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रविवार, 7 नवंबर 2010

""सही "संपत्ति "संतोष" ही है""

                ""सही "संपत्ति "संतोष" ही है""
सर्पाःपिवन्ति पवनं न च दुर्वलास्ते-सांप हवा पीकर रहते हैं ,किन्तु कभी भी दुर्वल नहीं होते हैं |शुश्कैसतिनैर वन गजा बलिनो भवन्ति - हाथी पेड़ पत्ते खा कर रहते हैं ,किन्तु दुर्बल नहीं वल्कि बलिष्ठ होते हैं | कंदैहफलैर मुनि बार क्शिप्यान्ति कालम-संत महात्मा -कंद मूल फल इत्यादि सेवन करके समय व्यतीत करते हैं वो भी बलिष्ठ तो रहते ही हैं ,प्रसन्न भी रहते हैं | संतोष एव पुरुषस्य परम निधान-मित्र प्रवर ,मानव का असली खजाना संतोष ही है आप इसे अपना कर देखें, इससे ही संसार की तमाम वाश्तुयें प्राप्त हो जाती हैं |[जय राम जी की ]
 =भाग २=
I OF DA GR8 LINEZ:IT'Z NOT HARD TO SACRIFICE SOMEONE..BUT IT'Z HARD TO FIND SOMEONE WHO DESERVES YOU SACRIFICE..GUD DAY-

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