
-आजीवन सदस्यता शुल्क -1100.rs,जिसकी आजीवन सम्पूर्ण जानकारी सेवा सदन के पास होगी ।। --सदस्यता शुल्क आजीवन {11.00- सौ रूपये केवल । --कन्हैयालाल शास्त्री मेरठ ।-खाता संख्या 20005973259-स्टेट बैंक {भारत }Lifetime membership fee is only five hundred {11.00}. - Kanhaiyalal Meerut Shastri. - Account Number 20005973259 - State Bank {India} Help line-09897701636 +09358885616
ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }
निःशुल्क ज्योतिष सेवा ऑनलाइन रात्रि ८ से९ जीमेल पर [पर्तिदिन ]
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---जिस दिशा में 'शुक्र "सम्मुख एवं जिस दिशा में दक्षिण हो ,उन दिशाओं में बालक ,गर्भवती स्त्री तथा नूतन विवाहिता स्त्री को यात्रा ...
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"Thought of the day-People R not beautiful as they look., As they walk., As they wear.. People R beautiful as they luy., As they ...
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"Shakespeare said " Laughing Faces do not mean dat dere is absence of sorrow! But it means dat dey have d abillity to deal wid it...
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"Thought of the day- When nails are growing we cut our nails, Not fingers,, Similarly when ego is rising,? We should cut ego! Not relat...
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भाग २="आपकी राशि मासिक फल "१-१२-२०१०से १-१-२०११तक || [७]-तुला -स्वामी -शुक्र ,रंग -धबल ,स्वभाव -कूटनितिगय - मन प्रफुल्लित रहेगा ,...
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कांग्रेस महासचिव -श्री राहुल गाँधी जी -प्रधान मंत्रीं बनेंगें ?" श्री राहुल गाँधी जी के लिए संवत -२०६८+२०६९ अर्थात सन -२०११ एवं २०१...
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"हर पल आपके साथ चलना चाहते हैं: Have a nice day : "Understand how beautifuly GOD keeps adding one more day at a time in ur l...
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Hamari seva se yadi aap mitr bandhun ko koi bhi labh milta hai to ham apni seva ko sarthak samjhengen.online seva ratri 8 se9 -facebook,ork...
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jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": Good morning : "IF YOU ARE HPLDING ON TO STONES IN YOUR HANDS, YOUR HANDS WILL NOT B...
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ज्योतिष सेवा सदन: "अद्भुत साहस,तकनीक के धनि होते हैं "वृश्चिक -राशि"... : "अद्भुत साहस,तकनीक के धनि होते हैं "वृश्च...
शनिवार, 27 नवंबर 2010
jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "आपके कृत्य कर्म का प्रतिफल है ? कुंडली का नवम भाव...
jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "आपके कृत्य कर्म का प्रतिफल है ? कुंडली का नवम भाव...: "'आपके कृत्य कर्म का प्रतिफल है ? कुंडली का नवम भाव ' मित्रप्रवर , 'ज्योतिष ' अपने जीवन का दर्पण है ,आप माने या न मानें -जिस प्रकार से सात स्..."
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ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ }
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शनिवार, नवंबर 27, 2010
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"आपके कृत्य कर्म का प्रतिफल है ? कुंडली का नवम भाव "
"आपके कृत्य कर्म का प्रतिफल है ? कुंडली का नवम भाव "
मित्रप्रवर , "ज्योतिष " अपने जीवन का दर्पण है ,आप माने या न मानें -जिस प्रकार से सात स्वर से अनंत राग बन जाते हैं ,ठीक उसी तरह से "कुंडली " के १२ भाव से ही जीव की समस्त गणना की जा सकती है | हमलोग कुछ ही परिश्रम से समस्त जानकारी कर लेते हैं ,किन्तु वास्तविकता तो यह है ,कि"ज्योतिष "एक सागर है ,कुछ जल निकाल लेने से सागर की महिमा को नहीं नापा जा सकता है | -कुछ प्रकाश डालने की कोशिश करते हैं ,और साथ ही उम्मीद भी करते हैं कि आपलोग उस पथ पर चलेंगें भी ?
