"पति -पतनी की अडिगता -चतुर्थ "तारा विचार "?
----पति -पतनी की सबसे बड़ी विशेषता अपने जीवन में एक दूसरे के प्रति समर्पित रहना होता है ,क्योंकि रूप का मोह समाप्त होते ही परिवार और समाज से जुड़ जाते हैं तब हमें एक आदर्श अभिभावक बनना पड़ता है और -ये तब संभव होता है ---जब हमारी कुंडली में तारा का सही मिलान हुआ हो । जिस प्रकार से अनंत तारा होते हुए भी रोशनी नहीं मिलती हो किन्तु ये अपनी -अपनी जगह स्थिर रहते हैं --जो सूर्य एवं चंद्रमा को स्थिरता प्रदान करते हैं ।
-------कन्या के नक्षत्र से वर के नक्षत्र तक और वर के नक्षत्र से कन्या के नक्षत्र तक "अभिजित "को छोड़कर गणना करके अलग -अलग 9के भाग देने से जो संख्या शेष रहे वह तारा होती है ।-तारा संख्या -3/5/7/-अशुभ होती है -एवं -1/2/4/6/8/9/{0}शेष रहे तो शुभ होती है ।।
------निदान -{1}---3--शेष हो तो -विपत नाम की तारा कहलाती है ---इनकी शांति -गुड का दान करने से हो जाती है ।
{2}--5 शेष हो तो प्रत्यरी नाम की तारा होती है ----इनकी शांति नमक का दान करने से होती है ।
{3}--7-शेष हो तो वध नाम की तारा होती है --इनकी शांति -सफेद तिल ,तेल या तिलकूटी-मिठाई एवं स्वर्ण दान से अशुभता समाप्त हो जाती है ।
-------नोट --अगर प्रेम हो गया हो ,विवाह आपको वहीँ करना है जो पसंद है तो चिंता न करें --निदान के लिए कर्मकांड है ज्योतिष का पूरक -----किन्तु समाज और परिवार के प्रति अपना योगदान को न भूलें इस हेतु कुंडली मिलान जरुर करें ।
निवेदक -पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "{मेरठ -भारत }
----पति -पतनी की सबसे बड़ी विशेषता अपने जीवन में एक दूसरे के प्रति समर्पित रहना होता है ,क्योंकि रूप का मोह समाप्त होते ही परिवार और समाज से जुड़ जाते हैं तब हमें एक आदर्श अभिभावक बनना पड़ता है और -ये तब संभव होता है ---जब हमारी कुंडली में तारा का सही मिलान हुआ हो । जिस प्रकार से अनंत तारा होते हुए भी रोशनी नहीं मिलती हो किन्तु ये अपनी -अपनी जगह स्थिर रहते हैं --जो सूर्य एवं चंद्रमा को स्थिरता प्रदान करते हैं ।
-------कन्या के नक्षत्र से वर के नक्षत्र तक और वर के नक्षत्र से कन्या के नक्षत्र तक "अभिजित "को छोड़कर गणना करके अलग -अलग 9के भाग देने से जो संख्या शेष रहे वह तारा होती है ।-तारा संख्या -3/5/7/-अशुभ होती है -एवं -1/2/4/6/8/9/{0}शेष रहे तो शुभ होती है ।।
------निदान -{1}---3--शेष हो तो -विपत नाम की तारा कहलाती है ---इनकी शांति -गुड का दान करने से हो जाती है ।
{2}--5 शेष हो तो प्रत्यरी नाम की तारा होती है ----इनकी शांति नमक का दान करने से होती है ।
{3}--7-शेष हो तो वध नाम की तारा होती है --इनकी शांति -सफेद तिल ,तेल या तिलकूटी-मिठाई एवं स्वर्ण दान से अशुभता समाप्त हो जाती है ।
-------नोट --अगर प्रेम हो गया हो ,विवाह आपको वहीँ करना है जो पसंद है तो चिंता न करें --निदान के लिए कर्मकांड है ज्योतिष का पूरक -----किन्तु समाज और परिवार के प्रति अपना योगदान को न भूलें इस हेतु कुंडली मिलान जरुर करें ।
निवेदक -पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "{मेरठ -भारत }
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें