
-आजीवन सदस्यता शुल्क -1100.rs,जिसकी आजीवन सम्पूर्ण जानकारी सेवा सदन के पास होगी ।। --सदस्यता शुल्क आजीवन {11.00- सौ रूपये केवल । --कन्हैयालाल शास्त्री मेरठ ।-खाता संख्या 20005973259-स्टेट बैंक {भारत }Lifetime membership fee is only five hundred {11.00}. - Kanhaiyalal Meerut Shastri. - Account Number 20005973259 - State Bank {India} Help line-09897701636 +09358885616
ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }
निःशुल्क ज्योतिष सेवा ऑनलाइन रात्रि ८ से९ जीमेल पर [पर्तिदिन ]
-
---जिस दिशा में 'शुक्र "सम्मुख एवं जिस दिशा में दक्षिण हो ,उन दिशाओं में बालक ,गर्भवती स्त्री तथा नूतन विवाहिता स्त्री को यात्रा ...
-
"योनि विचार -अर्थात पति -पतनी के प्राकृतिक स्वभाव ?" --कुंडली के मिलान में -योनि -का विचार अवश्य करते हैं --अगर रंग ,रूप अ...
-
------वर्ष -2013 का विशेष समय अच्छा बीतेगा ।लाभ और खर्च का संतुलन बना रहेगा ।दोस्तों से इच्छित सहयोग मिलेगा ।तरक्की का अवसर आयेगा हाथ में ।...
-
"Success lies not in the "Result",But in the "Effort",..." Being the Best is NOT so important,...
-
"Line for every1-from my side-- Dea rest frnd u might b a little little somthing in this big big world,But u r a big big s...
-
The numbers} have inspired you or complain on this post. {1} - Once all friends Contact us with free will astrology service. {2} - lifeti...
-
--नक्षत्र २७ हैं ,सभी जानते हैं ,किन्तु सभी नक्षत्रों की संज्ञा एवं उन नक्षत्रों में हम कोन सा कार्ज करें --शास्त्रकारों के विचार को जा...
-
"Every lost game inspires us to try one more time , Always remember "Defeat is temporary but giving up makes it permanent...
-
"हर पल आपके साथ चलना चाहते हैं: God bles u : "God bless U"-Is such a little prayer bt it means so much, ...
-
मास के प्रारंभ में "धनु "का शुक्र बाजार में प्रभावी होगा -अतः बाजार में विशेष घटा -बढ़ी होगी ।-10/01/2013को शुक्र ज्येष्ठा नक्...
शनिवार, 21 अप्रैल 2012
ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{1}: "देश -विदेश ज्योतिष पाक्षिक विचार {२२अप्रैल से ६ म...
ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{1}: "देश -विदेश ज्योतिष पाक्षिक विचार {२२अप्रैल से ६ म...: "देश -विदेश ज्योतिष पाक्षिक विचार {२२अप्रैल से ६ मई तक2012} ----सम सप्तक बहु ग्रह हो,अथवा एकही संग । प्रजा कष्ट पावे अति ,जन विग...
प्रस्तुतकर्ता
ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ }
पर
शनिवार, अप्रैल 21, 2012
0
टिप्पणियाँ


लेबल:
jyotish seva sadan
"देश -विदेश ज्योतिष पाक्षिक विचार {२२अप्रैल से ६ मई तक2012}
"देश -विदेश ज्योतिष पाक्षिक विचार {२२अप्रैल से ६ मई तक2012}
----सम सप्तक बहु ग्रह हो,अथवा एकही संग ।
प्रजा कष्ट पावे अति ,जन विग्रह का रंग ।।{राजधानी p0}
भाव -इस योग के कारण जहाँ -तहाँ उपद्रव ,अशांति आम लोगों के लिए दुखदायी होगी ।राजनेता एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करेंगें ।-------अमेरिका ,ईरान ,इराक ,साउदीअरब,पाकिस्तान ,अफगानिस्तान में स्थिति भयानक हो सकती है ।--सीमा विवाद उभरकर सामने आ सकता है ।---आतंकी उत्पात से लोग त्रस्त हो सकते हैं ।----विश्व शांति परिचर्चा अप्रभावी रहेगी ।।
-------तेजी मंदी एक नजर -----
"यदा सौम्यः स्थितौ मेषे महार्घम च चतुष्पदम ।
सुवर्ण संताम यति नात्र कार्या विचारणा ।।{ताजिक नीलकंठी }
भाव ------मेष राशि में जब बुध हो तो ---चोपाये {चार पहिये या चार पायों वाले }दोपाये ,पशुपक्षी ,वाहन इत्यादि में तेजी आएगी । अन्य धातु---निर्माण सामग्री ,श्रींगार की वस्तुएं ,रसकश ,फल -फूल,सब्जियों में तेजी का चक्र चलेगा ।
-------सर्राफा-शेयर - बाज़ार-----घटती -बढती रहेगी ।।
-----आकाश लक्षण ------तापमान में वृद्धि होगी ,पक्ष में -गुरु अस्त के कारण जहाँ -तहाँ बदल्चल ,आंधी- तूफान,बूंदा -बांदी का संयोग बनेगा । कहीं भयंकर अग्निदाह ,विस्फोट ,रेल,यान- खान दुर्घटना ,भुकम्पादी की भी आशंका रहेगी ।
------अपने मन के कार्य को पाने के लिए इन देवताओं से प्रार्थना करें ------
{१} वासनापूर्ति {दाम्पत्य सुख }के लिए --रूद्र शिव की उपासना करें ।
{२}-बल वृद्धि के लिए -इलादेवी {माँ दुर्गा }या श्री हनुमान जी की उपासना करें ।
{३}-सौन्दर्य {सुन्दर आकर्षक } दिखने के लिए -गन्धर्व की उपासना करें ।
{४}-विवाह हेतु ---उर्वशी अपसरा -की पूजा करें ।
{५}-यश एवं कीर्ति के लिए नारायण {विष्णु }की उपासना करें ।
{६}-विद्या प्राप्ति के लिए --शिव या श्री सरस्वती की आराधना करें ।
{७}-मुकदमा में विजय के लिए --बगलामुखीदेवि की आरादना करने से जीत मिलती है ।
-----भवदीय पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री [ज्योतिष सेवा सदन -मेरठ उत्तर प्रदेश }
ज्योतिष निःशुल्क सेवा रात्रि ८ से९ में कोई भी मित्रबंकर प्राप्त कर सकते हैं {एकबार }
संपर्क सूत्र ---09897701636 ,09358885616
प्रस्तुतकर्ता
ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ }
पर
शनिवार, अप्रैल 21, 2012
0
टिप्पणियाँ


लेबल:
jyotish seva sadan
शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012
ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{1}: "दैनिक उपयोग में इन योगों का करें सोचकर प्रयोग ?
ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{1}: "दैनिक उपयोग में इन योगों का करें सोचकर प्रयोग ?: "दैनिक उपयोग में इन योगों का करें सोचकर प्रयोग ? सर्वार्थसिद्धि,अमृतसिद्धि,गुरुपुष्यामृत एवं रविपुश्यामृत --इस तरह के बहुत से योग होते ...
प्रस्तुतकर्ता
ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ }
पर
शुक्रवार, अप्रैल 20, 2012
0
टिप्पणियाँ


लेबल:
jyotish seva sadan
"दैनिक उपयोग में इन योगों का करें सोचकर प्रयोग ?
"दैनिक उपयोग में इन योगों का करें सोचकर प्रयोग ?
सर्वार्थसिद्धि,अमृतसिद्धि,गुरुपुष्यामृत एवं रविपुश्यामृत --इस तरह के बहुत से योग होते हैं । वारों का विशेष नक्षत्रों से संपर्क होने पर ये योग बनते हैं ,जैसा कि इन योगों के नामों से प्रतीत भी होता है ।इन योगों में शुभ कार्य हमलोग करते भी हैं एवं करने भी चाहिए ।आचार्यों के मत अनुसार -यात्रा ,गृहप्रवेश ,नूतन कार्यों का शुभारम्भ -पंचांग {पतरा }में मुहूर्त उपलभध न होने पर-जैसे {-व्यतिपात ,वैधृति ,गुरु -शुक्र अस्त या अधिकमास एवं वेध आदि के कारण} तो सर्वार्थ सिद्धि योगों का आश्रय लेना चाहिए ।।
{१}-----अम्रित्सिद्धि योग=,रविवार को -हस्त ,सोमवार को -मृगशिरा ,मंगलवार को अश्विनी ,बुधवार को अनुराधा ,गुरुवार को पुष्य ,शुक्रवार को रेवती ,शनिवार को रोहिणी नक्षत्र से सम्बन्ध होने पर -ये अम्रित्सिद्धियोग बनता है ।----इन योगों को अमृत सिद्धि योग की विशेष संज्ञा दी गयी है ।।
{२}----रविवार व गुरुवार को पुष्य नक्षत्र का सम्बन्ध होने पर --राविपुश्यामृत--गुरुपुष्यामृत योग बन जाता है ।जो कि अत्यंत शुभ एवं प्रभावकारी मन गया है ।इस योग वाले दिन को विशेष फल प्रप्तिदायक माना गया है ।
-----------नोट {भाव }---ध्यान रखें -गुरुपुष्यामृत योग के समय -विवाह ,मंगलवार वाले अम्रित्सिद्धियोग के समय नए घर में प्रवेश ,तथा --शनिवार वाले अम्रित्सिद्धियोग के समय यात्रा नहीं करनी चाहिए ।।
भवदीय -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री [ज्योतिष सेवा सदन =मेरठ उत्तर प्रदेश }
निःशुल्क ज्योतिष सेवा रात्रि ८ से९ सभी मित्रों के लिए उपलभध रहती है ।
संपर्क सूत्र --09897701636 ,09358885616
प्रस्तुतकर्ता
ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ }
पर
शुक्रवार, अप्रैल 20, 2012
0
टिप्पणियाँ


