लता -पता -आदि दश दोष निवारण के बिना "विवाह -संस्कार"अहित कारक हो जाता है ?"
-"विवाह " में मुख्य रूप से लता ,पात ,युति ,जामित्र ,बाण ,एकार्गल ,उपग्रह ,क्रांतिसाम्य ,एवं दग्धा तिथि -इन दस दोषों का विचार किया जाता है ।इनमें से -पापग्रह कृत युति ,वेध ,मृत्युबाण एवं क्रांतिसाम्य {महापात दोष } अपरिहार्य - होने से नहीं माने गए हैं ।।
{१}-युतिदोष -चंद्रमा -वृष,मिथुन ,सिंह एवं कन्या राशि में हो तो युति दोष नहीं होता है ।
भाव -रोहिणी ,मृग०,मघा ,उ फा,हस्त ,एवं चित्रा नक्षत्र के विवाह मुहूर्तों में युतिदोष का परिहार होने से विवाह शुभ फल दायक रहता है ।।
{२}-वेधदोष -शुभ ग्रह बुध ,गुरु शुक्र का चरणगत वेध ही त्याज्य माना गया है ।{सम्पूर्ण नक्षत्र नहीं }
भाव -पापग्रह -सूर्य ,भौम ,शनि ,राहु ,तथा केतु से विध्ह नक्षत्रों का हम अपने पंचांगों के विवाह मुहूर्तों में सर्वथा त्याग करते हैं ।
{३}-मृत्युबाण-सूर्य के १/१०/१९/२८-भोग्यांश से अग्रिम अंशों का समय मृत्यु बाण से दूषित रहता है ,जिसका परिहार न होने से सर्वथा त्याज्य मानते हैं ।
{1}-क्रांतिसाम्य-स्थूल न लेकर गनितान्गत ही लिया जाता है ,जो कि महापात गणित प्रक्रिया द्वारा सिद्ध होता है । जो सभी पंचांगों में उल्लेखित रहता है ।
{2}-लतादोष-उज्जैन के समीप क्षेत्रों में यह दोष माना जाता है -{अन्य किसी भी क्षेत्रों में मान्यता नहीं है }
{3} -पात दोष -कुरुक्षेत्र में मानते हैं ।
{4}-युति दोष -बंगाल में मानते हैं ।
{5}-जामित्र दोष -मथुरा में मानते हैं ।
{6}-एकार्गल दोष -भोपाल के समीप मानते हैं ।
{7}-उपग्रह दोष -कश्मीर के पश्चिम भाग में मानते हैं । {८}-दग्धा तिथि दोष -भोपाल के समीप मानते हैं ।
{9}-सर्वश्च व्र्ज्यश्च भुजंग पातः-अर्थात -शूल योगान्ते-नक्षत्र भुजन्गपात से दूषित होने के कारण सभी जगह त्याग देते हैं ।
{10}-जामित्र दोष -चंद्रमा उच्च का ,शुभ ग्रह कि राशि में ,मित्र वर्ग में हो तो -जामित्र दोष उत्तम रहता है ।
विवाह संस्कार के लिए इन दस दोषों का विचार अवश्य ही करने चाहिए अन्यथा दाम्पत्य सुख में कमी रहती है ।
भवदीय -ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "
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