ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

निःशुल्क ज्योतिष सेवा ऑनलाइन रात्रि ८ से९ जीमेल पर [पर्तिदिन ]

शनिवार, 23 जून 2012

"राहु -केतु का "कालसर्पयोग "से आखिर सम्बन्ध क्या है ?"

"राहु -केतु का "कालसर्पयोग "से आखिर सम्बन्ध क्या है ?"
---पौराणिक मतानुसार "राहु "नामक राक्षस का मस्तक कट जाने पर भी वह जीवित है और केतु उसी राक्षस का धड है ।राहु -केतु एक ही शरीर के दो अंग हैं ।चुगली के कारण सूर्य -चन्द्र को ग्रसित्कर सृष्टि में भय फैलाते हैं । ब्रेहत्संहिता के राहु -चाराध्याय में लिखा है -"मुख पुच्छ विभक्ताग भुजंग कार पुम दिशंत्यांये "अर्थात -मुख और से विभक्त अंग जिसका सर्प का आकार है ,वही राहु का आकार है ।
---कामरत्न अध्याय 64 शलोक -47 में सर्प को ही काल कहा गया है ।
---16वीं शताब्दी के विद्वान मानसागर ने "मानसागरी "नामक ग्रन्थ की रचना की ।उन्होंने अरिष्ट योगों पर चर्चा करते हुए अध्याय -4-के शलोक 10-में लिखा है ----
           "लग्नाश्च सप्तमस्थाने शनि -राहु सन्युतौ ।
             सर्पेना बाधा तस्यौक्ता शय्यायाम स्वपितोपी च ।।
--भाव -सातवें भावगत शनि -सूर्य व राहु की युति हो तो शय्या पर सोते हुए व्यक्ति को भी सांप काट लेता है ।फलित ज्योतिष पर निरंतर अध्ययन -अनुसन्धान करने वाले आचार्यों ने देखा कि राहु -केतु के मध्य सभी ग्रह अव्यवस्थित होने पर -जातक का जीवन ज्यादा कष्टमय रहता है ।तो इसे "कालसर्पयोग "की संज्ञा दे दी होगी ।वस्तुतः -कालसर्पयोग का ही परिष्कृत स्वरुप है ।।
-----भवदीय निवेदक -पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "{मेरठ -उत्तर प्रदेश }
निःशुल्क ज्योतिष सेवा एकबार सभी मित्रों को -रात्रि -8 -से 9.30 पर मिलेगी ।
    हेल्प लाइन {संपर्क -सूत्र }द्वारा प्राप्त करें -09897701636--09358885616

शुक्रवार, 22 जून 2012

"The country - from 3 to 062,012 foreign fortnightly astrology -20-06 idea - long?"

"The country - from 3 to 062,012 foreign fortnightly astrology -20-06 idea - long?" - Five Tuesday in the month of fruit is not perfect ----
          
" "यत्र मासे महि सुनोर्जयानते पंच्वासराह ।
            रक्तेनपूरिता पृथ्वी छ्त्रभंगास्तदा भवेत् ।।

--- Quote - politicians Kichtan is due to the unexpected surprises. Regional government not Sanukul time. Knyagt Mon, Tue sum of two months will be stricken. Religious frenzy Bdengen the violence. Will put the fear of terror. Ruling coalition If resonant scattering in the tone of wonder .. ------"शनैश्चर धरापुत्रा वेकस्थो वृष्टिकारको ।
           तदा च तावती वृष्टिर्यावती गृह पतिनी ।।

------- Mon, Tue to the sum of the rain, but will not be less natural Mahotpat. Consider the -45% decline in prices ----- fast is a sign of recession. Materials shortages will increase in the current prices. 25 - June - Fri and 27 in the way - will cause major changes in June Fri. So - Markit's position will remain uncertain. --- Sky Signs -21 - June = ardra the Sun in Capricorn in the ascendant is at -22-18. Megesh - Trgrhi yoga master is nervous. - Timely rains this year will all be replaced with good yields. The side storm - storms, heavy thunder, Badlchal would be, but the lack of rain will continue. Rotten will heat. Can spread deadly Vimarian .. ----- Applicant - Pt Kanhaiyalal "Jha Shastri} {Meerut -India}
  
Contact Helpline {source} -09897701636-09358885616

मंगलवार, 19 जून 2012

"सर्प का -"कालसर्पयोग"से सम्बन्ध एक नजर ?"

