रहेगी ,इसलिए सनातन धर्म में ,पूजा हो या कोई भी धार्मिक संस्कार सभी जगहों में दीपक जरुर जलाते हैं , कलश का पूजन भी होता ही है .तथा हनुमानजी की पूजा तो लोग जरुर करते हैं  | एक मान्यता है ,कि विवाह के उपरांत चतुथी संस्कार होता है ,और पत्नी अपने पत्ति का श्पर्श  तब तक नहीं करती है जब तक यह संस्कार नहीं हो जाता है -कारण पर्त्येक बालिका का श्पर्श अग्नि वायु ,एवं वरुण द्वारा होता है तो पहली रात्रि ,अग्नि दूसरी रात्रि -वायु एवं तृतीय रात्रि का निवास वरुण के साथ होना चाहिए .कालांतर में यह मान्यता अब कहीं -कहीं ही देखने को मिलती है | भाव -मित्रबन्धुओं -भागवान आदित्य की पूजा जरुर करें ,और  आदित्य की तरह आपना स्वभाव भी बनायें   | भागवान सूर्य की विशेषता है चाहे कोई उनकी पूजा करे या न करे वो अपना प्रकाश सभी को निरंतर देते रहते हैं ]-जय राम जी की |  
part [2]-True Thought-if somebody loves you truly,don't use their emotions for your enjoyment because today you are being loved,GUD DAY,

रविवार, 7 नवंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": ""सही "संपत्ति "संतोष" ही है""

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": ""सही "संपत्ति "संतोष" ही है"": " ''सही 'संपत्ति 'संतोष' ही है'' सर्पाःपिवन्ति पवनं न च दुर्वलास्ते-सांप हवा पीकर रहते हैं ,किन्तु कभी भी दुर्वल नहीं होते है..."

""सही "संपत्ति "संतोष" ही है""

                ""सही "संपत्ति "संतोष" ही है""
सर्पाःपिवन्ति पवनं न च दुर्वलास्ते-सांप हवा पीकर रहते हैं ,किन्तु कभी भी दुर्वल नहीं होते हैं |शुश्कैसतिनैर वन गजा बलिनो भवन्ति - हाथी पेड़ पत्ते खा कर रहते हैं ,किन्तु दुर्बल नहीं वल्कि बलिष्ठ होते हैं | कंदैहफलैर मुनि बार क्शिप्यान्ति कालम-संत महात्मा -कंद मूल फल इत्यादि सेवन करके समय व्यतीत करते हैं वो भी बलिष्ठ तो रहते ही हैं ,प्रसन्न भी रहते हैं | संतोष एव पुरुषस्य परम निधान-मित्र प्रवर ,मानव का असली खजाना संतोष ही है आप इसे अपना कर देखें, इससे ही संसार की तमाम वाश्तुयें प्राप्त हो जाती हैं |[जय राम जी की ]
 =भाग २=
I OF DA GR8 LINEZ:IT'Z NOT HARD TO SACRIFICE SOMEONE..BUT IT'Z HARD TO FIND SOMEONE WHO DESERVES YOU SACRIFICE..GUD DAY-

गुरुवार, 4 नवंबर 2010

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jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "दीपावली सर्वोत्तम पर्व है "

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "दीपावली सर्वोत्तम पर्व है ": " 'दीपावली सर्वोत्तम पर्व है ' मित्रबन्धुओं- सनातन धर्म में प्रत्येक अनुष्ठान के नियम होते हैं ,और होने भी च..."

"दीपावली सर्वोत्तम पर्व है "

                                 "दीपावली सर्वोत्तम पर्व है " 
मित्रबन्धुओं- सनातन धर्म में प्रत्येक अनुष्ठान के नियम होते हैं ,और होने भी चाहिए ,अन्यथा उसकी गरिमा समाप्त हो जाती है ,किन्तु धन सबको चाहिए ,धन कहाँ से आया है इस पर कोई भी नहीं सोच सकता -पर्त्येक वस्तुओं आदान प्रदान धन से ही होता है , यहाँ तक कि भगवन के कार्ज भी धन से ही संपादन होता है ,इसलिए धन का दशांश दान किया जाता है | "दीपावली " के उत्सव हम लोग भेद भाव रहित मनाते हैं-हमें तो "दीपावली " सबसे सुन्दर उत्सब लगता है -यही एक उत्सव है जिसमें कहा गया है -"यत यत कामयते प्राप्तम"=जो भी हमारी पूजा ,जिस -जिस कामना से करता है , हम तत्काल उसका फल प्रदान करते हैं  [माँ लक्ष्मी ]-इसलिए -"दीपावली "की रात को -लोग तामसिक ,राजसिक एवं सात्विक पूजा अर्चना करते हैं और सबके ऊपर माँ लक्ष्मी की कृपा सदैब बनी रहती है | हमारी भी शुभ कामना "दीपावली की "स्वीकार करें, मित्र बंधुओं ,अग्रज को प्रणाम ,अनुज को शुभाशीष ,एवं समक्ष मित्रों नमस्कार |
"I MAY BE WALKING SLOWLY,BUT I NEVER WALK BACKWARDS"ABRAHAM LINCION "WHENEVER I WALK BACKWARDS,ITS FOR A LONG JUMP"-BENJONSON,EVERY ACT IS MEANNGFUL -GOOD MORNING-

मंगलवार, 2 नवंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "आपको यकीन किस पर नहीं करना चाहिए ?"

