ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

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शनिवार, 4 दिसंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": HAVE A NICE DAY

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": HAVE A NICE DAY: "THE DIFFERENCE BETWEEN DREAM AND AIM, DREAM REQUIRES SOUNDLESS SLEEP TO SEE WHEREAS AIM REQUIRES SSLEEPESS EFFORTS TO ACHIEVE..GOOD..."

HAVE A NICE DAY

THE DIFFERENCE BETWEEN DREAM AND AIM,
   DREAM REQUIRES SOUNDLESS SLEEP TO SEE
   WHEREAS AIM REQUIRES SSLEEPESS EFFORTS TO
   ACHIEVE..GOOD EVENING[NAMASKAAR,RAM-RAM]
          JYOTISH SEVA SADAN NIVEDAK "JHA SHASTRI"
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शुक्रवार, 3 दिसंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri":      3 Great philosophies:                 [1]-Abi...

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": 3 Great philosophies:
[1]-Abi...
: " 3 Great philosophies: [1]-Ability can never remain hidden. [2]-No injury is deeper than insult. [..."
     3 Great philosophies:
                [1]-Ability can never remain hidden.
           [2]-No injury is deeper than insult.
           [3]-the birth of tension is the death of talent.
                       [HAVE A NACE DAY,RAM-RAM.]
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jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "यदि "शास्त्र" से काम चल जाय तो "शस्त्र" न उठायें ...

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "यदि "शास्त्र" से काम चल जाय तो "शस्त्र" न उठायें ...: "'यदि 'शास्त्र' से काम चल जाय तो 'शस्त्र' न उठायें ' 'विद्या शस्त्रस्य शास्त्र्य ,द्वे विद्ये प्रति पतत्ये '-जीवन यापन करने [जीने के ..."

"यदि "शास्त्र" से काम चल जाय तो "शस्त्र" न उठायें "

"यदि "शास्त्र" से काम चल जाय तो "शस्त्र" न उठायें "
        "विद्या शस्त्रस्य शास्त्र्य ,द्वे विद्ये प्रति पतत्ये "-जीवन यापन करने [जीने के लिये ]-के लिये शस्त्र और शास्त्रों की आवश्यकता पड़ती है| कभी -कभी जब शास्त्र से काम नहीं चलता है तो लोग शस्त्र भी उठा लेते हैं ,कियोंकि -"व्रह्म सत्यम जगन मित्थ्या" भगवान् को छोरकर संसार की सभी वस्तु असत्य है यह जानते हुए भी हमलोग असत्य वस्तु के लिये लड़ते हैं | इसमें गलती हमलोगों की नही होती है ,यह माया का दोष होता है ,वही हमें भर्मित करती है ,ज्ञानी पुरुष तो बच जाते हैं ,किन्तु अज्ञानी उलझे ही रहते हैं | आइये इस विषय में पूर्व कथा का अबलोकन करते हैं =दर्शन शास्त्र के अनुसार -मिथिला नरेश -महाराज "जनक " को भला कौन नहीं जाता है -वो राजा थे ,शस्त्र और शास्त्रों में इतना निपुण थे ,कि "अष्टावक्र " जैसी विभूति उनसे शास्त्रों कीजानकारी हेतु उनके पास आये -जब "अष्टावक्र " मिथिला की राज्य सभा में उपस्थित हुए तो लोगों ने उनका बहुत ही उपहास किया ,किन्तु इन्होंने जबाब शस्त्रों से नहीं शास्त्रों से दिया  ,की यदि हँसना ही है तो उस परमात्मा के ऊपर हंसो जिसने हमको बनाया है |उसी साम्राज्य में भगवान् " परुषराम" भी हुए जिन्होंने यह दिखाया कि जब शस्त्र से काम न चले तो शास्त्र उठाओ  किन्तु वो सक्षम थे जीवन देने में भी और लेने में भी | उसी सामराज्य का राजा "महाराजा जनक ने कभी भी शस्त्र नहीं उठाये राजा होते हुए भी || भाव मित्रप्रवर -हमें सभी कलाओं की जानकारी तो जरुर होनी चाहिए परन्तु प्रयोग हम उन्हीं कलाओं का करें जिससे किसी का अहित न हो ||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री"मेरठ [उ प ] 

गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": HAVE A NICE DAY

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": HAVE A NICE DAY: "'SUCCESS IS NEVER ACHIEVED BY THE SIZE OF YOUR BRAIN BUT IT IS ALWAYS ACHIEVED BY QUALITY OF YOUR -THOUGHT'HAVE A NICE DAY-[RAM -RAM]"

HAVE A NICE DAY

"SUCCESS IS NEVER ACHIEVED BY THE SIZE OF YOUR BRAIN BUT IT IS ALWAYS ACHIEVED BY QUALITY OF YOUR -THOUGHT"HAVE A NICE DAY-[RAM -RAM]

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "सार्थक या निरर्थक?महाकवि "की यह रचना "

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "सार्थक या निरर्थक?महाकवि "की यह रचना ": "'सार्थक या निरर्थक?महाकवि 'की यह रचना ' भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिये तमाम वस्तु उपलब्ध होने के वाद भी होशियार पाचक न हो तो स्वादिष्ट भोजन..."

"सार्थक या निरर्थक?महाकवि "की यह रचना "

"सार्थक या निरर्थक?महाकवि "की यह रचना "
भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिये तमाम वस्तु उपलब्ध होने के वाद भी होशियार पाचक न हो तो स्वादिष्ट भोजन का आनंद नहीं मिल पाता है -ठीक इसी प्रकार से मानव होने के वाद भी मानवता को हम नहीं समझ पाते हैं | आवागमन का जो मेला है उसमे हमलोग आते हैं ,और यूँ ही चले भी जाते हैं ,बाल्यकाल का तो पत्ता ही नहीं चल पाता है ,तरुण अवस्था तो मदोन्मत्त होने के कारण हम किसी की सुनते ही नहीं हैं ,जब प्रौढ़ होते हैं ,तो समय साथ नहीं देता है -जब हम पीछे मुर कर देखते हैं,तो समझ में ही नहीं आता कि इतना समय बीत गया ,और हमें पत्ता ही नहीं चला ? जी हाँ मित्र प्रवर -एक भौरा किसी पुष्प का पराग चूस रहा था ,उसको पत्ता ही नहीं चला कि जब शाम होती है तो जो कमल के पुष्प होते हैं, वो सिकुर भी जाते हैं | और हम चाहकर भी नहीं निकल पायेंगें ,संयोग से -शाम हुई ,और "भौरा "कमल रूपी पुष्प में सिकुर गया तो  -सोचने लगा -"रात्रिर गमिष्यति  भविष्यति सुप्रभातम =रात बीतेगी और सुन्दर सुवह होगी |"भास्वान उदिश्यती हसिस्यती पंक्जस्य =भगवान् सूर्य निकलेंगें और यह कमल के  पुष्प खिलेंगें ,अर्थात जब सूर्यास्त होता है तो कमल के पुष्प सिकुर जाते हैं और जब सूर्योदय होता है तो कमल के पुष्प खिलने लगते हैं [यही विशेषता कमल की है]"इत्थं बिचिन्त्य मति द्विरेफः="भौरा अपने मन में यही बिचार  कर ही  रहा था,कि क्या हुआ ,"हा हंत हंत गजनी ....इतनी ही देर में कोई हाथी आया और उस कमल के पुष्प को रोंद कर चला गया || महा कवि के महा ग्रन्थ  की इतनी बड़ी विशेषता होने के वाद भी आपको यत्न सम्मान नहीं मिला ||मित्र बंधुओं -यह महा "कविजीने "यह समझाने की कोशिश की है.की हमें काल रूपी जो पाश है उससे हम किस प्रकारसे  सजग हो सकते हैं||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री [मेरठ ]       
 

मंगलवार, 30 नवंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": भाग २="आपकी राशि मासिक फल "१-१२-२०१०से १-१-२०११तक ...

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": भाग २="आपकी राशि मासिक फल "१-१२-२०१०से १-१-२०११तक ...: "भाग २='आपकी राशि मासिक फल '१-१२-२०१०से १-१-२०११तक || [७]-तुला -स्वामी -शुक्र ,रंग -धबल ,स्वभाव -कूटनितिगय -मन प्रफुल्लित रहेगा ,धन का आगमन ह..."