"सर्प का -"कालसर्पयोग"से सम्बन्ध एक नजर ?"
---सर्प का भारतीय संस्कृति से गहरा सम्बन्ध है ।एक बार महर्षि "सुश्रुत "ने वैद्य धन्वन्तरी से पूछा कि हे भगवन !सर्पों की संख्या और उनके भेद बतायें ?वैद्य धन्वन्तरी ने कहा कि वासुकि जिनमे श्रेष्ठ हैं ,ऐसे  तक्षक आदि सर्प असंख्य हैं ।ये सर्प अन्तरिक्ष एवं पाताललोक के वासी हैं ।पृथ्वी पर पाये जाने वाले नामधारी सर्पों के भेद अस्सी प्रकार के हैं ।
----भारतीय वांग्मय में विषधर सर्पों की पूजा होती है ।हिन्दू मान्यताओं में सर्प को मारना उचित नहीं समझा जाता -तथा जहाँ -तहाँ उनके मंदिर भी पाए जाते हैं ।नागपंचमी को सर्पों की विशेष पूजा का प्रावधान है ।पुराणों में शेषनाग का वर्णन है ।भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना नदी से कालिया नाग को नाथा था ।सर्पों के बारे में पुराणों में अनेक  कथाये प्रचलित हैं ।सर्पों को देवयोनि का प्राणी माना जाता है ।नए भवन के निर्माण समय नीव में सर्प की पूजाकर चांदी का सर्प रखा जाता है ।वेद के अनेक मंत्र सर्प से सम्बंधित हैं ।
--------नाग की हत्या जन्म जन्मान्तर तक पीछा नहीं छोड़ती है ।नागवध का शाप पुत्र -संतति में बाधक होता है ।कई स्थानों पर नागवध शाप दूर करने के लिए "पिष्टमय नाग "का विधिवत पूजन करके दहन किया जाता है ।फिर उस नाग की भस्मी के तुल्य सुवर्ण दान करने का विधान है ।
----शास्त्रों में सर्प को काल का पर्याय कहा गया है ।काल -आदि ,मध्य ,अन्त से रहित है ।मनुश्यादी प्राणियों का जीवन -मरण काल के आधीन है ।काल सर्वथा गतिशील है ।
-----कालसर्प योग सम्भवतः समय की गति से जुड़ा हुआ योग है !!
-------निवेदक पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री {मेरठ -उत्तर प्रदेश }

"Kalsarpa What is yoga?"

"Kalsarpa What is yoga?"
- Much Kalsrpyog originally came from where? Where astrology was in the beginning? Who was the founder Acharya? Kalsrpyog has the effect or not?
Yoga when the Jataka ------ chart review should consider whether a solution to these queries is absolutely necessary in today's scientific age.
When all the planets Rahu and Ketu in the horoscope ----- typically capture are in the middle - it is the sum Kalsarpa. Rahu and Ketu the snake the snake's face is asking for.
---- Period means - death. The other planet is not strong, then the sum is Kalsrpyog early-born baby's death. If is live - death - is like suffering. Of yoga in astrology recognition is often indicative of Ashubfl ..
------ Sincerely - applicant - Pt Kanhaiyalal "Jha Shastri" {Meerut - Uttar Pradesh}
Free Astrology Services - Night -8 - nightly from 9:30-to} {{Contact the help line once as a friend on Facebook can be obtained by the formula} - {09897701636-09358885616}
{2} ----- = 500 lifetime membership fee of astrological information, the information can get your family .....

"कालसर्प योग किसे कहते हैं ?"

"कालसर्प योग किसे कहते हैं ?"
--बहुचर्चित कालसर्पयोग मूलतः कहाँ से आया ?फलित ज्योतिष में इसकी शुरुआत कहाँ से हुई ?इसके प्रवर्तक आचार्य कौन थे ?कालसर्पयोग का प्रभाव होता भी है या नहीं ?
------जातक की कुण्डली का अवलोकन करते समय इस योग पर विचार करना चाहिये या नहीं ?इन प्रशनों का समाधान आज के वैज्ञानिक युग में नितांत आवश्यक है ।
-----समान्यतः जन्मकुंडली के समस्त ग्रह जब राहु और केतु के बीच में कैद हो जाते हैं -तो उसे कालसर्प योग कहते हैं ।राहु को सर्प का मुख और केतु को सर्प की पूछ कहते हैं ।
----काल का अर्थ है -मृत्यु ।यदि अन्य ग्रह योग बलवान न हो तो कालसर्पयोग में जन्मे शिशु की मृत्यु शीघ्र हो जाती है ।यदि जीवित रहता है तो -मृत्यु -तुल्य कष्ट भोगता है ।ज्योतिष शास्त्र में इस योग के प्रति मान्यता प्रायः अशुभफल की सूचक है ।।
------भवदीय -निवेदक -पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "{मेरठ -उत्तर प्रदेश }
निःशुल्क ज्योतिष सेवा -रात्रि -8-से 9.30-तक{प्रतिरात्रि }एकबार कोई भी फेसबुक पर मित्र बनकर हेल्प लाइन {सम्पर्क सूत्र }द्वारा प्राप्त कर सकते हैं --{09897701636--09358885616}
{2}-----आजीवन ज्योतिष जानकारी सदस्यता शुल्क =500 देने पर अपने परिवार की भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।।

