ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

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शुक्रवार, 8 जून 2012

ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{1}: "Have a nice day,Ram Ram,Namskar"

ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{1}: "Have a nice day,Ram Ram,Namskar": "Life is oneway road,We can see back,,     But can't go back,,So,Enjoy every second...         Because today's newspaper will be tomorrow...

"Have a nice day,Ram Ram,Namskar"

"Life is oneway road,We can see back,,
    But can't go back,,So,Enjoy every second...
        Because today's newspaper will be tomorrow's waste paper..!!
   By-"jha shastri" jyotish seva sadan-{Meerut-UP} 
                "Have a nice day,Ram Ram,Namskar"   
    free jyotish seva-8to9 pm all friends {once}
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बुधवार, 6 जून 2012

"देश-विदेश पाक्षिक ज्योतिष विचार -5-जून-से १९-जून २०१२ तक ?" ----अतिचारी गते जीवे शनौ वक्रत्व भागते | हा! हा !!, भूतं जगत्सर्वं रुण्ड मुंडा च मेदिनी || -----भाव -गुरु अतिचारी एवं शनि वक्री नव पंचम योग में अति नष्ट है -{-अर्थात उत्तम नहीं है } | इस योग के कारण- मास पर्यंत विश्व के किन्हीं देशों में -रुण्ड -मुंड लुढ़कते नजर आयेंगें -अर्थात -आततायी लोग परास्त होंगें | पश्चिम के देशों में तनाव बढेगा |नेपाल ,चीन ,मंगोलिया ,पाकिस्तान ,अफगानिस्तान ,ईरान ,इराक एवं साउदीअरब में भारी हलचल होगी | यूरोपियन देश एशिया के देशों पर दबाब बनाने का प्रयास करेंगें | सीमाओं पर तनाव बढेगा |भारतीय राजनीति में उठा -पटक जारी रहेगी |चुनावी सरगर्मी बढ़ेगी |मंदिर ,मस्जिद ,गुरुद्वारा -धार्मिक विवाद लडाई के केंद्र में रहेगा |-- "एक रशो यदा यन्ति चत्वारः पंचखेचराः | प्लाव्यन्ति महीं सर्वा रुधिरेण जलें वा || ---भाव जब एक राशि में चार ग्रह होते हैं -तो पृथ्वी जल से या रक्त से रंजित हो जाती है अर्थात शांतिवार्ता ---निष्फल हो सकती है || तेजी मंदी -समय उत्तम होने के कारण -बाजार का रुख नरम रहेगा ----सोना ,चांदी ,मशीनरी ,वाहन ,पेयपदार्थ, फल फूल ,सब्जियों के भावों में बढ़ोत्तरी होगी | शेयर शर्राफामें दोतरफा चाल होगी || आकाश लक्षण -शुक्रोदय के प्रवाव -से आंधी- तूफान ,मेघाडंबर के साथ -साथ बूंदा -बूंदी होगी | तापमान वृद्धि के कारण लोग पीड़ित होंगें | सौर धब्बों का प्रकोप विश्व में भारी क्षति का लक्षण होता है || सदा याद रखें ---"अमंत्रामक्षरं नास्ति मूलं अनौषधम | अयोग्यः पुरुषाः नास्ति योजकः तत्र दुर्लभाः {राजधानी } भाव -संसार में कोई भी वस्तु निरर्थक नहीं है || भवदीय निवेदक --पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ उत्तर प्रदेश }

