"धन से ही धर्म होता है" [सम्प्रति ]
आज के समय में " धन " के विना बहुत से कार्ज़ नहीं हो सकते हैं ,अतः हमें "धन " का प्रयत्न धार्मिक बिचार से भी करने चाहिए | दीपावली का उत्सव हो और यंत्र ,मन्त्र एवं तंत्रों की परिचर्चा न करें ,तो थोड़ी सुन्दरता काम हो जाएगी -आइये कुछ "शास्त्रों का मत भी जानने की कोशिश करते हैं -कार्तिक मास में भगवान -लक्ष्मी नारायण की उपासना जो भी कोई करता है -उसको "धन ,संतान ,संपत्ति अर्थात नाना प्रकार के सुख मिलते हैं ,और यह सुख जन्म जन्मान्तर तक चलता रहा है |-इस समय यदि -जो द्विज होते हैं ,उनको वैदिक मत का अनुशरण करना चाहिए ,और जो द्विज नहीं हैं -उनको पोराणिक मत का अनुशरण करना चाहिए |-इससे आप दोष मुक्त हो जायेंगें -तथा जिस -जिस कामना से अनुष्ठान करेंगें वो सभी कामनाएं पूरी होंगीं |-यदि आप सात्यिक पूजा करते हैं ,तो विचार भी सात्यिक रखें ? और यदि तामसिक पूजा करते हैं तो तामसिक प्रवृति रखनी पड़ेगी |- मेरे विचार से -सात्विक पूजा ही निरंतर सुख प्रदान करती है -यदि आप -१११ दीपों का श्रीसूक्त से दीपदान किसी द्विज से कराते हैं -३ दिन तो कभी भी व्यापर में हानी नहीं होगी | [२]-यदि आप जप में यकीन रखते हैं ,तो सवा लाख "माँ लक्ष्मी " के जप करने या कराने से -सभी कार्जों में उन्नति होगी | -यदि आप सक्षम नहीं हैं किसी भी अनुष्ठान को कराने में तो -इस मन्त्र के साथ 11दीपों का दान ४०दिन करने या केवल २१ दिन करने य३ दिन में करने से ही माँ लक्ष्मी की अनुकम्पा होती है -ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमलये कमलालये प्रसीद -प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महा लक्ष्म्यै नमः || -यह मन्त्र सात्यिक प्रवृति के लोग ही अपनाएं | जो तामसिक हैं -वो -ॐ या देवी सर्व भूतेषु लक्ष्मी रुपें संस्थिता ,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः || -यदि हम जल में १११ दोपों का दान इन्हीं मन्त्रों से जल में करते हैं तो और भी विशेष लाभ होता है.[व्यापर , नौकरी के लिये यह उपाय अति उत्तम होता है || इति श्री ||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री [मेरठ ]
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शनिवार, 30 अक्टूबर 2010
"धन से ही धर्म होता है" [सम्प्रति ]
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"धन से ही धर्म होता है" [सम्प्रति ]
आज के समय में " धन " के विना बहुत से कार्ज़ नहीं हो सकते हैं ,अतः हमें "धन " का प्रयत्न धार्मिक बिचार से भी करने चाहिए | दीपावली का उत्सव हो और यंत्र ,मन्त्र एवं तंत्रों की परिचर्चा न करें ,तो थोड़ी सुन्दरता काम हो जाएगी -आइये कुछ "शास्त्रों का मत भी जानने की कोशिश करते हैं -कार्तिक मास में भगवान -लक्ष्मी नारायण की उपासना जो भी कोई करता है -उसको "धन ,संतान ,संपत्ति अर्थात नाना प्रकार के सुख मिलते हैं ,और यह सुख जन्म जन्मान्तर तक चलता रहा है |-इस समय यदि -जो द्विज होते हैं ,उनको वैदिक मत का अनुशरण करना चाहिए ,और जो द्विज नहीं हैं -उनको पोराणिक मत का अनुशरण करना चाहिए |-इससे आप दोष मुक्त हो जायेंगें -तथा जिस -जिस कामना से अनुष्ठान करेंगें वो सभी कामनाएं पूरी होंगीं |-यदि आप सात्यिक पूजा करते हैं ,तो विचार भी सात्यिक रखें ? और यदि तामसिक पूजा करते हैं तो तामसिक प्रवृति रखनी पड़ेगी |- मेरे विचार से -सात्विक पूजा ही निरंतर सुख प्रदान करती है -यदि आप -१११ दीपों का श्रीसूक्त से दीपदान किसी द्विज से कराते हैं -३ दिन तो कभी भी व्यापर में हानी नहीं होगी | [२]-यदि आप जप में यकीन रखते हैं ,तो सवा लाख "माँ लक्ष्मी " के जप करने या कराने से -सभी कार्जों में उन्नति होगी | -यदि आप सक्षम नहीं हैं किसी भी अनुष्ठान को कराने में तो -इस मन्त्र के साथ 11दीपों का दान ४०दिन करने या केवल २१ दिन करने य३ दिन में करने से ही माँ लक्ष्मी की अनुकम्पा होती है -ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमलये कमलालये प्रसीद -प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महा लक्ष्म्यै नमः || -यह मन्त्र सात्यिक प्रवृति के लोग ही अपनाएं | जो तामसिक हैं -वो -ॐ या देवी सर्व भूतेषु लक्ष्मी रुपें संस्थिता ,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः || -यदि हम जल में १११ दोपों का दान इन्हीं मन्त्रों से जल में करते हैं तो और भी विशेष लाभ होता है.[व्यापर , नौकरी के लिये यह उपाय अति उत्तम होता है || इति श्री ||
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