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "आपको यकीन किस पर नहीं करना चाहिए ?": " 'आपको यकीन किस पर नहीं करना चाहिए ?' नदीनाम=जलाशयों पर यकीन न करें ,शस्त्रपाणिनाम=जिनके कर में सदा शस्त्र रहते हों ,नाखिनाम=जो..."

"आपको यकीन किस पर नहीं करना चाहिए ?"

             "आपको यकीन किस पर नहीं करना चाहिए ?"
नदीनाम=जलाशयों पर यकीन न करें ,शस्त्रपाणिनाम=जिनके कर में सदा शस्त्र रहते हों ,नाखिनाम=जो नाख़ून वाले जीव हों ,सृंगीनान्यथा- जिनके सिग होते हों ,अपनी पत्नी को छोड़कर किसी भी महिला पर विशेष यकीन न करें ,-और अंत में-राज्यकुलेषु च=अब राज्य तंत्र तो नहीं है -तो सरकारी सेनिकों पर ,विश्वासो नैव कर्तव्यः -मित्रप्रवर- ये उपदेश अभी भले ही आपलोगों को अच्छे नहीं लगते हों किन्तु कभी न कभी आपके जीवन को सार्थक करेंगें |=[राम -राम]    
Life will never provide warrenties & guarantees 4 success..It can provide possiblites & opportunities2 convert them into success,GOOD DAY,

सोमवार, 1 नवंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "यथा राजा तथा प्रजा "[राजा के अनुसार ही प्रजा होती...

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "यथा राजा तथा प्रजा "[राजा के अनुसार ही प्रजा होती...: " 'यथा राजा तथा प्रजा '[राजा के अनुसार ही प्रजा होती है ] 'राजा दिलीप सिंह ' सयोग से कम पढ़े लिखे थे ,तो उनके पुरोहित भला अत्यधिक पढ़..."

"यथा राजा तथा प्रजा "[राजा के अनुसार ही प्रजा होती है ]

           "यथा राजा तथा प्रजा "[राजा के अनुसार ही प्रजा होती है ] "राजा दिलीप सिंह " सयोग से कम पढ़े लिखे थे ,तो उनके पुरोहित भला अत्यधिक पढ़े क्यों होते ? परन्तु "राजा " के मन बिचार आया की ,क्यों न हम कुछ दान पुन्य करें ,परन्तु यह बत "राजा "को पत्ता थी, कि हमारे पंडितजी भी कम पढ़े लिखें हैं ,तो हम दान किसी योग्य ब्राह्मण को ही देंगें | दान देने की परिचर्चा की "भूदेव" से | भूदेव ने सोचा कि हम कुछ सोचते हैं कि यह धन हमें ही मिले ,एक तो हमने जीवन भर चाकरी की है ,इस राजा की और जब दान की बात आई है तो किसी विद्वान  को देगा -द्विज ने कहा कि हे राजन ! आपतो किसी विद्वान को दान देना चाहते हो, किन्तु आप भी तो अनभिग्य हो,"राजा" बोला  फिर हम क्या करें -आपको हम एक शलोक देते हैं -जो इस प्रकार से आपको समझा दे तो आप उसको विद्वान समझ लेना -"राजा "बोला अच्छी बात है -शलोक का भा समझो -शुक्लांबर्धरमदेवं-चान्दी का सिक्का है -उसका रंग सफेद है | शशि वर्णम चतुर भुजम-चार चोवन्नी बराबर एक रुपया [ये चतुर्भुज हो गए न ]-प्रसन्न वदनं ध्यायेत -जिस किसी को यह चान्दी का सिक्का मिल जायेगा वो प्रसन्न हो जायेगा | सर्व विघ्नोप शान्तये -किसी गरीब को चान्दी का सिक्का मिल जायेगा तो -उसकी उस दिन की बाधा समाप्त हो जाएगी | "राजा " सभी विद्वानों को आमंत्रित किया की जो भी हमारे इस शलोक का सही भाव हमें समझा देगा तो हम उसको आधाराज्य एवं आज्ञा का पालन हम करेंगें | सभी विद्वान आते गए और कारागार में राजा डालता गया  सभी ने भगवान विष्णु का भाव समझाए कारण यह शलोक विष्णु  का ही है ,यह भूदेव अति प्रसन्न हो रहे थे कि अब दान हमें ही मिलेगा | रत को जब भोजन कर रहे थे तो पत्नी ने पूछा कि आखिर सभी विद्वानों को राजा कारागार में क्यों डाल रहा है, जबकि शलोक भा भाव भी यही है -भूदेव भोले तुम्हारी समझ में नहीं आएगी -उस सभा में एक कम पढ़े लिखे पंडितजी थे उन्होंने कहा -हम तो देखने मात्र आये हैं -जब देख कि शलोक भी सही है भाव भी सही है तो फिर "राजा " अन्दर क्यों डाल देता है -रात्रि में  भूदेव के घर के पीछे रुक गए कि आज पत्ता चल जायेगा कि बात क्या है -पत्नी नहीं मानी, बोली आज तो आपको बताना ही पड़ेगा ,कि बात क्या है| भूदेव बोले कि हमने शलोक का भाव ही बदल दिया है -और कोई भी वो भाव नहीं बता सकता है ,पुनः "राजा " धन हमको दे देगा | अगले दिन वो पंडितजी जो सुन रहे थे सभा में पहुंचे ,एवं जबाब दिया -"राजा "प्रसन्न हुआ -राजा ने कहा अब हम आपकी आज्ञा का पालन करेंगें -पंडितजी बोले -सबसे पहले तुम सभी विद्वानों को स सम्मान भेज दो और हमसे -व्याकरण पढों -"राजा " बोला हम तो पढना ही चाहते थे ,व्याकरण पढ़ी -पंडितजी बोले अब अर्थ लगाओ -"राजा " बोला यह तो भगवान विष्णु का शलोक है ,हमने बहु पाप किया प्राश्चित करना चाहिए अपने राज्य का परित्याग किया -अध्यन -अध्यापन  के लिये राज्य को छोड़कर चला गया [भाव मित्र बंधुओं -हम किसी भी विद्वानों को या शास्त्रों को तभी समझ पायेंगें जब हम पूर्ण ज्ञान प्राप्त करेंगें ||          

