"ग्रहमैत्री"अर्थात वैवाहिक अनुभूति "?
-----कुंडली मिलान का वास्तविक विचार वैवाहिक जीवन सुखद हो ,सरस और प्रेम से ओत प्रोत हो ----किन्तु ये सही मैत्री मिलान से ही संभव होता है ।मिलन सभी जीवों के होते हैं परन्तु जीने का ढंग सबके अलग -अलग होता है ।मानव जीवन सर्वोत्तम मानते हैं सभी इसलिए देवता भी लालायित रहते हैं ।हम कैसे जियें ये न सोचकर हमसे लोग ,समाज ,परिवार ,संताने क्या सीखें ये सोच रखने वाले कुंडली का मिलान कराते हैं ---।
----------मैत्री कूट सात प्रकार के होते हैं ।-----और इनके गुण 5 मानते हैं ।
{1}-वर -कन्या की राशियों में स्वामी ग्रह एक होने पर तथा परस्पर मैत्री सम्बन्ध होने पर -5 गुण होते हैं ।
{2}-सम मित्रता होने पर -4 गुण मानते हैं ।
{3}-दोनों में समता होने पर -3गुण मानते हैं ।
{4}-मित्र से शत्रुता होने पर -1 गुण होता है ।
{5}-अगर सम शत्रुता हो तो आधा गुण एवं राशियों में परस्पर शत्रुता होने पर गुण नहीं होता है ।
----भाव --मित्रादि होने पर भी यदि नीच या निर्बल हो तो एक गुण कम ही मानते हैं --किन्तु ये सभी जगह मान्य नहीं है ।
नोट -----कभी -कभी लोग कुंडली मिलान को उपहास समझकर मिलान नहीं कराते हैं किन्तु जब जीवन दुखी हो जाता है तो पुनः ज्योतिष की शरण में आते हैं ------संसार में ज्योतिष भेद -भाव रहित अनमोल गुरुजनों की देन हैं --जो केवल भाव ,श्रद्धा से ही समझ में आ सकती है --अतः वैवाहिक जीवन सुखी हो-ज्योतिष की भी सुनें ?
-----निवेदक -पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "-{मेरठ -भारत }
-----कुंडली मिलान का वास्तविक विचार वैवाहिक जीवन सुखद हो ,सरस और प्रेम से ओत प्रोत हो ----किन्तु ये सही मैत्री मिलान से ही संभव होता है ।मिलन सभी जीवों के होते हैं परन्तु जीने का ढंग सबके अलग -अलग होता है ।मानव जीवन सर्वोत्तम मानते हैं सभी इसलिए देवता भी लालायित रहते हैं ।हम कैसे जियें ये न सोचकर हमसे लोग ,समाज ,परिवार ,संताने क्या सीखें ये सोच रखने वाले कुंडली का मिलान कराते हैं ---।
----------मैत्री कूट सात प्रकार के होते हैं ।-----और इनके गुण 5 मानते हैं ।
{1}-वर -कन्या की राशियों में स्वामी ग्रह एक होने पर तथा परस्पर मैत्री सम्बन्ध होने पर -5 गुण होते हैं ।
{2}-सम मित्रता होने पर -4 गुण मानते हैं ।
{3}-दोनों में समता होने पर -3गुण मानते हैं ।
{4}-मित्र से शत्रुता होने पर -1 गुण होता है ।
{5}-अगर सम शत्रुता हो तो आधा गुण एवं राशियों में परस्पर शत्रुता होने पर गुण नहीं होता है ।
----भाव --मित्रादि होने पर भी यदि नीच या निर्बल हो तो एक गुण कम ही मानते हैं --किन्तु ये सभी जगह मान्य नहीं है ।
नोट -----कभी -कभी लोग कुंडली मिलान को उपहास समझकर मिलान नहीं कराते हैं किन्तु जब जीवन दुखी हो जाता है तो पुनः ज्योतिष की शरण में आते हैं ------संसार में ज्योतिष भेद -भाव रहित अनमोल गुरुजनों की देन हैं --जो केवल भाव ,श्रद्धा से ही समझ में आ सकती है --अतः वैवाहिक जीवन सुखी हो-ज्योतिष की भी सुनें ?
-----निवेदक -पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "-{मेरठ -भारत }
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