ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

निःशुल्क ज्योतिष सेवा ऑनलाइन रात्रि ८ से९ जीमेल पर [पर्तिदिन ]

शनिवार, 18 अगस्त 2012

"देश -विदेश पाक्षिक ज्योतिष विचार विचार -18-08-से31-08-2012तक ?

--अधिकमास भाद्रपद 18/08 से 16/19/2012तक मान्य रहेगा ।मलमास देव -पितर पूजा ,मंगल कार्यों  लिए अनुपयोगी कहा जाने लगा --तब दुखित होकर  श्री विष्णु लोक में गया ।वहां अमूल्य     सिंहासन पर विराजमान श्री विष्णुजी को दंडवत प्रणाम कर अपना दुःख  करने लगा ।मलमास को दुखी देखकर भगवान द्रवित हो गये ।मेरे इस लोक में तो कोई दुखी नहीं है ,परन्तु तुम परेशान क्यों हो ?हे प्रभो !न तो मेरा कोई नाम है,न कोई स्वामी ,न कोई आश्रय ।इसलिए  मेरा तिरस्कार करते हैं ।दीनबंधु भगवान   बोले ---"वत्सागच्छ मया सार्धं गोलोकम योगी दुर्लभं ।        
                                             यत्रास्ते भगवन कृष्णः पुरुषोतम ईस्वर ।।
मलमास -तुम मेरे   साथ साथ गोलोक में  चलो जहाँ भगवान श्री कृष्ण  हैं ।उस दिव्य लोक में बुढ़ापा ,मृत्य ,शोक ,भय ,आदि-व्याधि किंचित किसी को नहीं है ।भगवान विष्णु ने मलमास को गोलोक में ले जाकर जाकर श्री कृष्ण  के चरणों में नतमस्तक कराया ,भगवान श्री कृष्ण विष्णुजी से पूछने लगे कि प्रभू यह कौन है ?क्यों परेशां है ?विष्णुजी ने मलमास के दुखों का वृतांत कह सुनाया ।भगवान -श्री कृष्ण बोले हे विष्णुजी !  आप  इसे इसे साथ लेकर आये हैं ।अब में इसे अपने तुल्य करता हूँ ।"अहमेते  यथा लोके प्रथितः  पुरुशोतमः ।  तथायमपि लोकेषु प्रथितः पुरुषोत्तमः ।"---भाव -जितने गुण  मुझमें हैं जिनसे में विश्व में पुरुषोत्तम नाम से  प्रसिद्द हूँ ।उसी प्रकार मलमास भी पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्द होगा । अर्थात -स्वयं इस मास का स्वामी हो गया हूँ ।व्रत -उपवास ,पूजा,यग्य ,दानपुन्य ,स्नान ,ध्यान,नित्य नैमित्तिक कर्म सब इसमें अनंत फल देने वाले होंगें ।।
भवदीय -पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "मेरठ -उत्तर प्रदेश }
   ज्योतिष सेवा सदन के सदस्यों हेतु -सहायता सूत्र -9897701636---9358885616    

मंगलवार, 14 अगस्त 2012

"गृह-द्वार और देव मंदिर के पास मकान सोचकर बनायें ?"

"गृह-द्वार और  देव  मंदिर के पास मकान सोचकर  बनायें ?"
---भवन के  भाग में द्वार करना हो ,उस भाग के 9 भाग करके पांच भाग दक्षिण और तीन भाग उत्तर में छोड़कर शेष भाग में द्वार बनाना चाहिए ।वाम ,दक्षिण का अर्थ मकान से निकलते समय कर  चाहिए ।।
   ---{1}-ब्रह्मा के मंदिर के बगल में तथा विष्णु ,सूर्य ,शिव -मंदिर के सामने -भवन नहीं बनाना चाहिए ?
{2}-जैन मंदिर के पीछे भवन नहीं होना चाहिए ?
{3}-देवी -मंदिर के किसी भी भाग में  भवन शुभ नहीं होता है ?
--------भवन का निर्माण  करते समय इन बातों ध्यान रखने से ,भविष्य सुखमय हो  सकता है ।
---निवेदक ज्योतिष सेवा सदन {पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "{मेरठ -उत्तर प्रदेश }
      सदस्यों की सहायता हेतु सम्पर्क सूत्र -09897701636,09358885616
--सदस्यता शुल्क आजीवन {500}पाँच सौ रूपये केवल ।
-खाता संख्या -20005973259-कन्हैयालाल शास्त्री मेरठ ।