              

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "लोभ से हित कम अहित विशेष होता है "

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "लोभ से हित कम अहित विशेष होता है ": " 'लोभ से हित कम अहित विशेष होता है ' लोभात क्रोधः प्रभती-लोभ से क्रोध उत्पन्न होता है | लोभात का..."

"लोभ से हित कम अहित विशेष होता है "

                                           "लोभ से हित कम अहित विशेष होता है "  
लोभात क्रोधः प्रभती-लोभ से क्रोध उत्पन्न होता है | लोभात काम प्रजायते-और लोभ से काम की भी उत्पत्ति होती है | लोभान मोहश्च नाशश्च -पुनः लोभ से मोह तथा मोह से हमारा नाश होता है | लोभः पापस्य कारणं-मित्रप्रवर संसार के सभी पापों की जड़ लोभ होता है | भाव -जो मिले उसे अपना भाग्य एवं परसाद समझकर स्वीकार कर लेना चाहिए ,इससे हमारा भविष्य सही रहता है |[राम -राम ]
=[care is d sweetest essence in d world If sum1says take care-It Means u live in that person's Heart till d best d last beat...gud mrng..]

रविवार, 31 अक्तूबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "आपकी "राशी "मासिक फल "[१-११से १-१२-२०१२ तक ]

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "आपकी "राशी "मासिक फल "[१-११से १-१२-२०१२ तक ]: " 'आपकी 'राशी 'मासिक फल '[१-११से १-१२-२०१२ तक ] मित्रप्रवर,'ज्योतिष सेवा सदन ' आपके लिये हर मास 'आपकी राशी 'मासिक फल' लेकर आके द्वार आता है ..."

"आपकी "राशी "मासिक फल "[१-११से १-१२-२०१२ तक ]

 "आपकी "राशी "मासिक फल "[१-११से १-१२-२०१२ तक ]
मित्रप्रवर,"ज्योतिष सेवा सदन " आपके लिये हर मास  "आपकी राशी "मासिक फल" लेकर आके द्वार आता है | अपनी अपनी राशी के अनुसार देखें.|
[१]-मेष -पराक्रम में उन्नति ,रोग संभव है ,दाम्पत्य सुख में क्लेश आ सकता है ,चोट का भय है ,भाग्योदय होगा ,आय का साधन बनेगा ,[हनुमानजी की उपासना जरुर करें ]
[२]-ब्रिष -धन ,संतान ,शत्रुओं से साबधान रहें कष्ट संभव है |पत्नी से विवाद न करें ,भाग्य ,कर्मक्षेत्र ,एवं मित्रों से लाभ संभव है [शुक्रवार को सफेद वस्तुओं का दान करें ]
 [३]-मिथुन -मानसिक क्लेश होगा ,संपत्ति ,वाहन तथा भाग्य के क्षेत्र में उन्नति होगी ,घर में विवाद न करें ,अनायास भ्रमण करना पड़ेगा [बुद्धवार को हरि सब्जी किसी भूदेव को जरुर दें]
[४]-व्यय होगा पराक्रम एवं मित्र बंधुओं से लाभ होगा ,संपत्ति वाहन अभि न लें ,संतान से ख़ुशी मिलेगी ,रोग से पदेशन हो सकते हैं [सोमवार को दूध का दान करें ]
 [४]-सिंह -धन का लाभ और नुकशान भी होगा ,प्रभाव क्षेत्र उत्तम रहेगा ,संतान से चिंतित हो सकते हैं ,घर में शांति का आभास होगा ,[रविवार ,और शनिवार को गुड का दान करें ]
[५]-कन्या -काम देर से होगा किन्तु उत्तम होगा ,धन का लाभ होगा ,संपत्ति वाहन अभि न लें ,शत्रुता न करें ,आय के लिये चिंतित न हों [बुद्ध या शनिवार को मुंग की दाल दान करें ]
[७]-तुला -मानसिक क्लेश रहेगा ,धन एवं संपत्ति का योग है ,पराक्रम में अवनति संभव है,संतानों से ख़ुशी मिलेगी ,भाग्य में मिला जुला असर रहेगा [शुक्रवार को साबूदाना का दान करें]
[८]-वृश्चिक -उन्नति होगी ,धन का लाभ होगा ,प्रभाव क्षेत्र को मजबूत करें ,माता ,संपत्ति एवं वाहन के लाभ होंगें [मंगलवार को केला या चने खिलाएं बंदरों को]
 [९]-धनु -मन को प्रसन्न रखें ,प्रभाव क्षेत्र में चिंतित न हों ,घर में कोशिश करें की विवाद न हो ,स्थान परिवर्तन का योग है ,कुछ नई वस्तु लायेंगें [शनिवार और गुरवार को कुत्ते को दूध जरुर पिलायें ]
[१०]-मकर -धन का आगमन होगा ,शत्रु  परास्त होगा,संतान से लाभ होगा ,रोग संभव है ,भाग्योदय होगा ,विशेष पद की प्राप्ति संभव है [शनिवार को लोह निर्मित किसी वस्तु का दान करें ]
[११]-कुम्भ -मन को शांत रखें ,संपत्ति ,वाहन, एवं माता से मधुरता बनाये रखें ,संतान से क्लेश होगा ,स्वास्थ पीड़ा संभव है ,भाग्य से लाभ होगा ,कर्मक्षेत्र  में उन्नति होगी [शनिवार को काले चने का दान करें ]
[१२]-संपती वाहन का योग भी है और नहीं भी ,शत्रुता न  करें ,उदर रोग संभव है ,भाग्य आपका इंतजार कर रहा है ,कर्म क्षेत्र में उन्नति होगी ,खर्च का विशेष योग है [चने की दाल एवं गुड गाय को खिलाएं गुरुवार को ]
 भवदीय  निवेदक -ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "मेरठ |
संपर्क सूत्र -०९८९७७०१६३६.०९३५८८८५६१६.   

 
 


 

 



  

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jyotish seva sadan"jha shastri": jyotish seva sadan "jha shastri": "'ज्योतिष सेवा सदन ' निरंतर आपकी सेवा में तत्पर रहता हैं | रात्रि ८ से ९ ऑनलाइन जीमेल पर [दोस्ती से ]-निःशुल्क एवं निःसंकोच | [१]-आप हमारी सह..."

शनिवार, 30 अक्तूबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "धन से ही धर्म होता है" [सम्प्रति ]

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "धन से ही धर्म होता है" [सम्प्रति ]: " 'धन से ही धर्म होता है' [सम्प्रति ] आज के समय में ' धन ' के विना बहुत से कार्ज़ नहीं हो सकते हैं ,अतः हमें 'धन ' का प्रयत्न धा..."

"धन से ही धर्म होता है" [सम्प्रति ]

              "धन से ही धर्म होता है" [सम्प्रति ]
आज के समय में " धन " के विना बहुत से कार्ज़ नहीं हो सकते हैं ,अतः हमें "धन " का प्रयत्न धार्मिक बिचार से भी करने चाहिए | दीपावली  का उत्सव हो और यंत्र ,मन्त्र एवं तंत्रों की परिचर्चा न करें ,तो थोड़ी सुन्दरता काम हो जाएगी -आइये कुछ "शास्त्रों का मत भी जानने की कोशिश करते हैं -कार्तिक मास में भगवान -लक्ष्मी नारायण की उपासना जो भी कोई करता है -उसको "धन ,संतान ,संपत्ति अर्थात नाना प्रकार के सुख मिलते हैं ,और यह सुख जन्म जन्मान्तर तक चलता रहा है |-इस समय यदि -जो द्विज होते हैं ,उनको वैदिक मत का अनुशरण करना चाहिए ,और जो द्विज नहीं हैं -उनको पोराणिक मत का अनुशरण करना चाहिए |-इससे आप दोष मुक्त हो जायेंगें -तथा जिस -जिस कामना से अनुष्ठान करेंगें वो सभी कामनाएं पूरी होंगीं |-यदि आप सात्यिक पूजा करते हैं ,तो विचार भी सात्यिक रखें ? और यदि तामसिक पूजा करते हैं तो तामसिक प्रवृति रखनी पड़ेगी |- मेरे विचार से -सात्विक पूजा ही निरंतर सुख प्रदान करती है -यदि आप -१११ दीपों का श्रीसूक्त से दीपदान किसी द्विज से कराते हैं -३ दिन तो कभी भी व्यापर में हानी नहीं होगी | [२]-यदि आप जप में यकीन रखते हैं ,तो सवा लाख "माँ लक्ष्मी " के जप करने या कराने से -सभी कार्जों में उन्नति होगी | -यदि आप सक्षम नहीं हैं किसी भी अनुष्ठान को कराने में तो -इस मन्त्र के साथ 11दीपों का दान ४०दिन करने या केवल २१ दिन करने य३ दिन में करने से ही माँ लक्ष्मी की अनुकम्पा होती है -ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमलये कमलालये प्रसीद -प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महा लक्ष्म्यै नमः || -यह मन्त्र सात्यिक प्रवृति के लोग ही अपनाएं | जो तामसिक हैं -वो -ॐ या देवी सर्व भूतेषु लक्ष्मी रुपें संस्थिता ,नमस्तस्यै नमस्तस्यै  नमस्तस्यै  नमो नमः || -यदि हम जल में १११ दोपों का दान इन्हीं मन्त्रों से जल में करते हैं तो और भी विशेष लाभ होता है.[व्यापर , नौकरी  के लिये यह उपाय अति उत्तम होता है || इति श्री ||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री [मेरठ ]
संपर्क सूत्र -०९८९७७०१६३६.०९३५८८८५६१६.

