
-आजीवन सदस्यता शुल्क -1100.rs,जिसकी आजीवन सम्पूर्ण जानकारी सेवा सदन के पास होगी ।। --सदस्यता शुल्क आजीवन {11.00- सौ रूपये केवल । --कन्हैयालाल शास्त्री मेरठ ।-खाता संख्या 20005973259-स्टेट बैंक {भारत }Lifetime membership fee is only five hundred {11.00}. - Kanhaiyalal Meerut Shastri. - Account Number 20005973259 - State Bank {India} Help line-09897701636 +09358885616
ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }
निःशुल्क ज्योतिष सेवा ऑनलाइन रात्रि ८ से९ जीमेल पर [पर्तिदिन ]
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---जिस दिशा में 'शुक्र "सम्मुख एवं जिस दिशा में दक्षिण हो ,उन दिशाओं में बालक ,गर्भवती स्त्री तथा नूतन विवाहिता स्त्री को यात्रा ...
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"योनि विचार -अर्थात पति -पतनी के प्राकृतिक स्वभाव ?" --कुंडली के मिलान में -योनि -का विचार अवश्य करते हैं --अगर रंग ,रूप अ...
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------वर्ष -2013 का विशेष समय अच्छा बीतेगा ।लाभ और खर्च का संतुलन बना रहेगा ।दोस्तों से इच्छित सहयोग मिलेगा ।तरक्की का अवसर आयेगा हाथ में ।...
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"Success lies not in the "Result",But in the "Effort",..." Being the Best is NOT so important,...
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"Line for every1-from my side-- Dea rest frnd u might b a little little somthing in this big big world,But u r a big big s...
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--नक्षत्र २७ हैं ,सभी जानते हैं ,किन्तु सभी नक्षत्रों की संज्ञा एवं उन नक्षत्रों में हम कोन सा कार्ज करें --शास्त्रकारों के विचार को जा...
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"Every lost game inspires us to try one more time , Always remember "Defeat is temporary but giving up makes it permanent...
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मास के प्रारंभ में "धनु "का शुक्र बाजार में प्रभावी होगा -अतः बाजार में विशेष घटा -बढ़ी होगी ।-10/01/2013को शुक्र ज्येष्ठा नक्...
शुक्रवार, 15 जून 2012
ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री ": "शनि की साढ़ेसाती विचार -कुंडली में आपके पैरों के ...
ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री ": "शनि की साढ़ेसाती विचार -कुंडली में आपके पैरों के ...: "शनि की साढ़ेसाती विचार -कुंडली में आपके पैरों के प्रभाव ?" --जिस राशि में शनि भ्रमण करता है उससे बारहवी और दूसरी राशि को भी त्रस्त {पीड़ित...
प्रस्तुतकर्ता
ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ }
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शुक्रवार, जून 15, 2012
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"शनि की साढ़ेसाती विचार -कुंडली में आपके पैरों के प्रभाव ?"
"शनि की साढ़ेसाती विचार -कुंडली में आपके पैरों के प्रभाव ?"
