"पति और पतनी की चिंता न करें ? अवलोकन सप्तम भाव करें "
मित्र बंधुओं ? किसी भी ग्रन्थ की रचना लोक हित के निमित्त होती है , और यह जरुरी नहीं की आपकी बात को सभी स्वीकार ही कर लेंगें -यह तो सभी के विचार के ऊपर निर्भर करता है | "ज्योतिष " में पतनी और पति की जानकारी करनी हो तो हम सप्तम भाव का अवलोकन करते हैं | यह भाव जितने भावाधिश से से युक्त होंगें उतना ही दाम्पत्य जीवन हमारा सफल होता है | जब से जीव माँ के गर्भ में आता है ,तभी से कुछ सम्बन्ध बनने शुरू हो जाते हैं ,साथ ही कुछ मिलते रहते हैं ,कुछ, कुछ देर तक साथ चलते रहते हैं और कुछ छोरकर चल भी देते हैं तथा हम माया में लिप्त होते रहते हैं - वास्तविक सुख आत्मा से आत्मा का मिलन का होता है परन्तु युवावस्था में यह बात समझ में नहीं आती है ,जिस प्रकार से भूख लगने पर अन्न के सिवा कुछ नहीं दीखता है ठीक उसी प्रकार से जब "काम पिपासा" जागती है तो "काम" के सिवा कुछ नहीं दीखता है -पति या पतनी की संख्या कितनी होगी यह कुंडली के द्वितीय भाव में उपस्थित ग्रह से पत्ता चलता है -१ होने पर =१ होने पर २ होने पर २ और ३ होने पर ३ भी पत्ती या पतनी से सम्बन्ध बन सकते हैं , पति या पतनी की सुन्दरता और दाम्पत्य सुख कितना प्रवल रहेगा यह सप्तम भाव में स्थित ग्रह से पत्ता चलता है -मेष ,वृष ,लग्न के जातक को अपने से उत्तम पति या पतनी मिलती है ,किन्तु मत भिन्नता रहती है | मिथुन ,लग्न के जातक का दाम्पत्य जीवन सरल और सुन्दर रहता है | सिह ,तुला ,वृश्चिक ,लग्न के जातक भी दाम्पत्य जीवन में संघर्षरत रहते हैं | कर्क ,धनु ,और मीन लग्न के जातक सुखी रहते हैं ,कन्या ,मकरऔर कुम्भ के जातक के दाम्पत्य जीवन उत्तम किन्तु एक दुसरे के अधीन रहने पड़ते हैं | भाव -आज का प्रचलन रंग रूप का है परन्तु शास्त्रों की मान्यता है -दाम्पत्य सुख व्यवहार कुशलता सटीक होनी चाहिए और रही बात सुन्दरता की तो युवा वस्था में -"गर्दभा भवति सुंदरी " अर्थात गधे भी सुन्दर दीखते हैं जवानी में इसलिए अपनी संतानों के लिये वर या कन्या का चयन अभिभावक करते हैं क्योंकि उनको अपने जीवन का अनुभव होता है परन्तु धनमय जीवन होने के कारण माता पिता भी वर और कन्या के चयन के सम्बन्ध में मूक दर्सक बने रहते हैं |
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शुक्रवार, 19 नवंबर 2010
"पति और पतनी की चिंता न करें ? अवलोकन सप्तम भाव करें "
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