ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

निःशुल्क ज्योतिष सेवा ऑनलाइन रात्रि ८ से९ जीमेल पर [पर्तिदिन ]

शनिवार, 13 नवंबर 2010

जब मन धर्म की ओर हो तो समझो पाप नष्ट हो गया है


         "जब मन धर्म की ओर हो तो समझो पाप नष्ट हो गया है 
धनक्षये बर्धती जठ राग्निः =जब हमें भूख अत्यधिक लगने लगे तो समझना चाहिए कि "माँलक्ष्मी " जाने वालीं हैं | पुनय्क्ष्ये भात्री विरोधिता च =जब हमारा पुन्य समाप्त होने वाला होता है तो हम ओरों की मदद लेना पसंद करते हैं ,किन्तु अपने भाइयों की मदद नहीं कदापि स्वीकार नहीं करते हैं ,तो हमें समझना चाहिए कि हमारा पुन्य नष्ट हो चुका है |-कुलक्षये पंकू जड़ प्रसूति =जब खानदान में अंगविहीन संतान होने लगे तो समझना चाहिए कि जिस धर्मके आधार पर "कुल " चल रहा था वो धर्म विहीन हो गया है | -पापक्ष्ये ईस्वर भक्ति प्रीतिः -तथा जब पाप नष्ट हो जाते हैं तो धर्म संगत कार्ज करने लगते हैं || [राम राम ]     
    NICE THOUGHT:-"SPEAK ONLIY WHEN U FEEL UR WORDS ARE BETTER THEN THE SILENCE..":} -GOOD DAY- 

कोई टिप्पणी नहीं: