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गुरुवार, 4 नवंबर 2010

"दीपावली सर्वोत्तम पर्व है "

                                 "दीपावली सर्वोत्तम पर्व है " 
मित्रबन्धुओं- सनातन धर्म में प्रत्येक अनुष्ठान के नियम होते हैं ,और होने भी चाहिए ,अन्यथा उसकी गरिमा समाप्त हो जाती है ,किन्तु धन सबको चाहिए ,धन कहाँ से आया है इस पर कोई भी नहीं सोच सकता -पर्त्येक वस्तुओं आदान प्रदान धन से ही होता है , यहाँ तक कि भगवन के कार्ज भी धन से ही संपादन होता है ,इसलिए धन का दशांश दान किया जाता है | "दीपावली " के उत्सव हम लोग भेद भाव रहित मनाते हैं-हमें तो "दीपावली " सबसे सुन्दर उत्सब लगता है -यही एक उत्सव है जिसमें कहा गया है -"यत यत कामयते प्राप्तम"=जो भी हमारी पूजा ,जिस -जिस कामना से करता है , हम तत्काल उसका फल प्रदान करते हैं  [माँ लक्ष्मी ]-इसलिए -"दीपावली "की रात को -लोग तामसिक ,राजसिक एवं सात्विक पूजा अर्चना करते हैं और सबके ऊपर माँ लक्ष्मी की कृपा सदैब बनी रहती है | हमारी भी शुभ कामना "दीपावली की "स्वीकार करें, मित्र बंधुओं ,अग्रज को प्रणाम ,अनुज को शुभाशीष ,एवं समक्ष मित्रों नमस्कार |
"I MAY BE WALKING SLOWLY,BUT I NEVER WALK BACKWARDS"ABRAHAM LINCION "WHENEVER I WALK BACKWARDS,ITS FOR A LONG JUMP"-BENJONSON,EVERY ACT IS MEANNGFUL -GOOD MORNING-

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