ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

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शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012

"दैनिक उपयोग में इन योगों का करें सोचकर प्रयोग ?

"दैनिक उपयोग में इन योगों का करें सोचकर प्रयोग ?
सर्वार्थसिद्धि,अमृतसिद्धि,गुरुपुष्यामृत एवं रविपुश्यामृत --इस तरह के बहुत से योग होते हैं । वारों का विशेष नक्षत्रों से संपर्क होने पर ये योग बनते हैं ,जैसा कि इन योगों के नामों से प्रतीत भी होता है ।इन योगों में शुभ कार्य हमलोग करते भी हैं एवं करने भी चाहिए ।आचार्यों के मत अनुसार -यात्रा ,गृहप्रवेश ,नूतन कार्यों का शुभारम्भ -पंचांग {पतरा }में मुहूर्त उपलभध न होने पर-जैसे {-व्यतिपात ,वैधृति ,गुरु -शुक्र अस्त या अधिकमास एवं वेध आदि के कारण} तो सर्वार्थ सिद्धि योगों का आश्रय लेना चाहिए ।।
{१}-----अम्रित्सिद्धि योग=,रविवार को -हस्त ,सोमवार को -मृगशिरा ,मंगलवार को अश्विनी ,बुधवार को अनुराधा ,गुरुवार को पुष्य ,शुक्रवार को रेवती ,शनिवार को रोहिणी नक्षत्र से सम्बन्ध होने पर -ये अम्रित्सिद्धियोग बनता है ।----इन योगों को अमृत सिद्धि योग की विशेष संज्ञा दी गयी है ।।  
{२}----रविवार व गुरुवार को पुष्य नक्षत्र का सम्बन्ध होने पर --राविपुश्यामृत--गुरुपुष्यामृत योग बन जाता है ।जो कि अत्यंत शुभ एवं प्रभावकारी मन गया है ।इस योग वाले दिन को विशेष फल प्रप्तिदायक माना गया है ।
-----------नोट {भाव }---ध्यान रखें -गुरुपुष्यामृत योग के समय -विवाह ,मंगलवार वाले अम्रित्सिद्धियोग के समय नए घर में प्रवेश ,तथा --शनिवार वाले अम्रित्सिद्धियोग के समय यात्रा नहीं करनी चाहिए ।।
      भवदीय -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री [ज्योतिष सेवा सदन =मेरठ उत्तर प्रदेश }
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