--जिस राशि में शनि भ्रमण करता है उससे बारहवी और दूसरी राशि को भी त्रस्त {पीड़ित } करता है |तीन राशियों का भोगकाल साढ़ेसात वर्षों का होता है |शनि की साढ़ेसाती लगने से -१०० दिनों तक जातक के मुख पर प्रभाव रहता है --ये हानिकारक होता है |ऐसे ही ४०० दिनों तक दक्षिण भुजा पर शनि का प्रभाव रहता है --जो जातक को विजय दिलाता है | ६०० दिनों तक जातक के चरणों में शनि का प्रभाव रहता है -जो जातक को यत्र -तत्र भ्रमण कराता रहता है | ४०० दिनों तक वामभुजा के ऊपर शनि का प्रभाव रहता है -जो जातक को -दुःख प्रदान करता है | ५०० दिनों तक जातक के उदार पर शनि का प्रभाव रहता है -जो जातक को लाभ देता है | ३०० दिनों तक जातक के मस्तक पर शनि का प्रभाव रहता है-जो जातक को राज्य का लाभ दिलाता है | २०० दिनों तक जातक के नेत्रों पर शनि का प्रभाव रहता है -जो जातक को दुःख प्रदान करता है |२०० दिनों तक गुदा में प्रभाव रहता है शनि का -जो जातक को दुःख प्रदान करता है --इस प्रकार से २७०० दिनों तक शनि की साढ़ेसाती रहती है -जो समयानुसार -क्रम से जातक को लाभ या हानी देती है ||
----जातक के जन्म होते ही अभिभावक -अपने शिशु के पैर की कुंडली में प्रभाव देखते है --जब जातक जन्म लेता है -तो चंद्रमा की स्थिति से पैरों की जानकारी मिलती है -कुंडली के -१,६,११ भाव में चन्द्रमा हो तो -शिशु के स्वर्ण पैर होते हैं -प्रभाव -हानिकारक माना जाता है |२,५,९ भाव में चन्द्रमा होने से -रजत पैर माने जाते हैं -जो लाभदायक होते हैं |३,७,१० भाव में चन्द्रमा होने पर -ताम्बे के पैर होते हैं जो -उत्तम माने जाते हैं | ४,८,१२ भाव में चन्द्रमा होने पर -लोहे के पैर माने जाते हैं -जो हानिकारक होते हैं |
----"{लोहे धन विनाशः स्यान्सर्व सौखयम च }
---भवदीय -पंडित कन्हैयालाल " झा शास्त्री "
--जिस राशि में शनि भ्रमण करता है उससे बारहवी और दूसरी राशि को भी त्रस्त {पीड़ित } करता है |तीन राशियों का भोगकाल साढ़ेसात वर्षों का होता है |शनि की साढ़ेसाती लगने से -१०० दिनों तक जातक के मुख पर प्रभाव रहता है --ये हानिकारक होता है |ऐसे ही ४०० दिनों तक दक्षिण भुजा पर शनि का प्रभाव रहता है --जो जातक को विजय दिलाता है | ६०० दिनों तक जातक के चरणों में शनि का प्रभाव रहता है -जो जातक को यत्र -तत्र भ्रमण कराता रहता है | ४०० दिनों तक वामभुजा के ऊपर शनि का प्रभाव रहता है -जो जातक को -दुःख प्रदान करता है | ५०० दिनों तक जातक के उदार पर शनि का प्रभाव रहता है -जो जातक को लाभ देता है | ३०० दिनों तक जातक के मस्तक पर शनि का प्रभाव रहता है-जो जातक को राज्य का लाभ दिलाता है | २०० दिनों तक जातक के नेत्रों पर शनि का प्रभाव रहता है -जो जातक को दुःख प्रदान करता है |२०० दिनों तक गुदा में प्रभाव रहता है शनि का -जो जातक को दुःख प्रदान करता है --इस प्रकार से २७०० दिनों तक शनि की साढ़ेसाती रहती है -जो समयानुसार -क्रम से जातक को लाभ या हानी देती है ||
----जातक के जन्म होते ही अभिभावक -अपने शिशु के पैर की कुंडली में प्रभाव देखते है --जब जातक जन्म लेता है -तो चंद्रमा की स्थिति से पैरों की जानकारी मिलती है -कुंडली के -१,६,११ भाव में चन्द्रमा हो तो -शिशु के स्वर्ण पैर होते हैं -प्रभाव -हानिकारक माना जाता है |२,५,९ भाव में चन्द्रमा होने से -रजत पैर माने जाते हैं -जो लाभदायक होते हैं |३,७,१० भाव में चन्द्रमा होने पर -ताम्बे के पैर होते हैं जो -उत्तम माने जाते हैं | ४,८,१२ भाव में चन्द्रमा होने पर -लोहे के पैर माने जाते हैं -जो हानिकारक होते हैं |
----"{लोहे धन विनाशः स्यान्सर्व सौखयम च }
---भवदीय -पंडित कन्हैयालाल " झा शास्त्री "
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ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ }
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शुक्रवार, जून 15, 2012
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गुरुवार, 14 जून 2012
"पंचकों में क्या करें ? क्या नहीं करें?"
"पंचकों में क्या करें ? क्या नहीं करें?"