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": चिट्ठाजगत संकलक का आधिकारिक चिट्ठा: [सूचना] पंजीकर...

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": चिट्ठाजगत संकलक का आधिकारिक चिट्ठा: [सूचना] पंजीकर...: "चिट्ठाजगत संकलक का आधिकारिक चिट्ठा: [सूचना] पंजीकरण विधि व अधिकृत करें प्रक्रिया Step by Step"

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "धन से अहित भी होता है"

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "धन से अहित भी होता है": " 'धन से अहित भी होता है' योवनम धन संपत्तिः, प्रभूतं अबैकिता | एकैकमपि नार्थय,किमु यत्र चतुष्टयं || मित्रप्रवर-धन के विना बहु..."

"धन से अहित भी होता है"

                 "धन से अहित भी होता है"
योवनम धन संपत्तिः, प्रभूतं अबैकिता |
एकैकमपि नार्थय,किमु यत्र चतुष्टयं || मित्रप्रवर-धन के विना बहुत से कार्ज हम नहीं कर पाते हैं ,किन्तु  यही धन हमारा अहित भी करता है -शास्त्रकारों का मत है  -यदि युवावस्था में किसी यवक को विशेष धन ,संपत्ति ,प्रभुता और एकता  की प्राप्ति हो जाय तो वो यवक विगड भी जाता है [अर्थात वो वही करता है ,जो उसको अच्छा लगता है ]-राम -राम |   
  -२- "NEVER CONCLUDE A PERSON WITH HIS PRESENT POSITION,B'COZ timeHAS THE POWER TO CHANGE A INVALUABLE COAL INTO A VALUABLE DIAMOND"GD MRNG"



शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010

चिट्ठाजगत संकलक का आधिकारिक चिट्ठा: [सूचना] पंजीकरण विधि व अधिकृत करें प्रक्रिया Step by Step

चिट्ठाजगत संकलक का आधिकारिक चिट्ठा: [सूचना] पंजीकरण विधि व अधिकृत करें प्रक्रिया Step by Step

चिट्ठाजगत संकलक का आधिकारिक चिट्ठा: मेरा चिट्ठा चिट्ठाजगत पर क्यों नहीं दिख रहा है?

चिट्ठाजगत संकलक का आधिकारिक चिट्ठा: मेरा चिट्ठा चिट्ठाजगत पर क्यों नहीं दिख रहा है?

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": अन्न का अपमान न करें ?

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": अन्न का अपमान न करें ?: " अन्न का अपमान न करें ? अन्नं व्रह्मा रसो विष्णु ,भोगता च जनार्दनः | एवं ज्ञात्वा महादेवो,अन्न दोषों न लिप्यते || मित्रप्रवर- अन्न क..."

अन्न का अपमान न करें ?

        अन्न का अपमान न करें ?
अन्नं व्रह्मा रसो विष्णु ,भोगता च जनार्दनः |
एवं ज्ञात्वा महादेवो,अन्न दोषों न लिप्यते || 
मित्रप्रवर- अन्न के विना  हम जी नहीं सकते हैं -तो हमें अन्न को प्रसाद समझकर ग्रहण करना चाहिए -अन्न =व्रह्मा हैं ,उसका जो रस है- वो विष्णु हैं -एवं जो ग्रहण करते हैं -वो जनार्दन हैं -यह भगवान का प्रसाद है यह समझकर जो भोजन करते हैं -उनको अन्न का दोष नहीं लगता है [हमारा ध्येय यह होना चाहिए ,कि कोई भी भूखा न रहे, इसलिए  हम उतना ही अन्न ग्रहण करें,जितने से हमारा जीवन चल सकता हो ]-राम -राम -   
[If everyone is happy with u..Then surely u have made compromises in your life,If u are happy with everyoun surely u ve ignored many faults of others..-Good Morning-]

गुरुवार, 28 अक्तूबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "एक ही चाँद सम्पूर्ण संसार को प्रकाश देता है न किअ...

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "एक ही चाँद सम्पूर्ण संसार को प्रकाश देता है न किअ...: " 'एकशचन्द्रःतमोहन्ति न च ताराशतान्यपी' मित्रप्रवर ='एक ही चाँद सम्पूर्ण संसार को प्रकाश देता है, न किअशंख्य ताराएँ 'भाव - ब..."

"एक ही चाँद सम्पूर्ण संसार को प्रकाश देता है न किअशंख्य ताराएँ "

                "एकशचन्द्रःतमोहन्ति न च ताराशतान्यपी"
  मित्रप्रवर ="एक ही चाँद सम्पूर्ण संसार को प्रकाश देता है, न किअशंख्य ताराएँ "भाव - बहुत पुत्रों से क्या होना है ,एक ही पुत्र हो ओउर कामयाब हो,हम सभी अच्छे बनें ,जिससे चाँद की तरह ,देदीप्यमान आभा से, सम्पूर्ण संसार को प्रकाशित करते रहें |-[राम -राम ]
=२=
 This quote Has Inspired Me 2 work Hard & Realized Value of Time "EVERY DROP OF SWEAT AT YOUNG AGE WIL REDUCE OUR TEN DROPS OF TEARS IN OLD AGE...

बुधवार, 27 अक्तूबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "मंगली दोष,एवं मिथिला "

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "मंगली दोष,एवं मिथिला ": " 'मंगली दोष,एवं मिथिला ' मंगली दोष का नाम सुनते ही आप भयभीत क्यों हो जाते हैं ? संसार में हर वस्तु का निदान है,तो फिर आइये जानने ..."

"मंगली दोष,एवं मिथिला "

            "मंगली दोष,एवं मिथिला "
मंगली दोष का नाम सुनते ही आप भयभीत क्यों हो जाते हैं ? संसार में हर वस्तु का निदान है,तो फिर आइये जानने की कोशिश करते हैं ,कि हम "मंगली दोष क्या है एवं किसे कहते हैं ,तथा इसका निदान क्या है.|- कुंडली के द्वादश भाव होतेहैं -१,४,७,८.१२ -इन स्थानों में यदि मंगल ग्रह विराजमान हो तो "मंगली" दोष होता है ,किन्तु इन्ही स्थानों में "शनि" विराजमान हो तो यह दोष स्वतः ही निष्फल हो जाता है ,  और भी बहुत से मत हैं जिनसे यह दोष स्वतः ही समाप्त हो जाता है -परन्तु यह बात जरुर है ,कि मंगला यदि बालक हो तो मंगली ही बालिका से विवाह होना चाहिए |-शाब्दिक शव्दों में यदि कहें तो -मंगली दोष का अर्थ है २ विवाह के योग होना -सनातन धर्म को मानने वाले -इस कारण से बिचलित हो जाते हैं |-यदि मंगली दोष है और [१]-या तो मंगला लड़का न मिले  [२]-मंगली दोष है और लड़की न मिले मंगली| इस स्थिति में -शाश्त्रकारों ने -मंगली दोष का निदान कई प्रकार से बताये हैं -[१]-लड़का विवाह "कुम्भ" से कर दिया जाये |-[२]-लड़की का विवाह "शालिग्राम " से करा दिया जाये ,परन्तु यह विदित विवाह से पूर्व और गुप्त होने चाहिए |-परन्तु हमारा अपना अनुभव है ,कि मंगली दोष में २ विवाह अर्थात शारीरिक सम्बन्ध २ से जरुर होते होते हैं | - [जो यकीन नहीं करते वो अनुभव करके देख लें ,]हम जब मंगली दोष का निदान की बात कर ही रहे हैं, तो "मिथिला" की बात जरुर आएगी ,क्योकि सम्पूर्ण संसार के शास्त्र और "मिथिला " के व्यवहार यथाबत हैं | "मैथिलों " की परम्पराओं में  चाहे कोई मंगली हो या न हो -बर-  बधुओं का जब भी विवाह होता है ,तो निदान तत्काल [आम और महुआ के पेड़ से विवाह करा दिया जाता है ]-किया जाता है | भाव -जरुरत है अनुभव की, सही सोच की ,यह जो धरोहर हमारे पूर्वजों ने हमें दिए ,हम उसका अनुकरण करें ,उस पथ पर चलें ,और साथ ही सभी को सही समझें ,समझाएं |
भवदीय -निवेदक "झा शास्त्री "[मेरठ ] 

jyotish seva sadan"jha shastri": ""अनुभव और निदान , ज्योतिष एवं कर्मकांड "

jyotish seva sadan"jha shastri": ""अनुभव और निदान , ज्योतिष एवं कर्मकांड ": " ' अनुभव और निदान,ज्योतिष एवं कर्मकांड ' ज्योतिष किसी विशेष व्यक्ति के लिए नहीं बनायीं गयी है | ज्योतिष विद्या का..."
ज्योतिष सेवा सदन निवेदक ="झा शास्त्री 
किशनपुरी धर्मशाला देहली गेट मेरठ [उ0प0] 

संपर्कसूत्र-९८९७७०१६३६.९३५८८८५६१६. 

jyotish seva sadan"jha shastri": jyotish seva sadan "jha shastri"

jyotish seva sadan"jha shastri": jyotish seva sadan "jha shastri": "'ज्योतिष सेवा सदन ' निरंतर आपकी सेवा में तत्पर रहता हैं | रात्रि ८ से ९ ऑनलाइन जीमेल पर [दोस्ती से ]-निःशुल्क एवं निःसंकोच | [१]-आप हमारी सह..."