लेबल:
jyotish seva sadan
बुधवार, 18 अप्रैल 2012
ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{1}: अपने - निवास का नाम और प्रभाव जानें ?
ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{1}: अपने - निवास का नाम और प्रभाव जानें ?: अपने - निवास का नाम और प्रभाव जानें ? निवास की भूमि बहुत ही सोचकर लेनी चाहिए । प्रत्येक निवास की भूमि का नाम और प्रभाव शास्त्रकारों ने ...अपने - निवास का नाम और प्रभाव जानें ?
निवास की भूमि बहुत ही सोचकर लेनी चाहिए । प्रत्येक निवास की भूमि का नाम और प्रभाव शास्त्रकारों ने अनेकानेक ग्रंथों में उल्लेख किये हैं । आइये हमलोग स्वयं अपनी -अपनी भूमि {निवास स्थान }का नाम और प्रभाव जानने की कोशिश करते हैं । शास्त्रों के मत के अनुसार -८ प्रकार के निवास स्थान होते हैं -गजपृष्ट,कुर्म पृष्ट ,दैत्यपृष्ट,नागपृष्ट,क्षत्रिया भूमि,वैश्या भूमि,शूद्रा भूमि ,एवं वास्तु भूमि ।।
{१}-गजपृष्ट----जिस स्थान में दक्षिण ,पश्चिम नैरितय और वायवकोण की ओर भूमि उच्च हो -उस भूमि को गज पृष्ट भूमि कहते हैं ।इस भूमि पर निवास करने से -धन ,धन्य ,संतान आयु की वृद्धि होती है ।
{२}-कुर्मपृष्ट-जहाँ मध्य में उच्च हो और चारो दिशाओं में झुकाव हो ,वह कर्मपृष्ट भूमि कहलाती है ।--इस भूमि पर निवास करने से -नित्य उत्साह ,धन -धन्य ,संतान ,आरोग्य ,यश एवं प्रतिष्ठा की वृद्धि होती है ।
{३}-दैत्यपृष्ट--ईशानकोण,पूर्व और अग्नि कोण में उच्च हो ,एवं पश्चिम में नीचा हो तो -उसे दैत्यपृष्ट भूमि कहते हैं ।इस स्थान पर निवास करने से -परिजनों के लिए उत्तम नहीं होता है अर्थात गृहस्वामी दुखी रहते हैं ।
{४}-नागपृष्ट--जिस भूमि पर दक्षिण और उत्तर दोनों दिशाओं में उच्च हो बीच में नीचा हो,उस भूमि को नाग पृष्ट भूमि कहते हैं ।इस भूमि पर सुख कम दुःख विशेष मिलता है ।
{५}-क्षत्रियाभूमि-जहाँ की मिटटी का रंग लाल हो -उस भूमि को -क्षत्रिया भूमि कहते हैं ।इस भूमि पर केवल क्षत्रिय की सुखी रह सकते हैं ।
{६}-वैश्याभूमि--जहाँ की मिटटी का रंग पीला हो ,उस भूमि को वैश्याभूमि कहते हैं । इस भूमि पर केवल वैश्यों को ही निवास करने चाहिए ।
{७}-शूद्राभूमि--जहाँ की मिटटी का रंग काला हो ,उसे शूद्रा भूमि कहते हैं । इस भूमि पर केवल शुद्रों को ही निवाद करने चाहिए ।
{८}-वास्तु भूमि-जिस भूमि की लम्बाई उत्तर दक्षिण बराबर हो या चकोर हो ,किन्तु पूर्व पश्चिम लम्बाई बराबर हो तो निवास के लिए अशुभ होती है ।
नोट -चारो वर्ण अपने -अपने वर्ण की भूमि में वास करें तो शुभ फल मिलता है ।ब्राह्मणों के लिए सब भूमि बसने योग्य होती है ।----"मन्धा क्षूयेत्र संतोशो जायते भुवि ।
तत्र कार्ज़गृहेसर्वे रिति गर्गादी सम्मतम ।।
भाव -जिस मनुष्य को जहाँ की भूमि पसंद हो ,वहां पर घर बनाकर बसे --वास्तु का निदान करके -तो दूषित भूमि भी लाभदायक बन जाती है ।।
भवदीय पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {ज्योतिष सेवा सदन }
मेरठ उत्तर प्रदेश संपर्क सूत्र -9897701636 ,9358885616
प्रस्तुतकर्ता
ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ }
पर
बुधवार, अप्रैल 18, 2012
0
टिप्पणियाँ


