ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

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शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

"पति -पतनी में सामंजस्ता अर्थात "गण मिलान"?

       "पति -पतनी में सामंजस्ता अर्थात "गण मिलान"?
--------वैवाहिक जीवन में लोग सूझ -बूझ की परम आवश्यकता होती है --किसी की पतनी अच्छी होती है तो किसी के पति अच्छे होते हैं -किन्तु दोनें अच्छे हों तो सामंजस्ता निरंतर बनी रहती है ।कुछ लोग वैवाहिक जीवन अपने लिए नहीं औरों के लिए जीते हैं --ये स्थिति उत्पन्न न हो इसलिए गण का विचार करते हैं कुंडली मिलान में -----।
    ---------रक्षो गणः पुमान स्याचेत्कान्या भवन्ति मानवी ।
                 केपिछान्ति तदोद्वाहम व्यस्तम कोपोह नेछति ।।
--अर्थात -मुहूर्त कल्पद्रुम ग्रन्थ में कहा है -कि कृतिका ,रोहिणी ,स्वाति ,मघा ,उत्तराफाल्गुनी ,पूर्वाषाढ़ा ,उत्तरा षाढा ,इन नक्षत्रों में जन्म होने पर गण दोष मान्य नहीं होता है ।
                 -------कृतिका रोहिणी स्वामी मघा चोत्त्राफल्गुनी ।
                            पूर्वा षाढेत्तराषाढे न क्वचिद गुण दोषः ।।
भाव -----वर- कन्या के राशि स्वामियों में मैत्री हो अथवा नवांश के स्वामियों में मैत्री हो तो गण आदि दुष्ट रहने पर भी विवाह पुत्र -पौत्र को बढ़ाने वाला सुखद प्रिय होता है ।
     ------नोट -अश्विनी आदि सभी नक्षत्रों के गुण ,कर्म ,स्वभाव ,परिक्षण परित्वेना --1-देवगण -2-नर गण -3-राक्षस गण -तीन विभागों में बांटा गया है ।
    {1}-वर -कन्या दोनों एक गण के हों तो उत्तम सामंजस्ता  रहती है ।
    {2}-देव -नर हों तो मध्यम सामंजस्ता रहती है ।
    {3}-देव -राक्षस हो तो -लडाई -झगडे के कारण सामंजस्ता नहीं रहती है ।
-नोट -शारंगीय में कहा गया है -कि वर -राक्षस गण का और कन्या मनुष्य गण की हो तो विवाह उचित और सामंजस्ता रहती है ।इसके विपरीत वर मनुष्य गण का एवं कन्या राक्षस गण की हो तो विवाह उचित नहीं रहता अर्थात सामंजस्ता नहीं रहती है ।।
------निवेदक पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "{मेरठ -भारत }
     ज्योतिष परामर्श हेतु-09897701636-09358885616------!

गुरुवार, 8 नवंबर 2012

"ग्रहमैत्री"अर्थात वैवाहिक अनुभूति "?

    "ग्रहमैत्री"अर्थात वैवाहिक अनुभूति "?
-----कुंडली मिलान का वास्तविक विचार वैवाहिक जीवन सुखद हो ,सरस और प्रेम से ओत प्रोत हो ----किन्तु ये सही मैत्री मिलान से ही संभव होता है ।मिलन सभी जीवों के होते हैं परन्तु जीने का ढंग सबके अलग -अलग होता है ।मानव जीवन सर्वोत्तम मानते हैं सभी इसलिए देवता भी लालायित रहते हैं ।हम कैसे जियें ये न सोचकर हमसे लोग ,समाज ,परिवार ,संताने क्या सीखें ये सोच रखने वाले कुंडली का मिलान कराते हैं ---।
      ----------मैत्री कूट सात प्रकार के होते हैं ।-----और इनके गुण 5 मानते हैं ।
                      {1}-वर -कन्या की राशियों में स्वामी ग्रह एक होने पर तथा परस्पर मैत्री सम्बन्ध होने पर -5 गुण होते हैं ।
            {2}-सम मित्रता होने पर -4 गुण मानते हैं ।
            {3}-दोनों में समता होने पर -3गुण मानते हैं ।
                {4}-मित्र से शत्रुता होने पर -1 गुण होता है ।
             {5}-अगर सम शत्रुता हो तो आधा गुण एवं राशियों में परस्पर शत्रुता होने पर गुण नहीं होता है ।
----भाव --मित्रादि होने पर भी यदि नीच या निर्बल हो तो एक गुण कम ही मानते हैं --किन्तु ये सभी जगह मान्य नहीं है ।
   नोट -----कभी -कभी लोग कुंडली मिलान को उपहास समझकर मिलान नहीं कराते हैं किन्तु जब जीवन दुखी हो जाता है तो पुनः ज्योतिष की शरण में आते हैं ------संसार में ज्योतिष भेद -भाव रहित अनमोल गुरुजनों की देन हैं --जो केवल भाव ,श्रद्धा से ही समझ में आ सकती है --अतः  वैवाहिक जीवन सुखी हो-ज्योतिष की भी सुनें ?
-----निवेदक -पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "-{मेरठ -भारत }

बुधवार, 7 नवंबर 2012

"योनि विचार -अर्थात पति -पतनी के प्राकृतिक स्वभाव ?"