-जब जातक माँ के गर्भ में आता है -अभिभावक -उसके भाग्य की सराहना करना शुरू कर देते हैं ,आपने पूर्व जन्म में जो भी सुन्दर कर्म कीये होंगें ,तो तत्काल आपको उसी क्रमानुसार फल मिलते जायेंगें ,एवं यदि आपने विपरीत कर्म कीये होंगें तो फल भी उसी क्रमानुसार मिलेंगें | यदि यही बात देखनी हो तो कुंडली के दशम भाव को कर्मक्षेत्र कहा जाता है ,और नवम भाव को भाग्य तो कर्म से पहले भाय की गणना होती है -इसका मतलब है कि जो आप कर रहे हैं वो वाद में मिलेगा ,और जो आपने पहले किया है -वो तत्काल मिल रहा है ,तो फिर हम आप चिंतित क्यों होते हैं -जो मिल रहा है उसे भगवान् का या अपने कृत्य कर्म का प्रसाद समझकर स्वीकार प्रसन्नता से क्यों नहीं करते हैं |-मान लो आपने अपने माता पिता की सेवा बहुत की थी तो आपकी संतान आपकी सेवा जरुर करेगी ,किन्तु हम लोग तत्काल सेवा का फल देखते हैं ,जो गलत है | -जिसने अपने पत्ती या पतनी से छल किया ho ,तो वही जातक मंगली या मंगला होते हैं ,और इस जन्म में पुनः यही योग लेकर आते हैं -यदि "हरि "की क्रिपा से इस जन्म पति या पतनी का धर्मं निभाते हैं तो दोष मुक्त हो जायेंगें ,अन्यथा पुनः संसार में आयेंगें और जायेंगें किन्तु इस दोष से मुक्त नहीं हो पायेंगें [और परिचर्चा हम कल करेंगें ]
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री"मेरठ |.
मित्रप्रवर , "ज्योतिष " अपने जीवन का दर्पण है ,आप माने या न मानें -जिस प्रकार से सात स्वर से अनंत राग बन जाते हैं ,ठीक उसी तरह से "कुंडली " के १२ भाव से ही जीव की समस्त गणना की जा सकती है | हमलोग कुछ ही परिश्रम से समस्त जानकारी कर लेते हैं ,किन्तु वास्तविकता तो यह है ,कि"ज्योतिष "एक सागर है ,कुछ जल निकाल लेने से सागर की महिमा को नहीं नापा जा सकता है | -कुछ प्रकाश डालने की कोशिश करते हैं ,और साथ ही उम्मीद भी करते हैं कि आपलोग उस पथ पर चलेंगें भी ?
-जब जातक माँ के गर्भ में आता है -अभिभावक -उसके भाग्य की सराहना करना शुरू कर देते हैं ,आपने पूर्व जन्म में जो भी सुन्दर कर्म कीये होंगें ,तो तत्काल आपको उसी क्रमानुसार फल मिलते जायेंगें ,एवं यदि आपने विपरीत कर्म कीये होंगें तो फल भी उसी क्रमानुसार मिलेंगें | यदि यही बात देखनी हो तो कुंडली के दशम भाव को कर्मक्षेत्र कहा जाता है ,और नवम भाव को भाग्य तो कर्म से पहले भाय की गणना होती है -इसका मतलब है कि जो आप कर रहे हैं वो वाद में मिलेगा ,और जो आपने पहले किया है -वो तत्काल मिल रहा है ,तो फिर हम आप चिंतित क्यों होते हैं -जो मिल रहा है उसे भगवान् का या अपने कृत्य कर्म का प्रसाद समझकर स्वीकार प्रसन्नता से क्यों नहीं करते हैं |-मान लो आपने अपने माता पिता की सेवा बहुत की थी तो आपकी संतान आपकी सेवा जरुर करेगी ,किन्तु हम लोग तत्काल सेवा का फल देखते हैं ,जो गलत है | -जिसने अपने पत्ती या पतनी से छल किया ho ,तो वही जातक मंगली या मंगला होते हैं ,और इस जन्म में पुनः यही योग लेकर आते हैं -यदि "हरि "की क्रिपा से इस जन्म पति या पतनी का धर्मं निभाते हैं तो दोष मुक्त हो जायेंगें ,अन्यथा पुनः संसार में आयेंगें और जायेंगें किन्तु इस दोष से मुक्त नहीं हो पायेंगें [और परिचर्चा हम कल करेंगें ]
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री"मेरठ |.
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शुक्रवार, 26 नवंबर 2010
jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": Good morning
jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": Good morning: "Tolerance is the Highest Degree of your Strenght,And the Desire to take revenge is the Firstsing of weakness...GM"
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शुक्रवार, नवंबर 26, 2010
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Good morning
Tolerance is the Highest Degree of your Strenght,And the Desire to take revenge is the Firstsing of weakness...GM
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गुरुवार, 25 नवंबर 2010
jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": 5birds sitting on tree, ...
jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": 5birds sitting on tree,
...: "5birds sitting on tree, 2decided to fly away, How many remain on tree?3?No ans is 5 There is lot of difference b..."
...: "5birds sitting on tree, 2decided to fly away, How many remain on tree?3?No ans is 5 There is lot of difference b..."
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गुरुवार, नवंबर 25, 2010
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5birds sitting on tree,
2decided to fly away,
How many remain on tree?3?No ans is 5 There is lot of difference between"Deciding"&"Doing".} Gud morng,
2decided to fly away,
How many remain on tree?3?No ans is 5 There is lot of difference between"Deciding"&"Doing".} Gud morng,
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गुरुवार, नवंबर 25, 2010
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मंगलवार, 23 नवंबर 2010
jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "जिनका अपमान हो समझो ,सम्मान मिलने वाला है ?"
jyotish seva sdan Nivedak "jha shastri": "जिनका अपमान हो समझो ,सम्मान मिलने वाला है ?": "'जिनका अपमान हो समझो ,सम्मान मिलने वाला है ?' कभी -कभी समकालीन जो बात या वस्तु होती है उसका हम उपहास करने में संकोच तनिक भी नहीं करते हैं ,प..."
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मंगलवार, नवंबर 23, 2010
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"जिनका अपमान हो समझो ,सम्मान मिलने वाला है ?"
"जिनका अपमान हो समझो ,सम्मान मिलने वाला है ?"
कभी -कभी समकालीन जो बात या वस्तु होती है उसका हम उपहास करने में संकोच तनिक भी नहीं करते हैं ,परन्तु कुछ काल के उपरांत खुद ही अपना लेते हैं -"चार्वाक" नाम के अलोकिक कवि हुए | पूरा काल में लोग सम्मान ,सत्य पथ , से जीते थे यही सबसे बड़ी संम्पत्ति होती थी -उस समय महा कवि "चार्वाक " ने एक युक्ति दी -यावत जीवेत सुखं जीवेत =जब तक जीवें सुख से जीवें ,ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत =चाहे ऋण ही क्यों न करना पड़े ,घी जरुर पीवें ,ततकाल उनका बहुत उपहास हुआ और आप संसार से विरक्त हो गए | समय बदला उनकी जो उक्ति थी -वो हम सब पर लागु हो गयी और हम लोग -मान ,प्रतिष्ठा ,सम्मान ,इसी को समझने लगें -चाहे कुछ भी हो-कर्ज ,लेना पड़े ,झूठ बोलना पड़े ,अपने दिखाबा के लिये | भाव मित्र बंधुओं वर्तमान यदि उत्तम है तो भविष्य भी उत्तम बन जायेगा | जितना प्रभुने दिया है उसमें जीना सीखें ,परिश्रम करें ,संसार में जितनी भी वस्तुएं हैं वो जरुरी नहीं की हमरे लिये लाभदायक ही हैं |
-सुप्रभातम ,राम राम |
कभी -कभी समकालीन जो बात या वस्तु होती है उसका हम उपहास करने में संकोच तनिक भी नहीं करते हैं ,परन्तु कुछ काल के उपरांत खुद ही अपना लेते हैं -"चार्वाक" नाम के अलोकिक कवि हुए | पूरा काल में लोग सम्मान ,सत्य पथ , से जीते थे यही सबसे बड़ी संम्पत्ति होती थी -उस समय महा कवि "चार्वाक " ने एक युक्ति दी -यावत जीवेत सुखं जीवेत =जब तक जीवें सुख से जीवें ,ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत =चाहे ऋण ही क्यों न करना पड़े ,घी जरुर पीवें ,ततकाल उनका बहुत उपहास हुआ और आप संसार से विरक्त हो गए | समय बदला उनकी जो उक्ति थी -वो हम सब पर लागु हो गयी और हम लोग -मान ,प्रतिष्ठा ,सम्मान ,इसी को समझने लगें -चाहे कुछ भी हो-कर्ज ,लेना पड़े ,झूठ बोलना पड़े ,अपने दिखाबा के लिये | भाव मित्र बंधुओं वर्तमान यदि उत्तम है तो भविष्य भी उत्तम बन जायेगा | जितना प्रभुने दिया है उसमें जीना सीखें ,परिश्रम करें ,संसार में जितनी भी वस्तुएं हैं वो जरुरी नहीं की हमरे लिये लाभदायक ही हैं |
-सुप्रभातम ,राम राम |
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मंगलवार, नवंबर 23, 2010
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