ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

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शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

"धनु एवं मीन लग्न की कुंडली में "कालसर्पयोग "हो तो ?"

----धनु एवं मीन लग्न की कुंडली में "कालसर्पयोग "हो तो वैसे जातक पराधीन कार्य या नौकरी वगैरह में सफल नहीं होते हैं ।बाहरी स्त्रियों के संयोग से या पुरुषों के संयोग से स्वतंत्र कार्य क्षेत्र में अपनी जड़ मजबूत कर सकते हैं ,परन्तु घर की स्त्री या पुरुष के षड्यंत्र से उनकी सारी उन्नति अवरुद्ध भी हो जाती है ।समाज में बहुचर्चित बनते हैं ,परन्तु संकोची स्वाभाव के कारण धन का अभाव बना रहता है ,कमाया धन भी खो बैठते हैं ।इनका पारिवारिक जीवन बहुत संघर्षमय होता है ।इनके सीने में तमाम दर्द छुपे रहते हैं ,पर चेहरा मुस्कुराता रहता है ।।
-------नोट ---कालसर्पयोग ---वाली कुंडली में एक कारक ग्रह उच्च का हो एवं दूसरा आकारक ग्रह भी उच्च का हो तो ----वैसे जातक हर जगह अपनी धाक जमा लेते हैं ,तथा असंभव कार्य भी आसानी से कर लेते हैं ।धनु राशि  के जातक ठान लेने पक्के और रसीले मिजाज के होते हैं ।सूर्य के साथ शनि और चन्द्र के साथ बुध की युति होने पर "कालसर्पयोग "धनवान सुविख्यात और भी बना देता है ।।
भवदीय -पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "मेरठ -उत्तर प्रदेश }
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