      "योनि विचार -अर्थात पति -पतनी के प्राकृतिक स्वभाव ?"
--कुंडली के मिलान में -योनि -का विचार अवश्य करते हैं --अगर रंग ,रूप अर्थात सभी ठीक हो किन्तु परस्पर स्वभाव सही नहीं हो तो मन खिन्न रहता है ।प्रेम तो होता है किन्तु -एक दूसरे के प्रति हिंसक प्रवृत्ति शव्दों की बनी रहती है -जो सुखों को कम कर देती है ।
       ------ज्योतिष में नक्षत्रों को -अश्व ,गज ,मेष ,सर्प ,श्वान ,मार्जार ,मूषक ,गौ ,महिष ,व्याघ्र ,मृग ,वानर ,नकुल सिंह इन 14-जानवरों की योनियों में गिना गया है ।-{1}-अश्विनी -शतभिषा नक्षत्र की योनि अश्व मानी गई है ।-{2}-भरणी -रेवती की गज है ।-{3}-कृतिका -पुष्य की मेष है ।-{4}-रोहिणी -मृगशिरा की सर्प है ।-{5}-आर्द्रा -मूल की श्वान है ।-{6}-पुनर्वसु -आश्लेषा की मार्जार है ।-{7}-मघा -पूर्वाफाल्गुनी की मूषक है।-{8}-उत्तराफाल्गुनी -उत्तराभाद्रपद की गौ है ।-{9}-हस्त -स्वाति की महिष है ।-{10}-चित्रा -विशाखा की व्याघ्र है ।-{11}अनुराधा -ज्येष्ठा की मृग है ।-{12}-पूर्वाषाढा-श्रवण की वानर है ।तथा -{13}-उत्तराषाढा-अभिजित की नकूल है ।-{14}-धनिष्ठा -पूर्वाभाद्रपद की योनि सिंह कही गई है ।।
      {1}-ये तीन प्रकार के स्वभाव वाले होते हैं ---{1}-महावैर -सहजवैर ।-{2}-समभाव ।-{3}-मैत्री भाव -अति मैत्री ।---योनियों में जो प्राकृतिक देन होती है ,उसी के अनुसार गुण ग्रहण किये जाते हैं ।-जैसे -परस्पर महावैर हो तो --00 गुण मानते हैं ।अगर सहजवैर हो तो -01गुण मानते हैं । यदि -समभाव हो तो 02 गुण मानते हैं ।मैत्री में -03 गुण होते हैं ।अतिमैत्री में -04 गुण उत्तम मानते हैं ।।
       --------नोट आजकल इस योनि पर विचार कम करते हैं --जिस कारण प्रेम तो अत्यधिक होता है किन्तु शव्दों के प्रहार से वैवाहिक जीवन दुखी रहता है ।अतः विवाह तो अवश्य होना है --किन्तु विवाह संस्कार में उन नामों से विवाह किया जाय जो योनि के मिलान को भी सही बनाते हों या कर्मकांड के द्वारा दोष दूर करते हो --तो जीवन आनंदमय बीतेगा ।।
प्रेषकः --पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "-{मेरठ -भारत } 

मंगलवार, 6 नवंबर 2012

"पति -पतनी की अडिगता -चतुर्थ "तारा विचार "?

   "पति -पतनी की अडिगता -चतुर्थ "तारा विचार "?
----पति -पतनी की सबसे बड़ी विशेषता अपने जीवन में एक दूसरे के प्रति समर्पित रहना होता है ,क्योंकि रूप का मोह समाप्त होते ही परिवार और समाज से जुड़ जाते हैं तब हमें एक आदर्श अभिभावक बनना पड़ता है और -ये तब संभव होता है ---जब हमारी कुंडली में तारा का सही मिलान हुआ हो । जिस प्रकार से अनंत तारा होते हुए भी रोशनी नहीं मिलती हो किन्तु ये अपनी -अपनी जगह स्थिर रहते हैं --जो सूर्य एवं चंद्रमा को स्थिरता प्रदान करते हैं ।
      -------कन्या के नक्षत्र से वर के नक्षत्र तक और वर के नक्षत्र से कन्या के नक्षत्र तक "अभिजित "को छोड़कर गणना करके अलग -अलग 9के भाग देने से जो संख्या शेष रहे वह तारा होती है ।-तारा संख्या -3/5/7/-अशुभ होती है -एवं -1/2/4/6/8/9/{0}शेष रहे तो शुभ होती है ।।
    ------निदान -{1}---3--शेष हो तो -विपत नाम की तारा कहलाती है ---इनकी शांति -गुड का दान करने से हो जाती है ।
{2}--5 शेष हो तो प्रत्यरी नाम की तारा होती है ----इनकी शांति नमक का दान करने से होती है ।
{3}--7-शेष हो तो वध नाम की तारा होती है --इनकी शांति -सफेद तिल ,तेल या तिलकूटी-मिठाई एवं स्वर्ण दान से अशुभता समाप्त हो जाती है ।
-------नोट --अगर प्रेम हो गया हो ,विवाह आपको वहीँ करना है जो पसंद है तो चिंता न करें --निदान के लिए कर्मकांड है ज्योतिष का पूरक -----किन्तु समाज और परिवार के प्रति अपना योगदान को न भूलें  इस हेतु कुंडली मिलान जरुर करें ।
निवेदक -पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "{मेरठ -भारत }