भाग २="आपकी राशि मासिक फल "१-१२-२०१०से १-१-२०११तक ||

भाग २="आपकी राशि मासिक फल "१-१२-२०१०से १-१-२०११तक ||
[७]-तुला -स्वामी -शुक्र ,रंग -धबल ,स्वभाव -कूटनितिगय -मन प्रफुल्लित रहेगा ,धन का आगमन होगा ,संपत्ति ,वाहन तथा भवन लेने में कुछकुछ पडेशानी आ सकती है ,मान सम्मान का योग है ,संतान की तरफ से दिक्कत संभव है ,शत्रुता न करें ,दाम्पत्य सुख उत्तम रहेगा ,उदर रोग संभव है ,अनायास भरमन  का योग बनेगा ,कर्मक्षेत्र तथा पिता से लाभ संभव है ,आय विशेष होगी ,यदि संगती गड़बड़ है तो बच कर रहें || नोट -शिव की उपासना और चीनी दान करें ||
[८]-वृश्चिक -स्वामी -मंगल ,रंग लाल ,स्वभाव -आक्रामक -धन मिलने का योग है तो खोने का भी योग है ,प्रभाव क्षेत्र मजबूत होगा किन्तु देर से ,नौकरी ,पिता तथा कर्मक्षेत्र से लाभ होगा किन्तु देर हो सकती है ,संतान की चिंता बनी रहेगी ,शत्रुता होगी परन्तु जीत आपकी ही होगी ,घर में शांति से रहें ,क्रोध न करें ,स्वास्थ के लिये भी कुछ उत्तम नहीं है ,पतनी को पति से और पति को पतनी से लाभ होगा ,अनायास कर्मक्षेत्र में उन्नति होगी ,नया पद मिल सकता है ,आय का योग कुछ बिलम्ब से बनेगा ,गलत संगती से दूर रहें तो अच्च्छा  रहेगा || नोट "हनुमानजी " की उपासना करें या  मंगलवार को लाल वस्तु का दान करें||
[९]धनु -स्वामी -गुरु,रंग -पीला ,स्वभाव -मृदुभाषी -मन में कई प्रकार की चिंताए होंगी ,किन्तु मन को बिचलित न होने दें,धन ,कर्मक्षेत्र ,पिता से संघर्ष संभव है किन्तु लाभ होगा ,भाई बधुओं से प्रेम  कम मिलेगा ,संपत्ति ,वाहन ,मकान अभि न लें ,संतानों से लाभ का योग है ,शत्रुता होगी ,और लाभ भी मिलता रहेगा ,क्लेश से दूर रहें विशेषकर घर में ,स्वास्थ ठीक रहेगा ,भाग्योदय होने वाला है ,कूटनीति से लाभ का योग है ,अचल संपत्ति के ऊपर खर्च संभव है ||नोट -शनिवार को कुत्ते को दूध पिलायें और कुछ दान भी करें.||
[१० ]-मकर -स्वामी -शनि ,रंग- श्याम ,स्वभाव -मंद=भाग्य प्रतीक्षा कर रहा है लाभ का ,स्वास्थ सही होगा ,मित्र बन्धु  से न उलझें ,समय के साथ चलें ,संपत्ति ,वाहन मकान का योग तो है किन्तु लें अगले साल ,अपने परिजन ही शत्रु बन सकते हैं,अतः सभी पर यकीन न करें ,दाम्पत्य सुख मिलेगा ,विदेश यात्रा का योग है ,स्वास्थ के प्रति सचेत रहें ,अनायास लाभ होगा ,स्थान परिवर्तन का योग है ,आय का साधन बनेगा ,जेब को देखकर खर्च करें अन्यथा कमी पर जाएगी ||नोट -मंगलवार को मिष्ठान का दान करें ||
[११ ] -कुम्भ -स्वामी -शनि ,रंग -कला ,बिचार -समयानुसार =स्वास्थ उत्तम रहेगा ,धन का योग बिलम्ब से बनेगा ,संतानों से न उलझें ,शत्रुता का बिचार त्याग दें ,पद की गरिमा बनाये रखें ,भाग्य से लाभ का योग है ,शाशन पद से लाभ का योग है .आय का साधन कई प्रकार से बनेगा ,खर्च वीमारी  में संभव है ,यात्रा हो सकती है ,परिजनों से लाभ का भी योग है ,दाम्पत्य सुख मिल्सकता है ||गुरुवार को केले का दान करें ||
[१२ ]-मीन -गुरु ,रंग पीला ,स्वभाव -मनोनुकूल -मानसिक क्लेश संभव है ,नौकरी ,पिता ,से लाभ होगा ,रोग संभव है ,यात्रा सभलकर करें,संपत्ति या वाहन अभि न लें ,संतान से चिंतित शत्रु  परास्त होंगें,लाभ का अनेक साधन बनेंगें ,उदर रोग संभव है ,भाग्य  से लाभ होगा ,विदेश यात्रा संभव है,खर्च पर ध्यान दें ,किसी भी कार्ज़ को सोचकर करें ,|| गुरु की पूजा करें ,पिली वस्तु का दान करें ||      

रविवार, 28 नवंबर 2010

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "अपने भाग्य की सराहना आप स्वयं करें?"

jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "अपने भाग्य की सराहना आप स्वयं करें?": " 'अपने भाग्य की सराहना आप स्वयं करें?' विधाता की विशेषता यह है ,कि निर्माण भी करते हैं ,एवं नष्ट भी स्वयं करते हैं ,जो इस बात को जानते हैं..."

"अपने भाग्य की सराहना आप स्वयं करें?"

  "अपने भाग्य की सराहना आप स्वयं करें?"
विधाता की विशेषता यह है ,कि निर्माण भी करते हैं ,एवं नष्ट भी स्वयं करते हैं ,जो इस बात को जानते हैं वो इस पथ को छोरकर -श्री कृष्णः शरणम् मम " के पथपर चल देते हैं ,बहुत जानते हुए भी ,इस पथ  पर नहीं चल पाते हैं | >मित्र प्रवर -हम कुंडली के नवम भाव की जितनी भी विवेचना करें ,वो आपके भाग्य की सराहना के लिये काम होगा ,फिर भी एक प्रयास करने की कोशिश करते हैं | कुंडली के प्रथम ,पंचम एवं नवम भाव [स्थान ]को त्रिकोण कहते हैं यह सदा उत्तम फल ही ग्रहों के अनुसार प्रदान करते हैं |
यदि -मेष ,सिंह ,वृश्चिक राशी हो या सूर्य और मंगल नवम भाव में हों तो -शाशक,राजनेता ,संपत्ति ,वाहन और साथ ही जातक  दादागिरी  और प्रधान पद की आशक्ति रखने वाला होता है ,तथा इस सभी चीजों से युक्त भी होता है |-वृष ,तुला ,राशी हो साथ ही शुक्र और बुद्ध विराजमान हों तो जातक -संगीत प्रिय .लेखन क्षेत्र ,कूट नितिग्य ,स्वच्छ और धनवान होता है जातक |
-मकर कुम्भ यदि राशी हों साथ ही शनि विराजमान हों तो जातं का भाग्य विलम्ब से अवस्य बनता है ,लोह निर्मित ,संपत्ति युक्त ,भाग्यवान  किन्तु आलस्य से युक्त भी होता है |
धनु या मीन राशी हों गुरु विराजमान हों तो  तो जातक का भाग्य तो निम्न होता है ,किन्तु -स्वभाव का बहुत ही मजबूत ,संपत्ति से युक्त ,मान सम्मान से लिप्त ,तथा लोक प्रिय होता है |
जिनके भाग्य में राहू या केतु होते हैं वो ,विदेश यात्रा तो करते ही हैं ,समस्त वस्तुएं अनायास ही मिल जाती हैं |
भाव -यही घर एक कुंडली में सबसे उत्तम मना गाया है ,आपको लाभ  किस प्रकार से होगा ,किस क्षेत्र में काम करना चाहिए जिससे लाभ होगा , जब भी आप उदास हों तो जानकारी नवम भाव की करें ,तथा अपने सुन्दर कर्मों के द्वारा वर्तमान ,भूत.और भविष्य को सही करें |
भवदीय निवेदक "ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री मेरठ [उ प ]