ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

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बुधवार, 7 नवंबर 2012

"योनि विचार -अर्थात पति -पतनी के प्राकृतिक स्वभाव ?"

      "योनि विचार -अर्थात पति -पतनी के प्राकृतिक स्वभाव ?"
--कुंडली के मिलान में -योनि -का विचार अवश्य करते हैं --अगर रंग ,रूप अर्थात सभी ठीक हो किन्तु परस्पर स्वभाव सही नहीं हो तो मन खिन्न रहता है ।प्रेम तो होता है किन्तु -एक दूसरे के प्रति हिंसक प्रवृत्ति शव्दों की बनी रहती है -जो सुखों को कम कर देती है ।
       ------ज्योतिष में नक्षत्रों को -अश्व ,गज ,मेष ,सर्प ,श्वान ,मार्जार ,मूषक ,गौ ,महिष ,व्याघ्र ,मृग ,वानर ,नकुल सिंह इन 14-जानवरों की योनियों में गिना गया है ।-{1}-अश्विनी -शतभिषा नक्षत्र की योनि अश्व मानी गई है ।-{2}-भरणी -रेवती की गज है ।-{3}-कृतिका -पुष्य की मेष है ।-{4}-रोहिणी -मृगशिरा की सर्प है ।-{5}-आर्द्रा -मूल की श्वान है ।-{6}-पुनर्वसु -आश्लेषा की मार्जार है ।-{7}-मघा -पूर्वाफाल्गुनी की मूषक है।-{8}-उत्तराफाल्गुनी -उत्तराभाद्रपद की गौ है ।-{9}-हस्त -स्वाति की महिष है ।-{10}-चित्रा -विशाखा की व्याघ्र है ।-{11}अनुराधा -ज्येष्ठा की मृग है ।-{12}-पूर्वाषाढा-श्रवण की वानर है ।तथा -{13}-उत्तराषाढा-अभिजित की नकूल है ।-{14}-धनिष्ठा -पूर्वाभाद्रपद की योनि सिंह कही गई है ।।
      {1}-ये तीन प्रकार के स्वभाव वाले होते हैं ---{1}-महावैर -सहजवैर ।-{2}-समभाव ।-{3}-मैत्री भाव -अति मैत्री ।---योनियों में जो प्राकृतिक देन होती है ,उसी के अनुसार गुण ग्रहण किये जाते हैं ।-जैसे -परस्पर महावैर हो तो --00 गुण मानते हैं ।अगर सहजवैर हो तो -01गुण मानते हैं । यदि -समभाव हो तो 02 गुण मानते हैं ।मैत्री में -03 गुण होते हैं ।अतिमैत्री में -04 गुण उत्तम मानते हैं ।।
       --------नोट आजकल इस योनि पर विचार कम करते हैं --जिस कारण प्रेम तो अत्यधिक होता है किन्तु शव्दों के प्रहार से वैवाहिक जीवन दुखी रहता है ।अतः विवाह तो अवश्य होना है --किन्तु विवाह संस्कार में उन नामों से विवाह किया जाय जो योनि के मिलान को भी सही बनाते हों या कर्मकांड के द्वारा दोष दूर करते हो --तो जीवन आनंदमय बीतेगा ।।
प्रेषकः --पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "-{मेरठ -भारत } 

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