ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

निःशुल्क ज्योतिष सेवा ऑनलाइन रात्रि ८ से९ जीमेल पर [पर्तिदिन ]

बुधवार, 4 जुलाई 2012

"निःशुल्क ज्योतिष सेवा तत्काल अनुपलब्ध रहेगी ?"

  "निःशुल्क ज्योतिष सेवा तत्काल अनुपलब्ध रहेगी ?"
----सभी मित्रप्रवरों को "झा शास्त्री " का प्रणाम ।
--निःशुल्क ज्योतिष सेवा -3/07/2010 से प्रारंभ हुई थी । संयोग वश 03/07/2012 तक हमने कोशिश की कि देश -विदेश में जहाँ भी हमारे ज्योतिष के अनुयायी मित्र रहते हों ,उनसे हम जुड़ें कुछ अपनी ,कुछ उनकी सुनें । आप मित्रों के स्नेह और प्रेम नें हमें इस पथ पर चलने की प्रेरणा दी --जिस प्रेरणा के कारण हजारों मित्रों से हम जुड़े । पुत्री के विवाह और धनाभाव के कारण हम निःशुल्क ज्योतिष सेवा देने में असमर्थ रहेंगें ।
---------ज्योतिष या धर्म की कोई किम्मत नहीं होती ,अतः हमारी आत्मा सेवा से ही संतुष्ट रहती है ,परन्तु --सेवा से हम आज के युग में सारे कार्ज़ नहीं कर सकते हैं ---अतः यह निःशुल्क ज्योतिष सेवा पुनः 2013 में शुरू करेंगें  परमात्मा एवं आप मित्रों का सहयोग रहेगा तो ?
--------अब केवल ज्योतिष सेवा का लाभ वही मित्र ले पायेंगें जो ज्योतिष सेवा सदन के आजीवन सदस्य होंगें । -----आजीवन सदस्यता शुल्क -500 आप -पंजाब  नेशनल बैंक -बागपत रोड मेरठ
         -कविता झा खाता  नंबर----2533001500011102 में जमा करना होगा ।
-----या -09358885616-टाटा डोकोमो -में ईजी रिचार्ज कर भी सदस्य बन सकते हैं ।
----------निवेदक ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ }
पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ उत्तर प्रदेश }
---सम्पर्क सूत्र -09897701636--09358885616

मंगलवार, 3 जुलाई 2012

"कालसर्पयोग की परिभाषा एवं सर्पशाप से युक्त कुण्डलियाँ ?"

"कालसर्पयोग की परिभाषा एवं सर्पशाप से युक्त कुण्डलियाँ ?"
----सभी ग्रह यदि राहु -केतु के मध्य में आ जाए तो "कालसर्पयोग "की सृष्टि होती है ।मोटे तौर पर -कालसर्पयोग -दो प्रकार के होते हैं ।एक उदित गोलार्ध और दूसरा अनुदित गोलार्ध ।उदित गोलार्ध को ग्रस्त योग कहते हैं ,तथा अनुदित को मुक्त योग कहते हैं ।लग्न में राहु तथा सप्तम में केतु हो ,सारे ग्रह 4/8/9/10/11/12 वें स्थानों में हो तो यह उदित "कालसर्पयोग "कहलाता है ।राहु -केतु का भ्रमण सदा उलटा चलता है ।इस योग में सभी ग्रह क्रमशः राहु के मुख में आते चले जाते हैं ।
---------सर्पशाप से ग्रसित कुण्डलियाँ --को भी जानते की कोशिश करते हैं ------?
---प्रसंगवश "कालसर्पयोग "की भांति ही सर्पशाप से ग्रसित कुण्डलियों का विवेचन करना आवश्यक समझता हूँ ।वैसे तो -14 प्रकार से श्रापित कुण्डलियों की शान्ति "कालसर्पयोग "विधि से ही हो जाती है ।केवल संकल्प के समय उच्चारण में पाठान्तर होता है ,परन्तु सर्पशाप से ग्रसित जन्मपत्रिकाओं की निवृति भी "कालसर्पयोग "विधि से ही होती है ।।
-----भवदीय -पंडित के0 एल0 झा शास्त्री {मेरठ }
  ----ज्योतिष सेवा आजीवन सदस्यता शुल्क 500 रूपये अदा करने पर ही मिलेगी ?
       ज्योतिष सेवा सदन --संपर्क सूत्र -09897701636,09358885616