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बुधवार, 27 अक्टूबर 2010

"मंगली दोष,एवं मिथिला "

            "मंगली दोष,एवं मिथिला "
मंगली दोष का नाम सुनते ही आप भयभीत क्यों हो जाते हैं ? संसार में हर वस्तु का निदान है,तो फिर आइये जानने की कोशिश करते हैं ,कि हम "मंगली दोष क्या है एवं किसे कहते हैं ,तथा इसका निदान क्या है.|- कुंडली के द्वादश भाव होतेहैं -१,४,७,८.१२ -इन स्थानों में यदि मंगल ग्रह विराजमान हो तो "मंगली" दोष होता है ,किन्तु इन्ही स्थानों में "शनि" विराजमान हो तो यह दोष स्वतः ही निष्फल हो जाता है ,  और भी बहुत से मत हैं जिनसे यह दोष स्वतः ही समाप्त हो जाता है -परन्तु यह बात जरुर है ,कि मंगला यदि बालक हो तो मंगली ही बालिका से विवाह होना चाहिए |-शाब्दिक शव्दों में यदि कहें तो -मंगली दोष का अर्थ है २ विवाह के योग होना -सनातन धर्म को मानने वाले -इस कारण से बिचलित हो जाते हैं |-यदि मंगली दोष है और [१]-या तो मंगला लड़का न मिले  [२]-मंगली दोष है और लड़की न मिले मंगली| इस स्थिति में -शाश्त्रकारों ने -मंगली दोष का निदान कई प्रकार से बताये हैं -[१]-लड़का विवाह "कुम्भ" से कर दिया जाये |-[२]-लड़की का विवाह "शालिग्राम " से करा दिया जाये ,परन्तु यह विदित विवाह से पूर्व और गुप्त होने चाहिए |-परन्तु हमारा अपना अनुभव है ,कि मंगली दोष में २ विवाह अर्थात शारीरिक सम्बन्ध २ से जरुर होते होते हैं | - [जो यकीन नहीं करते वो अनुभव करके देख लें ,]हम जब मंगली दोष का निदान की बात कर ही रहे हैं, तो "मिथिला" की बात जरुर आएगी ,क्योकि सम्पूर्ण संसार के शास्त्र और "मिथिला " के व्यवहार यथाबत हैं | "मैथिलों " की परम्पराओं में  चाहे कोई मंगली हो या न हो -बर-  बधुओं का जब भी विवाह होता है ,तो निदान तत्काल [आम और महुआ के पेड़ से विवाह करा दिया जाता है ]-किया जाता है | भाव -जरुरत है अनुभव की, सही सोच की ,यह जो धरोहर हमारे पूर्वजों ने हमें दिए ,हम उसका अनुकरण करें ,उस पथ पर चलें ,और साथ ही सभी को सही समझें ,समझाएं |
भवदीय -निवेदक "झा शास्त्री "[मेरठ ] 

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