भगवान "मनु " और "हम "किसी भी बात को सत्य तब मान लेनी चाहिए ,जब हम पढ़ें एवं अनुभव करें | प्राचीन ग्रंथों में बहुत सी बातें विवादस्पद लगती है ,किन्तु जब हम ग्रन्थ का अध्ययन करते हैं ,तत्पश्चात जब हम उस बात का आकलन करते हैं, तो हमें भिन्नता सी बात लगती है | आइये अबलोकन करते हैं, वेदांत ,और "मनुश्मृति" का - यह बात तो आप भी मान सकते हैं ,कि किसी भी घर को चलाने के लिये मालिक पद तो एक को ही मिलेगा | सदस्य जितने होंगें ,उसी अनुपात नौकर भी होंगें .कर्मचारी भी होंगें | सवाल यह है ,कि जितनी जिम्मेदारी एक नौकर की होती है, उतनी ही कर्मचारियों की भी होती है , यदि सभी सदस्य अपने -अपने कार्ज़ को सही करेंगें तो स्वर्ग हो जायेगा ,और यदि किसी ने तोड़ने की कोशिश की तो वही घर नरक में परिवर्तन हो जायेगा | मेरे विचार से पद बड़ा नहीं होता है "पद की गरिमा बनी रहे ये बड़ी बात होती है .मानव बड़ा नहीं होता है ,मानवता बड़ी होती है.|
हमारा मानव शरीर है -सभी मानव के शरीर में मुंह होता है ,और मुंह को ब्राह्मन कहते हैं ,क्योंकि वेद का स्थान मुंह ही है | भुजाओं को क्षत्रिय कहा गया है .और सभी मानव के शरीर में भुजाएं होती हैं.| उदर को वैश्य कहा गया है ,और सभी मानव के शरीर में उदर होता है | टाँगें शुद्र होती है .और ये टाँगें सभी मानव शरीर में होती हैं | जब हमारे शरीर में ही ,ब्राह्मन क्षत्रिय ,वैश्य और शुद्र विराजमान हैं ,तो मत भिन्नता क्यों हैं - अब यदि समाज को चलाना हो ,देश को चलाना हो , तो प्रधान मंत्री तो कोई एक ही होगा? यदि सभी प्रधान ही हो जायेंगें, तो उप प्रधान कोन होगा | अपने शरीर का मुंह सबसे पवित्र होता है ,तो वेद कोन पढ़ेगा जो पवित्र होगा ,यदि हमारे हाथ न हों तो अपने शरीर की रक्षा कोन करेगा तो जो बलसाली होगा ,वही क्षत्री होगा | जो सबका भरन पोषण करेगा वही वैश्य होगा | और जो सबकी सेवा करेगा वही शुद्र होगा ,परन्तु जिस प्रकार हमारे शरीर के सभी अंग जुड़े होते हैं, उसी प्रकार देश के सभी सदस्य ,या घर के सभी सदय एक दसरे के पूरक होते हैं ,यदि अपने -अपने कर्तव्य का सही पालन करेंगें, तो देश या घर होगा और तोड़ देंगें तो बिखर जायेगा | भाव -हम सभी एक दसरे के पूरक हैं ,यह सोचकर अपने -अपने कार्ज़ का संपादन करना चाहिए ,इससे हम और हमारा देश समाज सभी जुड़े रहेंगें ,अन्यथा टूटना तो आसन है ही |भवदीय -झा शास्त्री [मेरठ ]
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"The value of waiting is a value of lifetime...If we know how to wait,Life shall be easy..As god knows what to give us at the right...
बुधवार, 20 अक्टूबर 2010
भगवान "मनु " और "हम
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भगवान "मनु " और "हम "किसी भी बात को सत्य तब मान लेनी चाहिए ,जब हम पढ़ें एवं अनुभव करें | प्राचीन ग्रंथों में बहुत सी बातें विवादस्पद लगती है ,किन्तु जब हम ग्रन्थ का अध्ययन करते हैं ,तत्पश्चात जब हम उस बात का आकलन करते हैं, तो हमें भिन्नता सी बात लगती है | आइये अबलोकन करते हैं, वेदांत ,और "मनुश्मृति" का - यह बात तो आप भी मान सकते हैं ,कि किसी भी घर को चलाने के लिये मालिक पद तो एक को ही मिलेगा | सदस्य जितने होंगें ,उसी अनुपात नौकर भी होंगें .कर्मचारी भी होंगें | सवाल यह है ,कि जितनी जिम्मेदारी एक नौकर की होती है, उतनी ही कर्मचारियों की भी होती है , यदि सभी सदस्य अपने -अपने कार्ज़ को सही करेंगें तो स्वर्ग हो जायेगा ,और यदि किसी ने तोड़ने की कोशिश की तो वही घर नरक में परिवर्तन हो जायेगा | मेरे विचार से पद बड़ा नहीं होता है "पद की गरिमा बनी रहे ये बड़ी बात होती है .मानव बड़ा नहीं होता है ,मानवता बड़ी होती है.|
हमारा मानव शरीर है -सभी मानव के शरीर में मुंह होता है ,और मुंह को ब्राह्मन कहते हैं ,क्योंकि वेद का स्थान मुंह ही है | भुजाओं को क्षत्रिय कहा गया है .और सभी मानव के शरीर में भुजाएं होती हैं.| उदर को वैश्य कहा गया है ,और सभी मानव के शरीर में उदर होता है | टाँगें शुद्र होती है .और ये टाँगें सभी मानव शरीर में होती हैं | जब हमारे शरीर में ही ,ब्राह्मन क्षत्रिय ,वैश्य और शुद्र विराजमान हैं ,तो मत भिन्नता क्यों हैं - अब यदि समाज को चलाना हो ,देश को चलाना हो , तो प्रधान मंत्री तो कोई एक ही होगा? यदि सभी प्रधान ही हो जायेंगें, तो उप प्रधान कोन होगा | अपने शरीर का मुंह सबसे पवित्र होता है ,तो वेद कोन पढ़ेगा जो पवित्र होगा ,यदि हमारे हाथ न हों तो अपने शरीर की रक्षा कोन करेगा तो जो बलसाली होगा ,वही क्षत्री होगा | जो सबका भरन पोषण करेगा वही वैश्य होगा | और जो सबकी सेवा करेगा वही शुद्र होगा ,परन्तु जिस प्रकार हमारे शरीर के सभी अंग जुड़े होते हैं, उसी प्रकार देश के सभी सदस्य ,या घर के सभी सदय एक दसरे के पूरक होते हैं ,यदि अपने -अपने कर्तव्य का सही पालन करेंगें, तो देश या घर होगा और तोड़ देंगें तो बिखर जायेगा | भाव -हम सभी एक दसरे के पूरक हैं ,यह सोचकर अपने -अपने कार्ज़ का संपादन करना चाहिए ,इससे हम और हमारा देश समाज सभी जुड़े रहेंगें ,अन्यथा टूटना तो आसन है ही |भवदीय -झा शास्त्री [मेरठ ]
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