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गुरुवार, 17 नवंबर 2011

"शनि की दृष्टि से नष्ट होंगीं सृष्टि और वृष्टि?"

      "शनि की दृष्टि से नष्ट होंगीं सृष्टि और वृष्टि?" 
    यूँ तो सर्व बिदित है ,कि २०१२ विश्व के लिए उत्तम नहीं रहेंगें | कालचक्र की जानकारी केवल विधाता हो ही होती है ,परन्तु वही विधाता की सृष्टि में -राम ,रहीम ,कृष्ण ,विष्णु ,ऋषि ,महर्षि अनगिनत महापुरुष नर रूप में जगत कल्याण के लिए अवतरित होते रहते हैं ,ये सर्वशक्तिमान होते हुए भी सभी दिक्कतों को सहन करते हैं,विधाता की रचना के अनुसार ही चलते हैं | ज्योतिष शास्त्र -आध्यात्मिक शास्त्र हैं -जो केवल गणना से नहीं जान सकते ,इसके लिए आत्ममंथन और तप {साधना }की भी आवश्यकता पड़ती है ,इसके उपरांत भी भविष्य की घटना को गप्त ही रखनी पड़ती है | समय की धारा ने -हम सभी को मेष -वृष की जानकारी तो दे दी है ,किन्तु -गुप्त को उजागर करके ,बिना गुरु का ज्ञान प्राप्त करके,तप और साधना के बिना -हमलोग ज्योतिष और ज्योतिषी की गरिमा को कुछ कम कर रहे हैं ||
       भावितव्यनाम  भवन्ति द्वारिणी सर्वत्र ?
जो भी होनी है वो होकर ही रहेगी  , शनिदेव-तुला राशि में प्रवेश कर चुके हैं,पहला शनि के आगमन का चन्द्र
ग्रहण-१०-१२-२०११को तिथि -पूर्णिमा -शनिवार को पड़ेगा | सम्पूर्ण भारत में इस ग्रहण का प्रभाव पड़ेगा |शाम -6.१५से रात्रि -9-४८तक रहेगा | शनिदेव की -पहली  दृष्टि चन्द्र देव के ऊपर पड़ेगी ,जब -रस के देवता ही शनि से प्रभावित होंगें तो सृष्टि और वृष्टि का क्या होगा | अभी शनि देव ढाई वर्ष तुला राशि में रहेंगें -भले ही २०१२ में हमलोगों को  यह समझ में न आये किन्तु -१५-१२-२०११से लेकर १५-०६-२०१४ तक शनि की द्रष्टि से देश -विदेश ,या फिर प्रदेश ,तहलका मचा देंगें | इनके प्रभाव से -त्राहि -त्राहि मचेगी दुनियां में ,जब अन्न ,जल के आभाव होंगें तो कुछ प्रकृति के करण तो कुछ आपसी युद्ध के कारण तो कुछ महामारी के कारण नष्ट होगी धरती और जीव ||---१०-१२-२०११को -  चन्द्र ग्रहण मृगशिरा  नक्षत्र एवं ब्रिष राशि में होगा |
       शनि ग्रहण के राशियों के ऊपर प्रभाव जानते हैं --
-मेष -मध्यम रहेगा | वृष -अशुभ रहेगा | मिथुन -अशुभ रहेगा |कर्क -शुभ रहेगा |सिंह -शुभ रहेगा |कन्या -मध्यम रहेगा | तुला -अशुभ रहेगा |वृश्चिक -मध्यम रहेगा |धनु -शुभ रहेगा |मकर -अशुभ रहेगा |कुम्भ -अशुभ रहेगा |मीन -शुभ रहेगा |
 ---  सोरपुराण में लिखा है --गावो नागास्तिला धान्यं रत्नानी कनकं मही? अर्थात -संसार में जितने भी दान प्रसिद्ध हैं -उन सबका फल चन्द्र या सूर्य ग्रहण में मनुष्य स्र्ध्हा पूर्वक करे तो जन्म- जन्मान्तर कट मिलता रहता है |
    भवदीय निवेदक -ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "मेरठ -उत्तर प्रदेश |
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