   "देश-विदेश पाक्षिक ज्योतिष विचार -5-जून-से १९-जून २०१२ तक ?"
 ----अतिचारी गते जीवे शनौ वक्रत्व भागते | हा! हा !!,
     भूतं जगत्सर्वं रुण्ड मुंडा  च मेदिनी ||
-----भाव -गुरु अतिचारी एवं शनि वक्री नव पंचम योग में अति नष्ट है -{-अर्थात उत्तम नहीं है } | इस योग के कारण- मास पर्यंत  विश्व  के किन्हीं देशों में -रुण्ड -मुंड लुढ़कते नजर आयेंगें -अर्थात -आततायी लोग परास्त होंगें | पश्चिम के देशों में तनाव बढेगा |नेपाल ,चीन ,मंगोलिया ,पाकिस्तान ,अफगानिस्तान ,ईरान ,इराक एवं साउदीअरब  में भारी हलचल होगी |  यूरोपियन देश एशिया के देशों पर दबाब बनाने का प्रयास करेंगें | सीमाओं पर तनाव बढेगा |भारतीय राजनीति में उठा -पटक जारी रहेगी |चुनावी सरगर्मी बढ़ेगी |मंदिर ,मस्जिद ,गुरुद्वारा -धार्मिक विवाद लडाई के केंद्र में रहेगा |--
  "एक रशो यदा यन्ति चत्वारः पंचखेचराः |
   प्लाव्यन्ति महीं सर्वा रुधिरेण जलें वा ||
---भाव जब एक राशि में चार ग्रह होते हैं -तो  पृथ्वी जल से या रक्त से रंजित हो जाती है  अर्थात शांतिवार्ता ---निष्फल हो सकती है ||
  तेजी मंदी -समय उत्तम होने के कारण -बाजार का रुख नरम रहेगा ----सोना ,चांदी ,मशीनरी ,वाहन ,पेयपदार्थ, फल फूल ,सब्जियों के भावों में बढ़ोत्तरी होगी | शेयर शर्राफामें दोतरफा चाल होगी ||
आकाश लक्षण -शुक्रोदय के प्रवाव -से आंधी- तूफान ,मेघाडंबर के साथ -साथ बूंदा -बूंदी होगी | तापमान वृद्धि के कारण लोग पीड़ित होंगें | सौर धब्बों का प्रकोप विश्व में भारी क्षति का लक्षण होता है ||
   सदा याद रखें ---"अमंत्रामक्षरं नास्ति मूलं अनौषधम |
                           अयोग्यः पुरुषाः नास्ति योजकः तत्र दुर्लभाः {राजधानी }
   भाव -संसार में कोई भी वस्तु निरर्थक नहीं है ||
भवदीय निवेदक --पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ उत्तर प्रदेश }

सोमवार, 4 जून 2012

ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{1}: "आज अल्पग्रास" चन्द्र ग्रहण" भारत में कहीं से भी न...

ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{1}: "आज अल्पग्रास" चन्द्र ग्रहण" भारत में कहीं से भी न...:    "आज अल्पग्रास" चन्द्र ग्रहण" भारत में कहीं से भी नहीं दिखाई देगा ?" दिनांक -४-०६-२०१२ सोमवार को दिन में अल्पग्रास चन्द्र ग्रहण भारत से ब...

"आज अल्पग्रास" चन्द्र ग्रहण" भारत में कहीं से भी नहीं दिखाई देगा ?"

   "आज अल्पग्रास" चन्द्र ग्रहण" भारत में कहीं से भी नहीं दिखाई देगा ?"
दिनांक -४-०६-२०१२ सोमवार को दिन में अल्पग्रास चन्द्र ग्रहण भारत से बाह्य पूर्व के देशों में होगा | भारतीय स्टें ० टा. के अनुसार ग्रहण दिन में ३ बजकर २९ मिनट से शुरू होकर सायं ५ बजकर  ३७ मिनट तक रहेगा |इस ग्रहण को -म्यानमार,थाईलेंड ,जापान ,आष्ट्रेलिया ,चीन ,पूर्वी रूस ,मलेशिया ,फिलीपींस,इंडोनेशिया ,उत्तर -दक्षिण अमेरिका ,मैक्सिको ,पेरू ,अर्जेंटीना ,आदि देशों में देखा जा सकेगा |
----भारत में ग्रहण कहीं से भी दिखाई नहीं देगा --देश के पूर्वी भाग असं ,मिजोरम  ,मेघालय ,अरुणाचल प्रदेश - आदि में चंद्रमा विरल छ्या में से होकर गुजरेगा ,जिसे वास्तव में ग्रहण नहीं माना जायेगा |
  भवदीय -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ उत्तर प्रदेश }

रविवार, 3 जून 2012

"शिखा के बिना आयु ,तेज ,बल ,ओज और पुरुषार्थ नष्ट हो जाते हैं ?"

