"ज्योतिष में बहुत बातें हैं अघोषित ,जिनकी हम आप करते हैं कोशिश ?"
मित्र प्रवर ,राम -राम ||
ज्योतिष =अर्थात नेत्र | यदि नेत्र ही न हों तो संसार की सुन्दरता हमारे किस काम की | यद्यपि शास्त्र ६ हैं ,किन्तु परस्पर सभी एक दुसरे के पूरक हैं | सभी अपनी -अपनी जगह महत्वपूर्ण हैं | आज हम लोग इनमें से ज्योतिष को विशेष जानते हैं या मानते हैं ||
अस्तु -ज्योतिष के दो भाग हैं -[१]-गणित [२]-फलित ||-जो गणना के माध्यम से जाना जाय उसे गणित कहते हैं | यह अत्यधिक कठिन है, क्योंकि छोटी सी भूल वास्तविक रूप को ही परिवर्तित कर देती है | पूरा काल में -जो गणना में परिपक्व होते थे ,उन्हीं को ज्योतिष "की उपाधि मिलती थी | परन्तु आज यह अति सरल हो गया है | हम चाहे ज्योतिषाचार्य हों या न हों ,हमें चाहे वास्तविक गणना आती हो या न हो ,किन्तु आधुनिक तकनीकी नें हमें ज्योतिष की उपाधि बहुत ही सरलता से प्रदान कर देता है ,जो विस्वसनीयता के लिए उत्तम नहीं है ||
अघोषित =ज्योतिष का निदान के लिए पुराकाल में -यज्ञादि ,हवन ,जाप ,दान के विधान थे ,जो सात्विक के साथ -साथ सभी जीवों के कल्याण कारक थे | समय बदला -हमने नीति बदल दी-तंत्र मंत्र एवं यन्त्र हो गए =इनसे -अपना कल्याण तो होता है | किन्तु यदि -तंत्र ,मंत्र एवं यंत्रों की पात्रता अर्थात योग्यता न हो तो निष्फल तो होते ही हैं -साथ ही सभी के लिए हानि कारक भी होते हैं || आगे -भिन्नता कुछ और आ गयी -हवन में नवग्रह समिधा [लकड़ी ] के द्वारा ग्रहों की शांति की जाती है | लेकिन हमने -अज्ञानता वश हवन की जगह -इन वृक्षों में -दूध ,तेल ,चीनी ,गुड ,उड़द और न जाने क्या -क्या डालना शुरू कर दिया ,जो हमें लाभ तो तभी पहुन्चायेंगें जब ये रहेंगें -जब वृक्ष ही नहीं होंगें तो हमलोग सुरक्षित कैसे होंगें | इतना ही नहीं -आज आवश्यकता की सीमा नहीं है इसलिए हम सभी दुखी रहते भी हैं ,और सुख की चाह में -टोने ,दुसरे का अहित कैसे हो -इसके लिए हम अपना विवेक खोकर वो काम करने लगे जो कमसे कम अनपढ़ करे तो बात समझ में आती है -पढ़े लिखे मन से करते हैं -इससे क्या होगा -जब समाज ही प्रसन्न नहीं होगा -तो हम कहाँ से प्रसन्न होंगें ||
कोशिश =हमें कोशिश क्या करनी चाहिए जो सही हो ,जिनको करने से हमारा अहित न हो -वो क्या है जानिए =[१]-यग्य ,पूजा -पाठ,हवन ,दान -ये सबके लिए लाभकारी हैं -इनसे सभी जीवों के कल्याण होते हैं |
[२]-वृक्षों को -जल से सिंचित केवल करना चाहिए -जब ये रहेंगें तो हमलोग भी सुखी रहेंगें ||
[३]-यन्त्र ,मंत्र एवं तंत्रों को करने से पूर्व -पात्र अधिकारी बनें अन्यथा ये निष्फल तो होंगें ही हमारे लिए दुखदायी भी बनेंगें ||
[४]-टोने से -लाभ तो होगा किन्तु यदि आप समाज में रहते हैं -तो आपका अहित भी होगा -क्योंकि आज न तो एकांत जगह है ,न जंगल है तो फिर आप कहाँ करेंगें समाज में -हो सकता है -उस टोने के वस्तु को आपका कोई परिजन ही स्पर्श कर ले ||
[५]-जब हम ज्योतिष को पूर्वजों की दी हुयी चीज समझते हैं -तो उनके बताये हुए रास्ते पर भी चलें तभी तो हम आने वाली संतानों के सही पूर्वज कहलायेंगें ||
[६]-परामर्श ज्योतिष की सबसे लें -किन्तु करें आप अपने विवेक की बात ||
भवदीय निवेदक "झा शास्त्री "
निःशुल्क ज्योतिष सेवा रात्रि ८ से९ संपर्क सूत्र द्वारा प्राप्त करें ||०९८९७७०१६३६.09358885616
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