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": " जिन उपदेशों से सभी का कल्याण हो ?उसी का नाम "हित...

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": " जिन उपदेशों से सभी का कल्याण हो ?उसी का नाम "हित...: " ' जिन उपदेशों से सभी का कल्याण हो ?उसी का नाम 'हितोपदेश' होता है ' कभी -कभी हम बहुत ही उदास हो जाते हैं ,और हमें कोई रास्ता नजर नही..."

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "हमें चिंता नहीं चिंतन करने चाहिए "

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "हमें चिंता नहीं चिंतन करने चाहिए ": " 'हमें चिंता नहीं चिंतन करने चाहिए ' विधाता हमारे भाग्य की रचना, गर्भ में ही निर्धारित करते हैं -आयु ,कर्म ,वित्त ,विद्या ..."

"हमें चिंता नहीं चिंतन करने चाहिए "

                   "हमें चिंता नहीं चिंतन करने चाहिए "
विधाता हमारे भाग्य की रचना, गर्भ में ही निर्धारित करते हैं -आयु ,कर्म ,वित्त ,विद्या ,निर्धनता | हम चिंतन के द्वारा कुछ परिवर्तन कर सकते हैं,परन्तु बदल नहीं सकतेहैं | अतः हमें चिंतन [मनन ] करने चाहिए न की चिंतित होने चाहिए | -"राम -राम"
=[2]-Very short but much truthful lines by charlie chaplin"Mirror is my best friend,Because when I cry it never laughs!"-Good Morning-

मंगलवार, 26 अक्तूबर 2010

" जिन उपदेशों से सभी का कल्याण हो ?उसी का नाम "हितोपदेश" होता है "

        " जिन उपदेशों से सभी का कल्याण हो ?उसी का नाम "हितोपदेश" होता है "
कभी -कभी हम बहुत ही उदास हो जाते हैं ,और हमें कोई रास्ता नजर नहीं आता है ,तो हम क्या करें -"अनुकरण " जी हाँ संसार में जितने भी जीव हैं उसमें "मानव को ही विवेक होता है और उस विवेक के मार्ग पर चलकर ही हम उपदेश देते हैं | "संस्कृत साहित्य " में कई इस पर्कार के ग्रन्थ हैं जिनका अनुकरण करके हम अपनी मानवता की पहचान बनाते हैं | पंडित विष्णुदत्त शर्मा नाम के कोई विद्वान हुए ,और शिक्षित तो थे ही साथ ही शिक्षा भी प्रदान करते थे,संयोग से एक "राजा" उनकी पाठशाला के नजदीक से गुजर रहे थे ,तो उन्होंने -पाठशाला में जो बालकों को "आचार्य जी " पढ़ा रहे थे वो श्लोकों को सुने -" अर्था गमो नित्य मरोगिता च प्रिय च भार्या पिर्वदिनी च | भाव -जिनके जीवन में ये  वस्तुएं मिल जाती हैं वो सबसे धनी होता है - वो क्या है -जिनको धन रोज प्राप्त होते हैं | जिनका आरोग्य नित्यप्रति सुन्दर रहता है | जिनकी पत्नी देखने में अति सुन्दर हो ,एवं प्रिय बोलने वाली हो | जिनका पुत्र उत्तम हो .साथ ही कुलको ताड़ने वाले हों ? -"राजा "ने दूसरा शलोक यह सुना = आहार निद्रा भय मैथुनांच, सामान्य मेतत पशुभि सामना - भाव -आहार हम भी लेते हैं -पाश भी लेते हैं | निद्रा भी यथाबत  है | भय -डर भी एक समान होता है | मैथुन भी यथाबत | ये सारी प्रक्रियाएं समानवत होते हैं -तो फिर अंतर क्या है -मनुष्य को यह पत्ता है कि यह मेरी माँ है ,वहिन है, भाभी है, अर्थात ज्ञान होता है विवेक होता है ,परन्तु -पशुओं में यह विवेक का आभाव होता है | यह श्लोकों को सुनने के वाद-"राजा ने निश्चय किया कि हम भी अपने सभी ७ पुत्रों को शिक्षित करेंगें -अन्यथा ये हमारे पुत्र पशुओं कि भांति रहेंगें [संयोग से सभी प्रेम वश अनपढ़ थे ] -"राजा "ने पंडित जी से निवेदन किया कि आप हमारे पुत्रों को शिक्षित करें-अन्यथा ये हमारे ही शत्रु हो जायेंगें ,और यदि ये अनपढ़ रहे तो राज्य नष्ट हो जायेगा | "राजा "का आदेश भला कोन ताल सकता है तो उन्होंने निश्चय किया कि हम इन बालकों को शिक्षित करेंगें ,परन्तु यह भी डर था कि ये सभी अनपढ़ हैं इनको पढ़ना तो बहुत ही कठिन है -इन बालको को पढ़ने के लिये -एक ग्रन्थ कि रचना कि नाम था "हितोपदेश " छोटी -छोटी बातो से इनलो शिक्सित कीये -राजा प्रसन्न हुए -भाव -हर समस्या का समाधान हो सकता है ,जरुरी है अपने विवेक का उपयोग करने कि अनुठा हम मनुष्य ,पढ़े लिखे होने के वाद भी सही कोशिश नहीं करते हैं ,जिस कारण से हम दुखी भी होते है |
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री "मेरठ |

"कर्मकांड की पाठशाला "

                                                   "कर्मकांड की पाठशाला "
          अनभ्यासे विषम विद्या -अभ्यास नहीं करने पर  विद्या विष के सामान हो जाती है  |अजिरने भोजनं विषम -अत्यधिक भोजन करने पर भोजन भी जहर के सामान हो जाता है | विषम सभा दरिद्र्सय -जानते हैं ,विद्वानों की सभा में कोई अनपढ़  हो तो ?दुश्कलो मानिनो विषम -और जब मन खिन्न रहने लगे तो वो भी विष के सामान हो जाता है.|

सोमवार, 25 अक्तूबर 2010

Good Morning

If the ist button of a shirt is wrongly put,allthe rest are surely crooked.So always be careful onur ist step.rest'll come correct automaticaly-GM.  "किम सत्यम "=सत्य क्या है |
जीव जबसे माँ के गर्भ में आते हैं ,तो साकार "हरि " से होते हैं ,और जब तक जीते हैं ,तब भी "हरि "की कृपा पर ही जीते हैं ,जब चलने का समय आता है -तब भी " हरि "ही साथ होते हैं ,परन्तु जब से जीव भूमंडल पर आते हैं -माता पिता ,भाई बंधुओं ,परिजनों से सम्बन्ध बनते हैं -या तो ये हमें छोर देते हैं ,या हम? इसलिए "हरि "ही सत्य है और संसार झूठा है |

"किम सत्यम "=सत्य क्या है |

                                                  "किम सत्यम "=सत्य क्या है |
जीव जबसे माँ के गर्भ में आते हैं ,तो साकार "हरि " से होते हैं ,और जब तक जीते हैं ,तब भी "हरि "की कृपा पर ही जीते हैं ,जब चलने का समय आता है -तब भी " हरि "ही साथ होते हैं ,परन्तु जब से जीव भूमंडल पर आते हैं -माता पिता ,भाई बंधुओं ,परिजनों से सम्बन्ध बनते हैं -या तो ये हमें छोर देते हैं ,या हम? इसलिए "हरि "ही सत्य है और संसार झूठा है |

रविवार, 24 अक्तूबर 2010

"कर्मकांड का पथ,और" हमारा सच " =काव्य शास्त्र विनोदेन-जो अच्छे विचार के लोग होते हैं ,उनका समय किसी -काव्य शास्त्र और विनोद में व्यतीत होता है |कालो गच्छति धीमताम-प्रायः उनका समय भी बहुत धीमी गति से व्यतीत होता है | व्यसनेन च मुर्खानं -और जो लोग व्यसन इत्यादि में अपना समय व्यतीत करते हैं,निद्रया कल्हेन्वा-उनका समय निद्रा और कलह में बीत जाता है ,और पत्ता ही नहीं चलता है | Charlie Chaplin said "Life laughs at you when you are unhappy,Life smiles at you when you are happy,But Life salutes you when make others happy"

"कर्मकांड का पथ,और" हमारा सच "

                                         




   "कर्मकांड का पथ,और" हमारा सच "
          =काव्य शास्त्र विनोदेन-जो अच्छे विचार के लोग होते हैं ,उनका समय किसी -काव्य शास्त्र और विनोद में व्यतीत होता है |कालो गच्छति धीमताम-प्रायः उनका समय भी बहुत धीमी गति से व्यतीत होता है | व्यसनेन च मुर्खानं -और जो लोग व्यसन इत्यादि में अपना समय व्यतीत करते हैं,निद्रया कल्हेन्वा-उनका समय निद्रा और कलह में बीत जाता है ,और पत्ता ही नहीं चलता है |

Charlie Chaplin said "Life laughs at you when you are unhappy,Life smiles at you when you are happy,But Life salutes you when make others happy"

"कर्मकांड का पथ,और" हमारा सच "

                                               "कर्मकांड का पथ,और" हमारा सच "
          =काव्य शास्त्र विनोदेन-जो अच्छे विचार के लोग होते हैं ,उनका समय किसी -काव्य शास्त्र और विनोद में व्यतीत होता है |कालो गच्छति धीमताम-प्रायः उनका समय भी बहुत धीमी गति से व्यतीत होता है | व्यसनेन च मुर्खानं -और जो लोग व्यसन इत्यादि में अपना समय व्यतीत करते हैं,निद्रया कल्हेन्वा-उनका समय निद्रा और कलह में बीत जाता है ,और पत्ता ही नहीं चलता है |