   "शिखा के बिना आयु ,तेज ,बल ,ओज और पुरुषार्थ नष्ट हो जाते हैं ?"
-हिन्दुओं के प्रमुख सोलह संस्कारों में "चूडाकरण"या "चौल "एक विशेष संस्कार है |इसी संस्कार में आर्यजाति के प्रतीक अथवा मुख्य  जातीय चिन्ह स्वरूप "शिखा  धारण का विधान है | इसके धारण से आयु ,तेज ,बल ,ओज और पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है | पारस्कर ,आश्वलायन,बैखानस ,बौधायन ,अग्निवेश्य  ,आपस्तम्ब और जैमिनीय आदि गुह्य -सूत्र ग्रंथों में चुदकर्म के अंतर्गत शिखा रखने का श्पष्ट विधान मिलता है ||
---सिर के मध्य स्थित केश समूह ही चूड़ा कहलाता है | यही चूड़ा प्रधान शिखा मानी जाति है | वशिष्ठ गोत्र वाले मध्य शिखा से दक्षिण भाग में स्थित केश शिखा को चूड़ा कहते हैं | अत्रि और कश्यप गोत्र वाले मध्यभाग में स्थित शिखा के उभय पार्श्व {अगल -बगल }में स्थित केशों को शिखा कहते हैं ||
--उपनयन काल में मध्य शिखा के अतिरिक्त अन्य गौण शिखाओं के वपन का विधान "निर्णय सिन्धु "  में स्पष्ट रूप से पाया जाता है | महर्षि "हारित" कहते हैं --कि जो लोग मोह ,द्वेष या अज्ञानता से शिखा काट देते हैं ,वे "तप्तकश्छ"व्रत करने से शुद्ध होते हैं ||
--ब्रह्मण ,क्षत्रिय ,वैश्य को शिखा,सूत्र और हिन्दुमात्र को शिखा अवश्य धारण करनी चाहिए | बिना यज्ञोपवित और शिखा के हिन्दुओं का किया गया सभी सत्कार्य व्यर्थ हो जाता है और राक्षस कर्म कहलाता है ||
----शिखा के साथ बल ,बीर्य,आयुवृद्धि ,तेज और पराक्रम का गहरा सम्बन्ध है | इसलिए हिन्दुओं का यह सर्वोत्कृष्ट जातीय चिन्ह माना जाता है | जिस प्रकार फौजी सिपाहियों का फौजी वेश वीरता सूचक है | उसी प्रकार सिर के मध्य भाग में सुरक्षित सुस्थिर शिखा चिरंतन ,आर्य गौरव तथा हिंदुत्व की द्योतक  है |इसलिए शिखा रखना नितांत आवश्यक है ||
------वेदं और योगदर्शन के सिद्धांतों के अनुसार शिखा का अधः स्थित भाग ब्रह्मरंध्र माना गया है | इस ब्रह्मरंध्र  के ऊपर सहश्रदल कमल में अमृत रुपी ब्रह्मा का स्थान है |विधिपूर्वक किये गए वेदादि के स्वाध्याय और सविधि कर्मानुष्ठान से समुत्पन्न अमृतत्व का अतिक्रांत वायुवेग से सहश्रदल की कर्णिका से प्रविष्ट होता है ||
धर्मशास्त्रकारों ने कहा है -कि सनन ,दान ,जप ,होम ,संध्या ,स्वाध्याय और देवार्चन करते समय शिखा में ग्रंथि अवश्य लगानी चाहिए-------"स्नाने दाने जपे होमे संधयायाम देवतार्चने |
                 शिखा ग्रंथि सदा कुर्यादीत्येतन मनुरब्रबीत||
-----वैदिक विज्ञानं से यह बात सिद्ध है कि सर्वव्यापी परमेश्वर परमात्मा की अप्रमेय शक्ति को आकृष्ट करने का सर्वोतम साधन "शिखा -धारण "है |  भवदीय -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री |
        { मेरठ उत्तर प्रदेश }   

ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{1}: "कैरियर निर्माण हेतु -कुंडली का निरिक्षण अवश्य करे...

ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{1}: "कैरियर निर्माण हेतु -कुंडली का निरिक्षण अवश्य करे...:   "कैरियर निर्माण हेतु -कुंडली का निरिक्षण अवश्य करें ?" प्राचीन कल में शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान प्राप्ति होता था |विद्यार्थी किसी ...

"कैरियर निर्माण हेतु -कुंडली का निरिक्षण अवश्य करें ?"

