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रविवार, 29 जनवरी 2012

संवत २०६९ में "ग्रहण" भारत में प्रभावहीन होगा ?

संवत २०६९ में "ग्रहण" भारत में प्रभावहीन होगा ?
 २३मार्च २०१२ से १०अप्रैल २०१३तक -की समयावधि में समस्त भूमंडल पर दो -सूर्य ग्रहण एवं एक चंद्रग्रहण होगा ,किन्तु भारतीय  भूभाग पर किसी भी ग्रहण को नहीं देखा जा सकेगा । अर्थात इस वर्ष भारत में ग्रहण प्रभावहीन माना जायेगा  ।
  भारत से अन्य देशों में खग्रास "सूर्यग्रहण "
  २०-२१ मई २०१२ रविवार की रात्रि में खग्रास "सूर्यग्रहण "भारत के वाहर अन्य देशों में होगा । भारतीय समय के अनुसार -ग्रहण ३-४० से शुरू होगा जो सुबह ७-०६ पर समाप्त होगा । प्रभावित देश -कनाडा,चीन ,ग्रीनलैंड ,इंडोनेशिया ,जापान ,कजाकिस्तान ,उत्तरिकोरिया ,दक्षिनकोरिया ,मैक्सिको ,मंगोलिया ,नार्वे ,फिलिपिन्स ,रूस ,ताइवान  एवं उत्तरी अमेरिका आदि देशों में देखा जा सकेगा ।। 
  नोट -भारत में ग्रहण कहीं से भी दिखाई नहीं देगा ?"
भारत से अन्य देशों में अल्पग्रास "चंद्रग्रहण  "
 ४-जून-२०१२ सोमवार को दिन में अल्पग्रास चंद्रग्रहण  भारत के अन्य पूर्व देशों में होगा । भारतीय समयानुसार -ग्रहण  दिन में ३-बजकर २९ मिनट से शुरू होगा जो -सायं -५-३७पर समाप्त होगा । प्रभावित देश -म्यांमार  ,थाईलैंड ,जापान ,आस्ट्रेलिया ,चीन ,पुर्विरूस ,मलेसिया ,फिलिपिन्स ,इंडोनेशिया ,उत्तर  -दक्षिण  ,अमेरिका ,पेरू ,अर्जेंटीना  ,आदि देशों में देखा जा सकेगा ।
  नोट -भारत में ग्रहण कहीं से भी दिखाई नहीं देगा -किन्तु देश के पूर्वी  भाग -आसाम ,मिजोरम ,मेघालय ,अरिनाचल प्रदेश ,आदि में चंद्रमा विरल छाया में से होकर गुजरेगा -जिसे वास्तव में ग्रहण  नहीं माना जाता है । 
 भारत के बाहर देशों में खग्रास "सूर्यग्रहण "
दिनांक -13-१४ नवंबर २०१२ मंगलवार की रात्रि २ बजकर  ६मिनत से शुरू होगा जो बुधवार  की सुबह ५ बजकर १७मिनत पर समाप्त होगा ।इस ग्रहण को अमेरिकन समोआ ,अर्जेंटीना ,आस्ट्रेलिया ,चिली ,फिजी ,इंडोनेशिया  ,मैक्रिनेशिया ,न्यूजीलेंड  ,न्युगुनिया ,आदि देशों में देखा जा सकेगा ।
   नोट -भारत में ग्रहण कहीं से भी दिखाई नहीं देगा ।।
चंद्रमा विरल छाया से गुजरना-
२८-११-२०१२बुधवार को "चंद्रमा "विरल छाया से गुजरेगा । अतः मामूली सी कांति मलिन दृश्य  होगी । उप्छ्यी ग्रहण नहीं होता ,इसलिए मान्यता नगण्य होती है । ग्रहण पृथ्वी के जिस भाग पर हुआ करते हैं उनका शुभाशुभ फलित उन्हीं स्थानों पर घटित होते हैं ।।
  --यननक्षत्रगतो राहुर ग्रसते शशिभास्करो ।
      ताज्ज्तानाम भबेत पीड़ा ये नराः शांतिवर्जिताः ।।
    यस्य राजस्य नक्षत्रे  स्वर्भानु रूप्ज्य्ते ।
          राज्य भंग सुह्यान्नाशम मरणं चात्र निर्दिशेत ।।
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