यद्यपि ज्योतिष शाश्त्रों में अनंत योंग होते हैं | सभी योगों के महत्व भी अलग -अलग हैं | जब पंचांग में कोई मुहूर्त उपलब्ध नहीं होते हैं-तो योगों में विहित कर्म करने की सदियों से परम्परा रही है | कुछ शाश्त्रकारों के मत के अनुसार -मुहूर्त से भी उत्तम योग होते हैं ,जिन योगों में अमुक -अमुक कार्ज़ करने से विशेष लाभ होते हैं |---------आज हम बात करते हैं त्रिपुष्कर एवं द्विपुष्कर योगों की ----जमीन,हीरे ,जवाहरात ,कार ,ट्रक ,ट्रेक्टर,टेलीविजन ,आभूषण ,घोडा ,गाय ,भैष-आदि बहुमूल्य चीजें और भी योगों में खरीदी जा सकती है ,किन्तु त्रिपुष्कर एवं द्विपुष्कर योग विशेष ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं |
---{१}-यदि कोई वस्तु त्रिपुष्कर योग में खरीदी जाये तो वह निकट भविष्य में तिगुनी हो जाती है |
---{२}-यदि कोई बहुमूल्य वस्तु -द्विपुष्कर योग में खरीदी जाये तो -निकट भविष्य में दुगुनी हो जाती है |
----अतः इन योगों में बहुमूल्य वस्तुएं खरीदिनी चाहिए या बैंक में रुपया जमा करवाने चाहिये |
---नोट --इन योगों में मुकदमा दायर करना या दवा खरीदना उत्तम नहीं होता है ,क्योंकि ये वृद्धि कारक योग हैं --तो ये योग दवा एवं शत्रुओं से मुक्त नहीं अपितु वृद्धि करायेंगें | इन योगों में अपनी कोई कीमती वस्तु को बेचनी भी नहीं चाहिए |अन्यथा आगे चलकर उससे तिगुनी या दुगुनी बेचने की स्थिति भी पैदा हो सकती है |
----{३}-धन या अचल संपत्ति के संचय के लिए ये योग --अद्वितीय हैं ||
भवदीय -पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री " {मेरठ उत्तर प्रदेश }
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