  "कैरियर निर्माण हेतु -कुंडली का निरिक्षण अवश्य करें ?"
प्राचीन कल में शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान प्राप्ति होता था |विद्यार्थी किसी योग्य विद्वान के निर्देशन में विभिन्न प्रकार की शिक्षा ग्रहण करते थे |इसके  अतिरिक्त उसे शस्त्र सञ्चालन एवं विभिन्न कलाओं का प्रशिक्षण भी दिया जाता था |किन्तु वर्तमान समय में यह सभी प्रशिक्षण गौण हो गए हैं |शिक्षा की महत्ता बढ़ने व् प्रतिस्पर्धात्मक युग में सजग रहते हुए बालक के बोलने व् समझने लगते ही माता -पिता शिक्षा के बारे में चिंतित हो जाते हैं |कुछ वर्षों बाद सबसे बड़ी समस्या यही होती है कि कौन सा विषय पढ़ायें ,जिससे उनके बच्चे का भविष्य सुखमय हो ?
----{१}-सर्वप्रथम जातक के बचपन से ही उसकी कुंडली विषय की पढाई व् कैरियर चयन में सहायक होती है |
---{२}जातक की कुंडली से तय करना चाहिए कि वह नौकरी करेगा या व्यवसाय |
---{३}-जातक कि २० से ४० वर्ष की उम्र के बिच की ग्रहदशा का सूक्षम अध्ययन कर यह देखना चाहिए कि दशा किस प्रकार के कार्यक्षेत्र का संकेत दे रही है |
----{४}-आगामी गोचर या दशा कार्य क्षेत्र में तरक्की का संकेत दे रही है या नहीं ? इसका भी परीक्षण कर लेना चाहिए |
कुंडली में शिक्षा का योग -----जन्म कुंडली का नवम भाव धर्म त्रिकोण स्थान है ,जिसके स्वामी देव गुरु वृहस्पति हैं | यह भाव शिक्षा में महत्वाकांक्षा व् उच्च शिक्षा तथा उच्च शिक्षा किस स्टार कि होगी इसको दर्शाती है | यदि इसका सम्बन्ध पंचम से हो जाये तो अच्छी शिक्षा मिलती है ||
----शिक्षा का स्तर------जन्मकुंडली  का पंचम भाव बुद्धि ,ज्ञान ,कल्पना ,अतीन्द्रिय ज्ञान,रचनात्मक कार्य ,याददास्त व् पूर्वजन्म के संचित कर्म को दर्शाता है | यह शिक्षा के संकाय का स्तर तय करता है ||
-----शिक्षा किस प्रकार की होगी --------जन्मकुंडली का चतुर्थभाव मन का भाव है |यह इस बात का निर्धारण करता है कि आपकी मानसिक योग्यता किस प्रकार की शिक्षा में होगी |जब भी चतुर्थ भाव का स्वामी छठे ,आठवें या बारहवें भाव में गया हो या नीच राशि,अस्त राशि ,शत्रु राशि में बैठा हो व् करक ग्रह {चंद्रमा } पीड़ित हो तो शिक्षा में मन नहीं लगता है ||
-----शिक्षा का उपयोग -----जन्मकुंडली का द्वितीय भाव -वाणी ,धन ,संचय ,व्यक्ति की मानसिक स्थिति को व्यक्त करता है तथा यह दर्शाता है कि शिक्षा आपने ग्रहण कि है वह आपके लिए उपयोगी है या नहीं |यदि इस भाव पर पाप ग्रह का प्रभाव हो तो जातक शिक्षा का उपयोग नहीं करता है |
  जातक को बचपन से किस विषय की पढाई करवानी चाहिए ,इस हेतु हम मूलतः निम्न चार पाठ्यक्रम{ विषय } को ले सकते हैं --गणित ,जिव विज्ञानं ,कला और वाणिज्य -----
   {१}-गणित ---गणित के करक ग्रह बुध का सम्बन्ध यदि जातक के लग्न ,लग्नेश या लग्न नक्षत्र से होता है तो वह गणित में सफल होता है ||
 {२}-शनि एवं मंगल किसी भी प्रकार से सम्बन्ध बनायें तो जातक -मशीनरी कार्य में दशा होता है ||
---जीव विज्ञानं -सूर्य का जल राशिस्थ होना ,छठे एवं दशम भाव /भावेश के बीच सम्बन्ध ,सूर्य एवं मंगल का सम्बन्ध आदि चिकित्सा क्षेत्र में पढाई के करक होते हैं
---कला ------पंचम /पंचमेश एवं करक गुरु ग्रह का पीड़ित होना कला के क्षेत्र में पढाई का करक होता है | इन पर शुभ ग्रहों की दृष्टि पढाई प[उरी करवाने में सक्षम होती है ||
--वाणिज्य --लग्न /लग्नेश का सम्बन्ध बुध के साथ -साथ गुरु से भी हो तो जातक वाणिज्य की पढाई सफलता पूर्वक करता है ||
  आइये जानते हैं अच्छी शिक्षा के योग -----
{१}-द्वितीयेश या वृहस्पति केंद्र या त्रिकोण में हों |
{२}-पंचम भाव में बुध की स्थिति अथवा दृष्टि या बृहस्पति और शुक्र की युति हो |
{३}-पंचमेश की पंचम भाव में वृहस्पति या शुक्र के साथ युति हो ?
{४}-बृहस्पति ,शुक्र और बुध में से कोई भी केंद्र या त्रिकोण में हो ?
---नोट - शिक्षा की सलाह अपने -अपने पुरोहित जी आचार्यजी से लें और अपनी -अपनी संतानों को शिक्षा की सही राह दिखाएं ||
   भवदीय निवेदक -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ -उत्तर प्रदेश }
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