लेबल:
jyotish seva sadan
अपने - निवास का नाम और प्रभाव जानें ?
अपने - निवास का नाम और प्रभाव जानें ?
निवास की भूमि बहुत ही सोचकर लेनी चाहिए । प्रत्येक निवास की भूमि का नाम और प्रभाव शास्त्रकारों ने अनेकानेक ग्रंथों में उल्लेख किये हैं । आइये हमलोग स्वयं अपनी -अपनी भूमि {निवास स्थान }का नाम और प्रभाव जानने की कोशिश करते हैं । शास्त्रों के मत के अनुसार -८ प्रकार के निवास स्थान होते हैं -गजपृष्ट,कुर्म पृष्ट ,दैत्यपृष्ट,नागपृष्ट,क्षत्रिया भूमि,वैश्या भूमि,शूद्रा भूमि ,एवं वास्तु भूमि ।।
{१}-गजपृष्ट----जिस स्थान में दक्षिण ,पश्चिम नैरितय और वायवकोण की ओर भूमि उच्च हो -उस भूमि को गज पृष्ट भूमि कहते हैं ।इस भूमि पर निवास करने से -धन ,धन्य ,संतान आयु की वृद्धि होती है ।
{२}-कुर्मपृष्ट-जहाँ मध्य में उच्च हो और चारो दिशाओं में झुकाव हो ,वह कर्मपृष्ट भूमि कहलाती है ।--इस भूमि पर निवास करने से -नित्य उत्साह ,धन -धन्य ,संतान ,आरोग्य ,यश एवं प्रतिष्ठा की वृद्धि होती है ।
{३}-दैत्यपृष्ट--ईशानकोण,पूर्व और अग्नि कोण में उच्च हो ,एवं पश्चिम में नीचा हो तो -उसे दैत्यपृष्ट भूमि कहते हैं ।इस स्थान पर निवास करने से -परिजनों के लिए उत्तम नहीं होता है अर्थात गृहस्वामी दुखी रहते हैं ।
{४}-नागपृष्ट--जिस भूमि पर दक्षिण और उत्तर दोनों दिशाओं में उच्च हो बीच में नीचा हो,उस भूमि को नाग पृष्ट भूमि कहते हैं ।इस भूमि पर सुख कम दुःख विशेष मिलता है ।
{५}-क्षत्रियाभूमि-जहाँ की मिटटी का रंग लाल हो -उस भूमि को -क्षत्रिया भूमि कहते हैं ।इस भूमि पर केवल क्षत्रिय की सुखी रह सकते हैं ।
{६}-वैश्याभूमि--जहाँ की मिटटी का रंग पीला हो ,उस भूमि को वैश्याभूमि कहते हैं । इस भूमि पर केवल वैश्यों को ही निवास करने चाहिए ।
{७}-शूद्राभूमि--जहाँ की मिटटी का रंग काला हो ,उसे शूद्रा भूमि कहते हैं । इस भूमि पर केवल शुद्रों को ही निवाद करने चाहिए ।
{८}-वास्तु भूमि-जिस भूमि की लम्बाई उत्तर दक्षिण बराबर हो या चकोर हो ,किन्तु पूर्व पश्चिम लम्बाई बराबर हो तो निवास के लिए अशुभ होती है ।
नोट -चारो वर्ण अपने -अपने वर्ण की भूमि में वास करें तो शुभ फल मिलता है ।ब्राह्मणों के लिए सब भूमि बसने योग्य होती है ।----"मन्धा क्षूयेत्र संतोशो जायते भुवि ।
तत्र कार्ज़गृहेसर्वे रिति गर्गादी सम्मतम ।।
भाव -जिस मनुष्य को जहाँ की भूमि पसंद हो ,वहां पर घर बनाकर बसे --वास्तु का निदान करके -तो दूषित भूमि भी लाभदायक बन जाती है ।।
भवदीय पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {ज्योतिष सेवा सदन }
मेरठ उत्तर प्रदेश संपर्क सूत्र -9897701636 ,9358885616
प्रस्तुतकर्ता
ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ }
पर
बुधवार, अप्रैल 18, 2012
0
टिप्पणियाँ


लेबल:
jyotish seva sadan
सोमवार, 16 अप्रैल 2012
ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री " {मेरठ -उत्तर प्रदेश }
प्रस्तुतकर्ता
ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ }
पर
सोमवार, अप्रैल 16, 2012
0
टिप्पणियाँ


लेबल:
jyotish seva sadan
सदस्यता लें
संदेश (Atom)