--रत्नमाला ग्रन्थ के अनुसार -धनिष्ठा ,शतभिषा ,पूर्वाभाद्रपद,उत्तरा भाद्रपद और रेवती इन पञ्च नक्षत्रों को पंचक कहते हैं |
"वसवोतर दलादी पंचके याम्य्दिग्गम्नेह गोपनम|
प्रेतदाह त्रीण काष्ठ संग्रह श्य्यादिकवि तननम च वर्जयेत ||
----भाव --पंचकों में दक्षिण दिशा की यात्रा ,वायुयान की सवारी करना,मकान की छत या लेंटर डालना ,झोपडी तैय्यार करना,मृतक का अग्निसंस्कार करना,तिनके तोडना ,काष्ठ्संग्रह करना,चारपाई {ख़त }बनवाना {बुनवाना },पलग कुर्सी बनवाना ,स्तम्भारोपन,त्रीण ताम्बा ,पीतल का संचय करना वर्जित कहा गया है |
---पंचकों में हानि - लाभ अन्य कार्य पांचगुना,त्रिपुष्कर योग में तीन गुणा तथा द्विपुष्कर योग में दो गुणा फल मिलने की सम्भावना रहती है |
-----विधिवत अशुभ संयोग बन पड़े तो नक्षत्र पूजा ,दान पुण्यार्जन ,द्विजभोजन सम्मान करने पर कार्य क्षेत्र में हानी होने का अंदेशा नहीं रहता है शुभकार्यों में तो हमेशा शुभ ही मिलते हैं ।
------ध्यान रहे --- मुहुर्तग्रंथों में विवाह ,यज्ञोपवीत, मुंडन संस्कार ,गृहारंभ ,गृहप्रवेश ,वधुप्रवेश ,आदि देवपूजन ,व्रत ,उद्यापन तथा होली ,दीपावली ,रक्षाबंधन ,भैय्यादूज ,करवाचौथ अदि पर्वोत्सवों में पंचक निशेध के विषय में कहीं कुछ नहीं लिखा ,अपितु धनिष्टादी पांचों नक्षत्रों को मंगलोत्सव में शुभ लिखा है ।
{ देखें ---वृहद्दैवग्यरंजनग्रन्थ में }
-----भवदीय -पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "
{मेरठ -"उत्तर प्रदेश }
निःशुल्क ज्योतिष सेवा सभी मित्रों को एकबार अवश्य मिलेगी -हेल्प लाइन {सम्पर्क सूत्र }के द्वारा रात्रि -8से 9.30 तक {प्रति रात्रि }---09897701636-09358885616----।।
--रत्नमाला ग्रन्थ के अनुसार -धनिष्ठा ,शतभिषा ,पूर्वाभाद्रपद,उत्तरा भाद्रपद और रेवती इन पञ्च नक्षत्रों को पंचक कहते हैं |
"वसवोतर दलादी पंचके याम्य्दिग्गम्नेह गोपनम|
प्रेतदाह त्रीण काष्ठ संग्रह श्य्यादिकवि तननम च वर्जयेत ||
----भाव --पंचकों में दक्षिण दिशा की यात्रा ,वायुयान की सवारी करना,मकान की छत या लेंटर डालना ,झोपडी तैय्यार करना,मृतक का अग्निसंस्कार करना,तिनके तोडना ,काष्ठ्संग्रह करना,चारपाई {ख़त }बनवाना {बुनवाना },पलग कुर्सी बनवाना ,स्तम्भारोपन,त्रीण ताम्बा ,पीतल का संचय करना वर्जित कहा गया है |
---पंचकों में हानि - लाभ अन्य कार्य पांचगुना,त्रिपुष्कर योग में तीन गुणा तथा द्विपुष्कर योग में दो गुणा फल मिलने की सम्भावना रहती है |
-----विधिवत अशुभ संयोग बन पड़े तो नक्षत्र पूजा ,दान पुण्यार्जन ,द्विजभोजन सम्मान करने पर कार्य क्षेत्र में हानी होने का अंदेशा नहीं रहता है शुभकार्यों में तो हमेशा शुभ ही मिलते हैं ।
------ध्यान रहे --- मुहुर्तग्रंथों में विवाह ,यज्ञोपवीत, मुंडन संस्कार ,गृहारंभ ,गृहप्रवेश ,वधुप्रवेश ,आदि देवपूजन ,व्रत ,उद्यापन तथा होली ,दीपावली ,रक्षाबंधन ,भैय्यादूज ,करवाचौथ अदि पर्वोत्सवों में पंचक निशेध के विषय में कहीं कुछ नहीं लिखा ,अपितु धनिष्टादी पांचों नक्षत्रों को मंगलोत्सव में शुभ लिखा है ।
{ देखें ---वृहद्दैवग्यरंजनग्रन्थ में }
-----भवदीय -पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "
{मेरठ -"उत्तर प्रदेश }
निःशुल्क ज्योतिष सेवा सभी मित्रों को एकबार अवश्य मिलेगी -हेल्प लाइन {सम्पर्क सूत्र }के द्वारा रात्रि -8से 9.30 तक {प्रति रात्रि }---09897701636-09358885616----।।
प्रस्तुतकर्ता
ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ }
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गुरुवार, जून 14, 2012
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मंगलवार, 12 जून 2012
"अपनी -अपनी जन्म तिथियों के स्वाभाव और प्रभाव जानें ?"
