" कुंडली का सप्तम भाव जितना सरस है ,नीरस भी उतना ही है ?"
मित्रप्रवर-किसी भी ग्रन्थ की रचना हो तो आठों रसो पर्योग करना होता है ,किन्तु सरस बनाने के लिये सृंगार रस की प्रधानता देनी पड़ती है | तभी लोग स्वीकार करते हैं | कुंडली में द्वादश भाव होते हैं ,यह सभी जानते हैं ,सभी भाव के अलग -अलग महत्व हैं ,कुछ भाव तो सत्य का प्रतीक होने के वाद भी नीरस है ,जो सत्य तो है किन्तु लोक मान्य नहीं है | कुंडली के द्वितीय और सप्तत भाव -एक "धन" का प्रतीक है तो दूसरा "जाया" का "धन " को भला कौन नहीं स्वीकार करेगा -किन्तु यह मारकेश भी होता है जितना धन आएगा वो जायेगा किस प्रकार से, किन्तु शिक्षित लोगों को इस बात का भी अनुकरण करना चाहिए -[१]-यदि बुध और शुक्र द्वितीय भाव में विराजमान हों तो -बुद्धि के द्वारा आप लोकमान्य तो होंगें ही किन्तु "भार्या " अर्थात सभी महिलाएं आपकी अनुचरी भी होंगी -भाव आप रमणीय भी बहुत होंगें ,धन भी बहुत कमायेंगें आप चाहे कितने भी बुरे क्यों न हों लोग नहीं पकड़ पायेंगें -परन्तु ,आप रोगी होंगें ,महिलाओं में आपका धन नाश होगा |
[२]-यही प्रभाव सप्तम भाव का भी है - काम वेदना से पीड़ित भला कों नहीं होता है ,और "भार्या" किसे नहीं चाहिए जितनी मिले कोई दिक्कत नहीं है यदि सप्तम भाव में मेष और वृश्चिक राशी हो तो लम्बाई ,रंग ,रूप, विचार तो उत्तम होते हैं ,किन्तु आपस में कड़वाहट विशेष होती है शांति से रहें तो घर स्वर्ग के समान होता है और अशांति हो तो नरक भी बन जाता है | वृष और तुला हो तो -रंग ,रूप ,बुद्धि ,विचार तो अच्छे होते ही हैं ,किन्तु अन्दर में छल होता है -जिससे दाम्पत्य सुख तो मत भेद यक्त होता ही है किन्तु समाज में भी खड़े नही उतरते हैं | मिथुन और तुला राशी हो तो -सौम्य स्वभाव ,मिलनसार,काम बोनेवाले ,लोकप्रिय दम्पत्य्सुख तो उत्तम होता है ,किन्तु पति पतनी के द्वारा या पतनी पति के द्वारा वस् में होते हैं.| कर्क ,सिह राशी हो सप्तम भाव में तो -शान से जीने वाले ,सत्यवादी ,धनबान,सुन्दर तो होते हैं किन्तु जीवन में असत्य का आगमन होते ही दाम्पत्य सुख नीरस बन जाताहै | धनु और मीन राशी हो सप्तम भाव में तो लम्बे कद ,सुदर रंग ,रूप ,कर्मठ ,विचारवान -दाम्पत्य सुख तो उत्तम होता ही है किन्तु लोक हित के कारण दुःख झेलने पड़ते है | मकर एवं कुम्भ रशिहो सप्तम भाव में तो विः देर से ,किन्तु सोच समझकर करते हैं ,लम्बा कद ,भले ही श्याम रंग हो किन्तु अति सुन्दर .मृगनयनी ,सुखी परन्तु जो भी करना होगा अपने मन में बात जमेगी तो करेंगें अन्यथा नहीं करेंगें |-यह जितने भी वर्णन हमने लिखे हैं वो चाहे स्त्री हों या पुरुष सामान्य फल समझें |
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री"मेरठ
संपर्क सूत्र -०९८९७७०१६३६.09358885616

-आजीवन सदस्यता शुल्क -1100.rs,जिसकी आजीवन सम्पूर्ण जानकारी सेवा सदन के पास होगी ।। --सदस्यता शुल्क आजीवन {11.00- सौ रूपये केवल । --कन्हैयालाल शास्त्री मेरठ ।-खाता संख्या 20005973259-स्टेट बैंक {भारत }Lifetime membership fee is only five hundred {11.00}. - Kanhaiyalal Meerut Shastri. - Account Number 20005973259 - State Bank {India} Help line-09897701636 +09358885616
ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }
निःशुल्क ज्योतिष सेवा ऑनलाइन रात्रि ८ से९ जीमेल पर [पर्तिदिन ]
-
---जिस दिशा में 'शुक्र "सम्मुख एवं जिस दिशा में दक्षिण हो ,उन दिशाओं में बालक ,गर्भवती स्त्री तथा नूतन विवाहिता स्त्री को यात्रा ...
-
"Mr. era -2013 +2014 = 2070, ie, the idea of the solar system?" ----- April 13, 2013 Chaitra Shukla Tritiya 1 Bjkr 29 minutes ...
-
King Martin Luther's Words:- "two bulls always fight in every person's minnd, Good & bed..Do U know w...
-
"The biggest temptation of life is 2 convert dreams2 reality,bt the biggest defeat of life comes when we surrender our dreams2 realty,S...
-
--नक्षत्र २७ हैं ,सभी जानते हैं ,किन्तु सभी नक्षत्रों की संज्ञा एवं उन नक्षत्रों में हम कोन सा कार्ज करें --शास्त्रकारों के विचार को जा...
-
"नई सोच,नई दिशा की राशि"वृष "=२०१२ एक झलक ?" वृष राशि -के जातक दृढ प्रतिग्य,अपनी दिशा स्वयं बनाते हैं | स्वभाव स...
शनिवार, 20 नवंबर 2010
" कुंडली का सप्तम भाव जितना सरस है ,नीरस भी उतना ही है ?"
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें