--अधिकमास भाद्रपद 18/08 से 16/19/2012तक मान्य रहेगा ।मलमास देव -पितर पूजा ,मंगल कार्यों लिए अनुपयोगी कहा जाने लगा --तब दुखित होकर श्री विष्णु लोक में गया ।वहां अमूल्य सिंहासन पर विराजमान श्री विष्णुजी को दंडवत प्रणाम कर अपना दुःख करने लगा ।मलमास को दुखी देखकर भगवान द्रवित हो गये ।मेरे इस लोक में तो कोई दुखी नहीं है ,परन्तु तुम परेशान क्यों हो ?हे प्रभो !न तो मेरा कोई नाम है,न कोई स्वामी ,न कोई आश्रय ।इसलिए मेरा तिरस्कार करते हैं ।दीनबंधु भगवान बोले ---"वत्सागच्छ मया सार्धं गोलोकम योगी दुर्लभं ।
यत्रास्ते भगवन कृष्णः पुरुषोतम ईस्वर ।।
मलमास -तुम मेरे साथ साथ गोलोक में चलो जहाँ भगवान श्री कृष्ण हैं ।उस दिव्य लोक में बुढ़ापा ,मृत्य ,शोक ,भय ,आदि-व्याधि किंचित किसी को नहीं है ।भगवान विष्णु ने मलमास को गोलोक में ले जाकर जाकर श्री कृष्ण के चरणों में नतमस्तक कराया ,भगवान श्री कृष्ण विष्णुजी से पूछने लगे कि प्रभू यह कौन है ?क्यों परेशां है ?विष्णुजी ने मलमास के दुखों का वृतांत कह सुनाया ।भगवान -श्री कृष्ण बोले हे विष्णुजी ! आप इसे इसे साथ लेकर आये हैं ।अब में इसे अपने तुल्य करता हूँ ।"अहमेते यथा लोके प्रथितः पुरुशोतमः । तथायमपि लोकेषु प्रथितः पुरुषोत्तमः ।"---भाव -जितने गुण मुझमें हैं जिनसे में विश्व में पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्द हूँ ।उसी प्रकार मलमास भी पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्द होगा । अर्थात -स्वयं इस मास का स्वामी हो गया हूँ ।व्रत -उपवास ,पूजा,यग्य ,दानपुन्य ,स्नान ,ध्यान,नित्य नैमित्तिक कर्म सब इसमें अनंत फल देने वाले होंगें ।।
भवदीय -पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "मेरठ -उत्तर प्रदेश }
ज्योतिष सेवा सदन के सदस्यों हेतु -सहायता सूत्र -9897701636---9358885616
यत्रास्ते भगवन कृष्णः पुरुषोतम ईस्वर ।।
मलमास -तुम मेरे साथ साथ गोलोक में चलो जहाँ भगवान श्री कृष्ण हैं ।उस दिव्य लोक में बुढ़ापा ,मृत्य ,शोक ,भय ,आदि-व्याधि किंचित किसी को नहीं है ।भगवान विष्णु ने मलमास को गोलोक में ले जाकर जाकर श्री कृष्ण के चरणों में नतमस्तक कराया ,भगवान श्री कृष्ण विष्णुजी से पूछने लगे कि प्रभू यह कौन है ?क्यों परेशां है ?विष्णुजी ने मलमास के दुखों का वृतांत कह सुनाया ।भगवान -श्री कृष्ण बोले हे विष्णुजी ! आप इसे इसे साथ लेकर आये हैं ।अब में इसे अपने तुल्य करता हूँ ।"अहमेते यथा लोके प्रथितः पुरुशोतमः । तथायमपि लोकेषु प्रथितः पुरुषोत्तमः ।"---भाव -जितने गुण मुझमें हैं जिनसे में विश्व में पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्द हूँ ।उसी प्रकार मलमास भी पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्द होगा । अर्थात -स्वयं इस मास का स्वामी हो गया हूँ ।व्रत -उपवास ,पूजा,यग्य ,दानपुन्य ,स्नान ,ध्यान,नित्य नैमित्तिक कर्म सब इसमें अनंत फल देने वाले होंगें ।।
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