"अपनी -अपनी जन्म तिथियों के स्वाभाव और प्रभाव जानें ?"
--ज्योतिष के दो प्रारूप हैं -गणित और फलित |-गणित को गणना के माध्यम से ही जाना जा सकता है ,किन्तु समय के आभाव के कारण कुछ जातक - आपकी कुंडली की जानकारी से वंचित रह जाते हैं | उन जातकों के हित के लिए और जिन जातकों को अपनी कुंडली की जानकारी उपलब्ध रहती है उन सभी के लिए भी--अपनी -अपनी जन्म तिथियों की जानकारी के द्वारा -अपने -अपने कष्टको दूर कर सकते हैं |
----वैदिक प्रक्रिया में सात्विक बलिदानों के विधान बताये गए हैं-|
जन्म चाहे शुक्ल पक्ष में हो या कृष्ण पक्ष में तिथिओं का फलित यथावत होता है |
{१}-प्रतिपदा तिथि में जन्म हुआ हो तो -- स्वामी अग्निदेव हैं -कष्ट तिथि आपकी द्वादशी होगी --शक्कर एवं घी की आहुति देने से {हवन में }लाभ होगा |-दान आप -घी एवं अन्न का करें |
{२}-द्वितीया तिथि में जन्म हुआ हो तो --आपके स्वामी -ब्रह्मा हैं,कष्दायक तिथि पंचमी रहेगी ,पायस{खीर }की आहुति देने से लाभ होगा,---भोजन का दान करने से सुख समृद्धि आएगी |
{३}-तृतीया तिथि में जन्म हुआ हो तो - इष्टदेव -देवी हैं ,सप्तमी तिथि आपके लिए हानिकारक रहेगी ,घी और अन्न की आहुति से लाभ होगा ,-दान आप रक्तवस्त्र का करें -अत्यधिक प्रसन्नता मिलेगी ||
{४}-चतुर्थी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो --इष्टदेव आपके गणेशजी हैं ,पूर्णिमा तिथि आपके लिए अहितकर रहेगी ,मिष्टान की आहुति देने से-प्रसन्नता मिलेगी ,रत्न मूंगा का दान से लक्ष्मी की प्राप्ति होगी ||
{५}-पंचमी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो -इष्टदेव आपके नागदेव हैं ,षष्ठी तिथि आपके लिए अहितकर रहेगी ,खीर की आहुति से लाभ होगा ,दूध का दान से प्रसन्नता मिलेगी ||
{६}-षष्ठी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो -इष्टदेव आपके कार्तिकजी हैं ,द्वादशी तिथि कष्दायक रहेगी आपके लिए ,मोदक की आहुति से लाभ होगा ,चित्रित वस्त्र का दान से उन्नति होगी आपकी ||
{७}-सप्तमी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो -इष्टदेव आपके सूर्यदेव हैं ,अष्टमी तिथि में हानी होगी आपको ,खीर की आहुति से लाभ मिलेगा ,ताम्बे के पत्र का दान से लक्ष्मी की प्राप्ति होगी ||
{८}-अष्टमी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो - इष्टदेव आपके शिव हैं ,त्रयोदशी तिथि हानिकारक रहेगी ,सामग्री { शाकल्य }की आहुति से लाभ होगा ,पीतवस्त्र का दान से पद और गरिमा मिलेगी |
{९}-नवमी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो -इष्टदेव आपकी दुर्गा हैं ,तृतीया तिथि हानिकारक रहेगी ,मिष्ठान्न की आहुति से उन्नति होगी ,रक्तवस्त्र का दान से लाभ होगा |
{१०}-दशमी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो -इष्टदेव आपके यमदेव हैं ,दशमी तिथि आपके लिए अहितकर रहेगी,शाकल्य की आहुति से उन्नति होगी ,नीलवस्त्र का दान से रोग शोक नहीं होंगें ||
{११}एकादशी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो --आपके इष्टदेव विस्वेदेव हैं , सप्तमी तिथि हानिकारक रहेगी ,मोदक की आहुति से लाभ होगा ,पीतवस्त्र का दान से उन्नति होगी |