रविवार, 17 जून 2012

"21-12 -2012 -की भविष्यवाणी -सत्यता -असत्यता के लिए हमें विश्व कैलेंडरों पर नजरें डालनी होंगीं ?"

"21-12 -2012 -की भविष्यवाणी -सत्यता -असत्यता के लिए हमें विश्व कैलेंडरों पर नजरें डालनी होंगीं ?"
---माया सभ्यता के मुताबिक -२१-१२-२०१२ में  क़यामत का दिन अर्थात इस्लाम एवं ईसाई धर्मानुसार मनुष्य द्वारा किये गए पाप -पुन्य के निर्णय का अंतिम दिन ,प्रलय ,हंगामा की घडी होगी ?
-----ईसाई कैलेण्डर ---
  --के अनुसार पहले दस महीने का एक साल के हुआ करते थे |अलवन जंत्री ने ग्रेगरीय जंत्री का रूप ले लिया है | इस्वी पूर्व ७१३ वें वर्ष से जनवरी ,फरवरी दो मास जोड़कर इसे १२ मास का कहा जाने लगा है |इसमें सन १५८२ में १० दिन का फर्क पड़ गया था | तबसे प्रति चौथे वर्ष फरवरी लिपियर नाम देकर २९ दिन का होने लगा |प्राकृतिक सौर वर्ष से इसवी सन का वर्ष अभी भी लगभग ९ मिनट कम रह जाता है ||
------हिजरी मुस्लिम वर्ष ------
------३४५ दिन के लगभग है जो कि  कुदरती वर्षमान से ११ दिन प्रतिवर्ष छोटा रह जाता है |यह भी सत्यता की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है |इसे हम इस प्रकार से कह सकते हैं कि इस्लाम के अनुयायी अपना कोई निश्चित नियम नहीं बना पाए हैं | सही गणना की जाये तो चौदहवीं सदी अभी शुरू नहीं हुई है ||
---यहूदी जन्त्री-------
-----यद्यपि कान्ति पतिक सौर वर्ष है फिर भी गणनार्थ  कोई निश्चित नियम नहीं है | कभी सितम्बर से तो कभी अक्तूबर में पड़ने वाली अमावस्या से इनका वर्ष शुरू होता है |
---पारसी सन -----
------के सभी मास ३० दिन करके कभी पीछे ५ दिन ,कभी ६ दिन जोड़कर उन्हें गाथा कहा जाता है |निश्चित नियम कोई नहीं है ||
-----माया सभ्यता ------
------के कैलेण्डर की गणना का भी कोई सार मालूम नहीं पड़ता है ,क्योंकि मैक्सिको का युलुम ध्वंसावशेष-सन ५६४ वर्ष का शिलालेश से सिद्ध होता है |वहां के अधिकांश निर्माण वर्ष -१२००व १४५० के बीच के हैं |इससे यह सिद्ध होता है कि इस सभ्यता का वजूद बहुत पुराना नहीं है |--माया सभ्यता वालों ने पृथ्वी की उम्र ५१२६ वर्ष आंकी है | इसे कैसे मन लिया जाये कि पृथ्वी की उम्र इतनी ही है |इतना समय  तो लगभग महाभारत को हुए बीत चूका है | हमारी पृथ्वी तो उससे पहले भी थी ||
----भारतीय गणना ------
-----सौर चान्द्र संवत्सरों का तालमेल सृष्टि के आरम्भकाल से आजतक अक्षुण चला आ रहा है |पंचांग प्रकृति से यथ्वत मेल खता है | पंचाग की गणना नुसार -सन २०१२ में प्रलय या महाप्रलय का समय नहीं आ रहा है ||
--अतः किसी को भयभीत होने की जरुरत नहीं है ||
--भवदीय पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ उत्तर प्रदेश }
--ज्योतिष सेवा निःशुल्क रात्रि ८ से९.३०तक एकबार सभी मित्रों को मिलेगी संपर्क सूत्र द्वारा -09897701636 ,09358885616

ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{1}: "क्या माया कैलेण्डर में उल्लिखित पृथ्वी की उम्र {5...

ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{1}: "क्या माया कैलेण्डर में उल्लिखित पृथ्वी की उम्र {5...: "क्या माया कैलेण्डर में उल्लिखित पृथ्वी की उम्र {5126 }अर्थात 2012 तक ही है ? --प्रश्न का उत्तर जानने से पहले हमें कुछ भारतीय -ज्योतिर गणि...

"क्या माया कैलेण्डर में उल्लिखित पृथ्वी की उम्र {5126 }अर्थात 2012 तक ही है ?

"क्या माया कैलेण्डर में उल्लिखित पृथ्वी की उम्र {5126 }अर्थात 2012 तक ही है ?
--प्रश्न का उत्तर जानने से पहले हमें कुछ भारतीय -ज्योतिर गणित {कालगणना }के सन्दर्भ में जानना होगा |
-----सूर्योपनिषद में तो सूर्य को समस्त विश्व की उत्पत्ति तथा लय का कारण कहा है |
        ---"सूर्यात भवन्ति भूतानि सूर्येण पलितानी तू |
               सूर्ये लयं प्राप्नुवन्ति यः सूर्यः सोहम्मेव च ||
---भाव -सूर्य चन्द्र अन्यान्य ग्रह नक्षत्र काल के करता अकर्ता कहे गए हैं |सूर्य सिद्धांत -१/१० के अनुसार काल दो प्रकार का होता है ---एक अव्यय अनंत रूप रहने वाला महाकाल है ,दूसरा सावयव गणना करने योग्य है | मूर्तरूप काल घटी पल ,विपल ,तिथि ,मास ,संवत्सर ,कल्प कल्पान्तर के रूप में गिना जाता है |
---सृष्टि कर्ता ब्रह्माजी हैं | चार युग {कृत ,त्रेता ,द्वापर और कलयुग} का एक महायुग होता है | जिसकी सौर वर्ष संख्या -४३२०००० होती है | इकहत्तर महायुग का एक मन्वंतर होता है | प्रत्येक कल्प में १४मन्वन्तर और १४ इन्द्र बीत जाते हैं |एक कल्प की सौ वर्ष संख्या -4318272000 कही गयी है |
-------कल्पान्त में ब्रह्मा जी का दिन समाप्त होते ही प्रलय जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है | वर्तमान में सृष्टि की रचना हुए -१९५५८८५१०९ वर्ष बीते हैं |इससे स्पष्ट है कि अभी महा प्रलय होने में -२३६२३८६८९१ इतने वर्ष और लगेंगें |
------ऐसा भी नहीं है कि इतनी लम्बी अवधि में प्राकृत में कोई उत्पात न होता हो |अन्तरिक्ष में जब -जब ग्रह अंशसाम्य होते हैं-अथवा ग्रहयुद्ध के संयोग बनते हैं |तब -तब वसुंधरा पर नाना प्रकार के महोत्पत हुआ करते हैं |प्रकृति साम्यावस्था है |जब -जब इसके संतुलन को प्राणी बिगाड़ते हैं ,तब -तब प्रकृति प्रकुपित होकर बड़ी मात्रा में संहार करती है अथवा किसी को माध्यम बनाकर उसके द्वारा विनाशलीला कराया करती है | धर्म की हनी होती है |क्षमाशीलता घटती जाती है |रजोगुण और तमोगुण अपनी चरम सीमा पर होते हैं | तब भयंकर  युद्ध  हुआ करते हैं अधर्मी  दुराचारियों का विनाश  होता है |     
-------यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत |
          अभ्युथान धर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम ||
----नोट -कुदरत के खिलाफ जब -जब क्रूर कारनामे होते हैं ,तब -तब विश्व में उत्पात तो होते ही हैं |भविष्य  के गर्त में यथार्थ क्या है ,इसे तो केवल ईस्वर ही जनता है-परन्तु इतना अवश्य है कि विश्व विनाश की ओर नपे तुले क़दमों से बढ़ता चला जा रहा है |
--भवदीय पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री" {मेरठ उत्तर प्रदेश }
  निःशुल्क ज्योतिष सेवा सभी मित्रों को एकबार ही मिल पायेगी  सम्पर्कसूत्र {हेल्प लाइन } के द्वरा रात्रि - 8  से 9 .३० पर | {आजीवन जानकारी के लिए सदस्य बनना होगा ?} --09897701636 --09358885616