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शनिवार, 30 अक्तूबर 2010

"धन से अहित भी होता है"

                 "धन से अहित भी होता है"
योवनम धन संपत्तिः, प्रभूतं अबैकिता |
एकैकमपि नार्थय,किमु यत्र चतुष्टयं || मित्रप्रवर-धन के विना बहुत से कार्ज हम नहीं कर पाते हैं ,किन्तु  यही धन हमारा अहित भी करता है -शास्त्रकारों का मत है  -यदि युवावस्था में किसी यवक को विशेष धन ,संपत्ति ,प्रभुता और एकता  की प्राप्ति हो जाय तो वो यवक विगड भी जाता है [अर्थात वो वही करता है ,जो उसको अच्छा लगता है ]-राम -राम |   
  -२- "NEVER CONCLUDE A PERSON WITH HIS PRESENT POSITION,B'COZ timeHAS THE POWER TO CHANGE A INVALUABLE COAL INTO A VALUABLE DIAMOND"GD MRNG"



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