{१२} द्वादशी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो -इष्टदेव आपके विष्णुदेव हैं ,सप्तमी तिथि हानिकारक रहेगी ,मिष्ठान की आहुति से लाभ होगा ,स्वेत्वस्त्र का दान से उन्नति होगी |
{१३}त्रयोदशी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो-इष्टदेव आपके कामदेव हैं ,दशमी तिथि हानिकारक रहेगी ,दही और शर्करा की आहुति से लाभ होगा ,स्वर्ण का दान से राजयोग बनेगा |
{१४}-चतुर्दशी तिथि में जन्म हुआ हो तो -- इष्टदेव आपके शिव हैं ,अमावस तिथि हानिकारक रहेगी ,शाकल्य की आहुति से लाभ होगा,रजत का दान या अभिषेक से उन्नति होगी ||
{१५}पूणिमा तिथि में जन्म हुआ हो तो -आपके इष्टदेव चन्द्रमा हैं ,दही का दान से लाभ होगा ,चंडी का दान से उन्नति होगी |
{१६}-अमावस तिथि में जन्म हुआ हो तो --इष्टदेव आपके पितर हैं,तृतीया तिथि आपके लिए अहितकर रहेगी ,पका अन्न की आहुति से लाभ मिलेगा {खीर },सुन्दर भूदेव को भोजन करने से लाभ होगा ||
-----सभी मित्र बंधू अपनी -अपनी तिथि में जन्म के अनुसार प्रयोग करके देखें अति लाभ होगा ||
--निवेदक -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ उत्तर प्रदेश }
निःशुल्क ज्योतिष सेवा रात्रि 8 से .9 ३० तक प्रत्येक रात्रि सभी मित्रों के लिए उपलब्ध रहती है | हेल्प लाइन के द्वारा यह सेवा प्राप्त करें == 09897701636 ,09358885616
--ज्योतिष के दो प्रारूप हैं -गणित और फलित |-गणित को गणना के माध्यम से ही जाना जा सकता है ,किन्तु समय के आभाव के कारण कुछ जातक - आपकी कुंडली की जानकारी से वंचित रह जाते हैं | उन जातकों के हित के लिए और जिन जातकों को अपनी कुंडली की जानकारी उपलब्ध रहती है उन सभी के लिए भी--अपनी -अपनी जन्म तिथियों की जानकारी के द्वारा -अपने -अपने कष्टको दूर कर सकते हैं |
----वैदिक प्रक्रिया में सात्विक बलिदानों के विधान बताये गए हैं-|
जन्म चाहे शुक्ल पक्ष में हो या कृष्ण पक्ष में तिथिओं का फलित यथावत होता है |
{१}-प्रतिपदा तिथि में जन्म हुआ हो तो -- स्वामी अग्निदेव हैं -कष्ट तिथि आपकी द्वादशी होगी --शक्कर एवं घी की आहुति देने से {हवन में }लाभ होगा |-दान आप -घी एवं अन्न का करें |
{२}-द्वितीया तिथि में जन्म हुआ हो तो --आपके स्वामी -ब्रह्मा हैं,कष्दायक तिथि पंचमी रहेगी ,पायस{खीर }की आहुति देने से लाभ होगा,---भोजन का दान करने से सुख समृद्धि आएगी |
{३}-तृतीया तिथि में जन्म हुआ हो तो - इष्टदेव -देवी हैं ,सप्तमी तिथि आपके लिए हानिकारक रहेगी ,घी और अन्न की आहुति से लाभ होगा ,-दान आप रक्तवस्त्र का करें -अत्यधिक प्रसन्नता मिलेगी ||
{४}-चतुर्थी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो --इष्टदेव आपके गणेशजी हैं ,पूर्णिमा तिथि आपके लिए अहितकर रहेगी ,मिष्टान की आहुति देने से-प्रसन्नता मिलेगी ,रत्न मूंगा का दान से लक्ष्मी की प्राप्ति होगी ||
{५}-पंचमी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो -इष्टदेव आपके नागदेव हैं ,षष्ठी तिथि आपके लिए अहितकर रहेगी ,खीर की आहुति से लाभ होगा ,दूध का दान से प्रसन्नता मिलेगी ||
