ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "{मेरठ उत्तर प्रदेश }

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सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

"राहुकाल क्या है ?"

"राहुकाल क्या है ?"
जिस प्रकार से अनन्त प्रकार के जीव हैं-तो निश्चित ही विचारधाराएँ भी अनन्त होगीं । ज्योतिष शास्त्र में भी -काल के विचार शुभ और अशुभ कार्यों के लिए लोग करते हैं । पुराकाल में सभी बातें -विद्वान पंडित ही करते थे -एवं लोग मानते थे ।समय बदला -सभी आचार्य हो गये ।किन्तु कुछ तकनिकी में आज भी कमी है -जो केवल विद्वान ही सही कर सकते हैं ।।
     एक दिन रत में आठ प्रहर होते हैं । बारह लग्न होते हैं । किन्तु वर्जित काल -मध्य दिन या मध्य रात्रि उत्तर  भारत  में लोग मानते थे । अब लोग राहुकाल को मानने लगे हैं -जो मुख्य रूप से -दक्षिण भारत में लोग मानते हैं । 
---राहुकाल का समय -इस प्रकार से समझें -
-रविवार -सायं -४.३०से 6.००तक ।
-सोमवार -प्रातः -७.३०से९.००तक ।
-मंगलवार -दिन -३.००से ४.३०तक ।
-बुधवार -दिवा -१२.००से १.३०तक ।
गुरूवार -दिन -१.30se3.००तक ।
--शुक्रवार -प्रातः -१०.३०से१२.००तक ।
--शनिवार -प्रातः -९.००से १०.३०तक 
नोट -इस समय को आधुनिक समय में राहुकाल कहते हैं और हमलोग मानते भी हैं । ध्यान  रहे अपनी संस्कृति और अपने लोकाचार {व्यवहार} का परिवर्तन नहीं करना चाहिए ?
----भवदीय -झा शास्त्री "मेरठ ।
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