{६}-षष्ठी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो -इष्टदेव आपके कार्तिकजी हैं ,द्वादशी तिथि कष्दायक रहेगी आपके लिए ,मोदक की आहुति से लाभ होगा ,चित्रित वस्त्र का दान से उन्नति होगी आपकी ||
{७}-सप्तमी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो -इष्टदेव आपके सूर्यदेव हैं ,अष्टमी तिथि में हानी होगी आपको ,खीर की आहुति से लाभ मिलेगा ,ताम्बे के पत्र का दान से लक्ष्मी की प्राप्ति होगी ||
{८}-अष्टमी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो - इष्टदेव आपके शिव हैं ,त्रयोदशी तिथि हानिकारक रहेगी ,सामग्री { शाकल्य }की आहुति से लाभ होगा ,पीतवस्त्र का दान से पद और गरिमा मिलेगी |
{९}-नवमी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो -इष्टदेव आपकी दुर्गा हैं ,तृतीया तिथि हानिकारक रहेगी ,मिष्ठान्न की आहुति से उन्नति होगी ,रक्तवस्त्र का दान से लाभ होगा |
{१०}-दशमी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो -इष्टदेव आपके यमदेव हैं ,दशमी तिथि आपके लिए अहितकर रहेगी,शाकल्य की आहुति से उन्नति होगी ,नीलवस्त्र का दान से रोग शोक नहीं होंगें ||
{११}एकादशी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो --आपके इष्टदेव विस्वेदेव हैं , सप्तमी तिथि हानिकारक रहेगी ,मोदक की आहुति से लाभ होगा ,पीतवस्त्र का दान से उन्नति होगी |
{१२} द्वादशी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो -इष्टदेव आपके विष्णुदेव हैं ,सप्तमी तिथि हानिकारक रहेगी ,मिष्ठान की आहुति से लाभ होगा ,स्वेत्वस्त्र का दान से उन्नति होगी |
{१३}त्रयोदशी तिथि में आपका जन्म हुआ हो तो-इष्टदेव आपके कामदेव हैं ,दशमी तिथि हानिकारक रहेगी ,दही और शर्करा की आहुति से लाभ होगा ,स्वर्ण का दान से राजयोग बनेगा |
{१४}-चतुर्दशी तिथि में जन्म हुआ हो तो -- इष्टदेव आपके शिव हैं ,अमावस तिथि हानिकारक रहेगी ,शाकल्य की आहुति से लाभ होगा,रजत का दान या अभिषेक से उन्नति होगी ||
{१५}पूणिमा तिथि में जन्म हुआ हो तो -आपके इष्टदेव चन्द्रमा हैं ,दही का दान से लाभ होगा ,चंडी का दान से उन्नति होगी |
{१६}-अमावस तिथि में जन्म हुआ हो तो --इष्टदेव आपके पितर हैं,तृतीया तिथि आपके लिए अहितकर रहेगी ,पका अन्न की आहुति से लाभ मिलेगा {खीर },सुन्दर भूदेव को भोजन करने से लाभ होगा ||
-----सभी मित्र बंधू अपनी -अपनी तिथि में जन्म के अनुसार प्रयोग करके देखें अति लाभ होगा ||
--निवेदक -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ उत्तर प्रदेश }
निःशुल्क ज्योतिष सेवा रात्रि 8 से .9 ३० तक प्रत्येक रात्रि सभी मित्रों के लिए उपलब्ध रहती है | हेल्प लाइन के द्वारा यह सेवा प्राप्त करें == 09897701636 ,09358885616
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मंगलवार, जून 12, 2012
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रविवार, 10 जून 2012
"जन्मराशि और नामराशि का उपयोग कर्म के अनुसार करें ?"
"जन्मराशि और नामराशि का उपयोग कर्म के अनुसार करें ?"
---जिन जातकों को अपनी जन्मराशि और प्रचलित नामराशि की जानकारी हों--वो जातक अपने -अपने कार्य के अनुसार राशि का उपयोग करें ---
----"विवाहे सर्वमांगल्ये यात्रा दोग्रहगोचरे |
जन्मराशे प्रधानत्वं नाम राशि न चिन्तये ||
--भाव -विवाह के समय ,सभी मंगल कार्य के समय तथा ग्रहों की स्थिति{राशि फल } देखने के समय जन्म राशि से विचार करना चाहिए न कि--अपने प्रचलित नामराशि का ||
----देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायाम व्यवहारके |
नाम राशेह प्रधानत्वं जन्म राशि न चिन्तये ||
----भाव --किसी देश में निवास करना हो ,किसी शहर में रहना हो ,मकान बनाना हो,नौकरी करनी हो या फिर तत्काल के कोई भी कार्य हो -तो प्रचलित नाम की राशि का उपयोग करना चाहिए न कि जन्मराशि का |
----विवाहं घट्नम चैव लग्नजम ग्रह्जम बलम |
नामभाद विचिंत्येव सर्वजन्म न ज्ञायते ||
--भाव -अगर जन्मराशि की जानकारी न हो तो -तत्काल के लग्न के अनुसार कार्य करना चाहिए और वो भी ज्ञात न हो तो -अपनी प्रचलित नाम राशि के अनुसार कार्य करने चाहिए ||
--घात तिथिर घतवारह घात नक्षत्र मेव च |
यात्रायाम वर्जयत प्राग्य्त्व न्य्कर्म्सू शोभनम ||
--नोट ध्यान दें -यात्रा के समय घाततिथि,घातवार,एवं घातनक्षत्र में यात्रा न करें ||
भवदीय निवेदक -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ उतर प्रदेश }
निःशुल्क ज्योतिष सेवा सभी मित्रों को एकबार अवश्य मिलेगी -संपर्क सूत्र द्वरा -प्रति रात्रि -8 से९.30 तक =09358885616 --09897701636
---जिन जातकों को अपनी जन्मराशि और प्रचलित नामराशि की जानकारी हों--वो जातक अपने -अपने कार्य के अनुसार राशि का उपयोग करें ---
----"विवाहे सर्वमांगल्ये यात्रा दोग्रहगोचरे |
जन्मराशे प्रधानत्वं नाम राशि न चिन्तये ||
--भाव -विवाह के समय ,सभी मंगल कार्य के समय तथा ग्रहों की स्थिति{राशि फल } देखने के समय जन्म राशि से विचार करना चाहिए न कि--अपने प्रचलित नामराशि का ||
----देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायाम व्यवहारके |
नाम राशेह प्रधानत्वं जन्म राशि न चिन्तये ||
----भाव --किसी देश में निवास करना हो ,किसी शहर में रहना हो ,मकान बनाना हो,नौकरी करनी हो या फिर तत्काल के कोई भी कार्य हो -तो प्रचलित नाम की राशि का उपयोग करना चाहिए न कि जन्मराशि का |
----विवाहं घट्नम चैव लग्नजम ग्रह्जम बलम |
नामभाद विचिंत्येव सर्वजन्म न ज्ञायते ||
--भाव -अगर जन्मराशि की जानकारी न हो तो -तत्काल के लग्न के अनुसार कार्य करना चाहिए और वो भी ज्ञात न हो तो -अपनी प्रचलित नाम राशि के अनुसार कार्य करने चाहिए ||
--घात तिथिर घतवारह घात नक्षत्र मेव च |
यात्रायाम वर्जयत प्राग्य्त्व न्य्कर्म्सू शोभनम ||
--नोट ध्यान दें -यात्रा के समय घाततिथि,घातवार,एवं घातनक्षत्र में यात्रा न करें ||
भवदीय निवेदक -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ उतर प्रदेश }
निःशुल्क ज्योतिष सेवा सभी मित्रों को एकबार अवश्य मिलेगी -संपर्क सूत्र द्वरा -प्रति रात्रि -8 से९.30 तक =09358885616 --09897701636
प्रस्तुतकर्ता
ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ }
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रविवार, जून 10, 2012
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"जुड़ने से पहले-एक नजर निवेदन पर डालें ?"
"जुड़ने से पहले-एक नजर निवेदन पर डालें ?"
--सभी "ज्योतिष सेवा सदन " से जुड़ने वाले एवं जुड़े हुए मित्र बंधुओं से निवेदक है ,कि आप सभी इन नियमों का सदा पालन करें ?
--{१}-ज्योतिष सेवा सदन देश -विदेशों में रह रहे सभी मित्रों को अपने साथ निरंतर ज्योतिष एवं कर्मकांड की सलाह और ज्ञान का आदान- प्रदान निःशुल्कआजीवन देता रहेगा देता है ,लेखों के माध्यम से ||
{२}-ज्योतिष सेवा सदन के सदस्य वही बन सकते हैं-जो आदर करना और आदर देना जानते हैं ,जो संस्कृति और संस्कारों से अपने आपको बांधे रखना चाहते
हैं |
{३}-ज्योतिष सेवा सदन- के कोई भी कहीं के भी सदस्य बन सकते हैं ,किन्तु आस्थावान ही बने | ज्योतिष सेवा केवल निःशुल्क एकबार मित्रों को ही मिल पायेगी चाहे आप नेट पर जहाँ भी जुड़ें हों --ऑरकुट ,फेसबुक ,ट्विट्टर ,इबीबो ,हि५ ,जीमेल ,होटमेल,याहू ,नेट्लोग--ब्लॉग पोस्ट -आदि -आदि कहीं भी -ज्योतिष सेवा सदन के नाम से ही उपलब्ध है ||
{४}-ज्योतिष सेवा सदन -की सेवा अगर आपको अच्छी लगती है ,साथ ही अपने परिवार की जानकारी भी चाहते हैं ,निरंतर जुड़ें रहना चाहते हैं ,सलाह और सुगम पथ की जानकारी चाहते हैं तो आपको -ज्योतिष सेवा सदन का सदस्य बनना पड़ेगा --जिसका आजीवन शुल्क 500 रूपरे अदा करने पड़ते हैं ,तभी आप आजीवन जानकारी मौखिक प्राप्त कर पायेंगें ---लेखों के द्वरा हम निरंतर सभी सदस्यों तक पहुँचने की कोशिश करते रहते हैं ||
{५}-ज्योतिष की जानकारी ,या विशेष सलाह आप केवल हेल्प लाइन के माध्यम से ही लें --क्यों की हम लिखने में असमर्थ रहते हैं ||
{६}-मित्रों की अत्यधिक संख्या होने के कारण-ज्योतिष सेवा का समय हमने -रात्रि ८ से 9 .30 कर दिया है आगे और समय बढ़ा देंगें-ताकि किसी भी मित्रों को दिक्कत न हो ?
भवदीय निवेदक -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ उत्तर प्रदेश }
आपकी सहायतार्थ नंबर -09358885616 ,09897701636
--सभी "ज्योतिष सेवा सदन " से जुड़ने वाले एवं जुड़े हुए मित्र बंधुओं से निवेदक है ,कि आप सभी इन नियमों का सदा पालन करें ?
--{१}-ज्योतिष सेवा सदन देश -विदेशों में रह रहे सभी मित्रों को अपने साथ निरंतर ज्योतिष एवं कर्मकांड की सलाह और ज्ञान का आदान- प्रदान निःशुल्कआजीवन देता रहेगा देता है ,लेखों के माध्यम से ||
{२}-ज्योतिष सेवा सदन के सदस्य वही बन सकते हैं-जो आदर करना और आदर देना जानते हैं ,जो संस्कृति और संस्कारों से अपने आपको बांधे रखना चाहते
हैं |
{३}-ज्योतिष सेवा सदन- के कोई भी कहीं के भी सदस्य बन सकते हैं ,किन्तु आस्थावान ही बने | ज्योतिष सेवा केवल निःशुल्क एकबार मित्रों को ही मिल पायेगी चाहे आप नेट पर जहाँ भी जुड़ें हों --ऑरकुट ,फेसबुक ,ट्विट्टर ,इबीबो ,हि५ ,जीमेल ,होटमेल,याहू ,नेट्लोग--ब्लॉग पोस्ट -आदि -आदि कहीं भी -ज्योतिष सेवा सदन के नाम से ही उपलब्ध है ||
{४}-ज्योतिष सेवा सदन -की सेवा अगर आपको अच्छी लगती है ,साथ ही अपने परिवार की जानकारी भी चाहते हैं ,निरंतर जुड़ें रहना चाहते हैं ,सलाह और सुगम पथ की जानकारी चाहते हैं तो आपको -ज्योतिष सेवा सदन का सदस्य बनना पड़ेगा --जिसका आजीवन शुल्क 500 रूपरे अदा करने पड़ते हैं ,तभी आप आजीवन जानकारी मौखिक प्राप्त कर पायेंगें ---लेखों के द्वरा हम निरंतर सभी सदस्यों तक पहुँचने की कोशिश करते रहते हैं ||
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{६}-मित्रों की अत्यधिक संख्या होने के कारण-ज्योतिष सेवा का समय हमने -रात्रि ८ से 9 .30 कर दिया है आगे और समय बढ़ा देंगें-ताकि किसी भी मित्रों को दिक्कत न हो ?
भवदीय निवेदक -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ उत्तर प्रदेश }
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प्रस्तुतकर्ता
ज्योतिष सेवा सदन { पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री "}{मेरठ }
पर
रविवार, जून 10, 2012
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